Category Archives: zNovels and Books

संकटमोचक अध्याय 33

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

ये तो बड़ी मजेदार कहानी थी पापा। और भी कोई ऐसी मजेदार कहानी है प्रधान अंकल की? हनी ने उल्लास भर स्वर में कहा।

तेरे प्रधान अंकल और तेरे पापा की ऐसी बहुत सी कहानियां है पुत्तर। तू सुनता सुनता थक जायेगा। ये कंजर इतनी किताबें लिखता है, हमारी किसी कहानी पर पता नहीं कोई किताब क्यों नहीं लिखता। प्रधान जी ने हनी को अपनी गोद में बिठाकर लाड़ लड़ाते हुये कहा।

जरूर लिखूंगा प्रधान जी, समय आने पर जरूर लिखूंगा आपकी कहानी। और जब आपका ये छोटा भाई लिखेगा आपके बारे में, तो ज़माना सांस रोककर पढ़ेगा आपकी दास्तान। राजकुमार की आंखों मे एक अदभुत चमक थी।

प्रधान अंकल आप इतना गुस्सा कैसे करते हैं, मैने तो आज तक आपको गुस्से में नहीं देखा। आप तो बहुत प्यार करते हैं। हनी ने प्रधान जी का ध्यान खींचते हुये कहा।

वो इसलिये पुत्तर, कि तेरे बाप कि तरह ही तुझे देखकर भी मेरा सारा गुस्सा भाग जाता है, और प्रेम ही प्रेम भर जाता है मेरे दिल में। पता नहीं क्या रिश्ता है मेरा तुम लोगों के साथ। जरूर पिछले जन्म में ये कंजर मेरा बेटा रहा होगा। प्रधान जी ने हनी को ज़ोर से अपने गले लगाते हुये राजकुमार की ओर भावुक अंदाज़ में देखते हुये कहा।

मैं तो इस जन्म में भी आपका बेटा ही हूं प्रधान जी, छोटा भाई बेटा ही तो होता है। राजकुमार का स्वर भी भावुक हो गया था।

और मेरे बड़े भईया। पुन्नु के इतना कहते ही राजकुमार ने प्रेम के आवेश में आकर उसे गले लगा लिया।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 32

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

दूसरे दिन सुबह करीब आठ बजे राजकुमार के मोबाइल की घंटी बजी तो स्क्रीन पर प्रधान जी का नाम देखते ही उसने फोन रिसीव कर लिया।

आज का प्रभात न्यूज़ पढा तूने पुत्तर। प्रधान जी के स्वर में उत्तेजना थी।

ये अखबार तो नहीं आता मेरे घर, प्रधान जी। राजकुमार ने कहा। प्रभात न्यूज़ जालंधर से ही प्रकाशित होने वाला एक छोटा सा अखबार था जो केवल जालंधर ही में थोड़ा बहुत बिकता था।

आता तो मेरे घर भी नहीं पर जग्गू का फोन आया तो मंगवा लिया मैने। प्रधान जी का स्वर और भी तेज हो गया था।

आखिर बात क्या है प्रधान जी, क्यों इतने परेशान लग रहे हो आप सुबह सुबह। राजकुमार ने जल्दी से पूछा।

बात ही कुछ ऐसी है पुत्तर। बहुत अनाप शनाप छापा है तेरे खिलाफ। लगता है अपने साथ कोई बड़ा धोखा हुआ है। मैं छोड़ूंगा नहीं किसी को। प्रधान जी के स्वर में क्रोध भरता जा रहा था।

आप जल्दबाजी में कोई गड़बड़ मत कर देना। मैं दस मिनट में पहुंचता हूं आपके पास। कहते हुये राजकुमार जल्दी से अपने घर से निकल गया।

पंद्रह मिनट बाद राजकुमार जब प्रधान जी के घर पहुंचा तो वो घर के आंगन में ही घूमते हुये दरवाजे की ओर देख रहे थे। राजकुमार को देखते ही उन्होने उसे अपने पास बुलाया और प्रभात न्यूज का खबर वाला पेज ऊपर करके पकड़ा दिया।

