ॐ नम: शिवाय
इस उपन्यास में लिखा हुआ प्रत्येक शब्द केवल भगवान शिव की कृपा से ही संभव हुआ है, और ये उपन्यास केवल उनकी कृपा का ही परिणाम है।
ॐ नम: शिवाय
स्वर्गीय श्री अरुण शर्मा 1958-2015
श्रद्दांजलि
यह उपन्यास मेरे परम मित्र स्वर्गीय श्री अरुण शर्मा जी को श्रद्दांजलि है, जिन्होंने अपना समस्त जीवन समाज सेवा के कार्य में लगा दिया। अरुण जी के मन में दीन दुखियों को देखते ही सहायता करने का प्रबल भाव उमड़ आता था और अपने व्यवसाय या परिवार की चिंता किये बिना उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक दुखियों की सहायता की।
अपने इस जीवनकाल में मैने बहुत समय उनके सानिध्य में व्यतीत किया है और इस समय के दौरान मैने उनसे जीव और जीवन के ऐसे सच्चे मूल्यों को सीखा है, जिन्होंने मेरे जीवन को प्रकाशमय कर दिया है। भगवान शिव की अवश्य ही बहुत विशेष कृपा है मेरे ऊपर, जो ऐसे पुण्यात्मा के साथ मेरा इतना आत्मीय संबंध संभव हो पाया है।
अरुण जी को अपनी आत्मा की सदगति के लिये हालांकि किसी की प्रार्थना की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनके द्वारा किये गये करोड़ों पुण्य और संकटमोचक भगवान बजरंग बली की उनपर स्पष्टतया विदित कृपा ही उन्हें दैवीय लोकों में ले जाने के लिये पूरी तरह से समर्थ है। फिर भी उनका ये मित्र अपने इष्ट भगवान शिव से प्रार्थना करता है कि वे इस पुण्यात्मा को सदा अपनी विशेष कृपा की छाया में रखें।
ॐ नम: शिवाय
हिमांशु शंगारी
ध्यानार्थ
इस उपन्यास के सभी पात्र पूरी तरह से काल्पनिक हैं और इनका किसी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। इस उपन्यास के किसी भी पात्र या घटना का किसी के साथ संबंध होना मात्र एक संयोग से अधिक कुछ नहीं है।
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