लो पढ़ो पुत्तर जी, और बताओ क्या मतलब है इस खबर का। प्रधान जी पूरी तरह से क्रोधित दिखाई दे रहे थे।

राजकुमार ने जल्दी से प्रधान जी के हाथों से अखबार पकड़ा और पढ़ने लगा।

न्याय सेना के वरिष्ठतम महासचिव राजकुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये ठेकेदार हरपाल सिंह ने। खबर का शीर्षक पढ़ते ही राजकुमार की रूचि बन गयी थी उसमें।

चमन शर्मा मामले में आज जहां एक ओर न्याय सेना और एस एस पी सौरव कुमार के महत्वपूर्ण बयान आये हैं, वहीं इस मामले के दूसरे पक्ष में बैठे ठेकेदार हरपाल सिंह ने एक सनसनीखेज़ बयान देते हुये इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। इस मामले से चर्चा में आये ठेकेदार हरपाल सिंह ने आज हमारे संवाददाता से बात करते हुये बताया कि वो बेकुसूर हैं और इस सारे मामले में उनके साथ बहुत ज्यादती हो रही है।

उनके खिलाफ की जाने वाली इस साज़िश के पीछे न्याय सेना के सैक्रटरी जनरल राजकुमार का हाथ है। राजकुमार ने कुछ दिन पहले चमन शर्मा वाले मामले में उनको फंसाने की धमकी देकर उनसे पांच लाख रुपये की मांग की थी। उनके इंकार देने पर राजकुमार ने उन्हें इस केस में जेल भिजवाने की धमकी दी थी और कल हुयी न्याय सेना के प्रतिनिधीमंडल और एस एस पी सौरव कुमार की मीटिंग को उन्होंने इसी घटनाक्रम का एक हिस्सा बताया है।

हरपाल सिंह ने आरोप लगाया है कि राजकुमार न्याय सेना जैसे बड़े संगंठन का दुरुपयोग कर रहे हैं और पुलिस उनके दबाव में काम कर रही है। उन्होने कहा कि पुलिस किसी भी समय उनपर नाज़ायज तरीके से कार्यवाही कर सकती है और उन्हें राजकुमार की ओर से भी अपनी जान का खतरा है। हरपाल सिंह के इन आरोपों ने इस सारे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।

अगर हरपाल सिंह के इन आरोपों में सच्चायी है तो सबसे बड़ा एक ही सवाल उठता है। क्या राजकुमार इस मामले में अकेले ही संलिप्त हैं या फिर उनके साथ न्याय सेना के और भी महत्वपूर्ण पदाधिकारी शामिल हैं, ब्लैकमेल के इस ताकतवर खेल में।

इसने तो आखिरी लाईन में आपकी तरफ भी उंगली उठा दी है प्रधान जी। राजकुमार ने खबर पढ़कर मुस्कुराते हुये कहा।

ओये कंजर तुझे मज़ाक सूझ रहा है, यहां गुस्से के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा है। मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी साजिश लगती है। प्रधान जी ने क्रोध से कहा।

और कौन कौन शामिल है इस साजिश में?……… राजकुमार ने मज़ा लेते हुये कहा।

मुझे तो सौरव कुमार पर ही शक है। इस खबर से पुलिस को हरपाल सिंह पर कार्यवाही न करने का एक बहाना मिल जायेगा, जिससे ये मामला लटक जायेगा। मैं सब जानता हूं इन पुलिस वालों को। एक बयान दे देंगें कि चमन शर्मा के केस में कोई कार्यवाही करने से पहले हरपाल सिंह के बयान की सत्यता की जांच की जायेगी और फिर एक जांच अधिकारी बिठा कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा। प्रधान जी का क्रोध बढ़ता ही जा रहा था।

आपकी थ्योरी तो अच्छी है प्रधान जी, पर इसमें से कई चीज़ें मेरी समझ में नहीं आयीं। राजकुमार की मुस्कान बनी हुयी थी।

क्या समझ नहीं आया तुझे। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये आंखें निकालीं।

अगर इसमें पुलिस की कोई साजिश होती तो हरपाल सिंह का ये बयान उस दिन क्यों नहीं आया जब हमने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। सौरव कुमार के मीडिया को इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी करवाने का बयान देने के बाद ही क्यों आया है उसका ये बयान। राजकुमार अपनी बात शुरु करते हुये बोला।

अगर सौरव कुमार इसमें शामिल होते तो भाजी हमें क्यों बुलाते। इसका अर्थ है या तो सौरव कुमार भाजी के साथ धोखा कर रहे हैं या फिर भाजी हमारे साथ। इन दोनों में से कौन सी बात हो सकती है, प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये पूछा।

इन दोनों में से तो कोई बात भी नहीं हो सकती, पुत्तर जी। न तो सौरव कुमार भाजी को धोखा दे सकते हैं और न ही भाजी हमें। प्रधान जी के चेहरे पर उलझन वाले भाव आ गये थे।

अब मैं अपनी थ्योरी बताऊं, प्रधान जी। राजकुमार ने रहस्यभरी मुस्कान से कहा।

तू ही बता दे कुछ, मेरी तो समझ में नहीं आ रहा कुछ भी। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये उलझन भरे चेहरे के साथ कहा।

तो सुनिये, कल तक हरपाल सिंह को ये पता था कि इस मामले में पुलिस उसका लिहाज करेगी। कल के घटनाक्रम के बाद उसे पता चल गया होगा कि पुलिस अब इस मामले में किसी की सिफारिश नहीं मानेगी। आपको याद है कल आज़ाद भाई ने कहा था कि उनके एक संवाददाता ने सुबह मुख्यमंत्री से इस बारे में बात की है। राजकुमार ने ज़ोर डालते हुये कहा।

इसका अर्थ है कल मुख्यमंत्री ने सौरव कुमार को इस मामले में उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये होंगे, और साथ ही साथ हरपाल सिंह के आका अवतार सिंह को भी इस मामले से दूर रहने के आदेश दिये होंगे। सौरव कुमार इस निर्देश के मिलते ही हरकत में आ गये, जो कल के घटनाक्रम से साफ जाहिर है।

दूसरी तरफ अवतार सिंह ने जरूर ही हरपाल सिंह को बता दिया होगा कि पुलिस अब उसके खिलाफ कार्यवाही करेगी। अपनी बाजी पलटते देखकर ही उसने अपनी ये आखिरी चाल चली होगी, जिससे हमारे और पुलिस के बीच में मतभेद पैदा किये जा सकें और वो उसका लाभ उठा सके। राजकुमार कहता जा रहा था।

सारा शहर आपके स्वभाव को जानता है कि एक बार आपको क्रोध आ गया तो फिर सामने वाले की खैर नहीं। वो चाहता होगा कि आप क्रोध में किसी बड़े पुलिस अधिकारी से उलझ पड़ें और मामला खराब हो जाये। राजकुमार ने अपनी बात पूरी की।

पुत्तर जी, मैं तो सौरव कुमार के घर फोन करके उसे भला बुरा बोलने ही वाला था कि पहले तुझे फोन कर लिया और तूने मुझे रोक दिया। प्रधान जी की समझ में अब सारा मामला आता जा रहा था।

अब आगे सुनिये, इस खबर से हमें कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि फायदा ही होगा। राजकुमार ने अपनी बात फिर से जारी की।

इसमे हमारा क्या फायदा, इतना अनाप शनाप छापा है तेरे बारे में। प्रधान जी की समझ में एक बार फिर कुछ नहीं आ रहा था।

इस खबर को पढ़ते ही आपके मन में क्या विचार आयेगा, इसे पढ़ते ही सौरव कुमार भी समझ गये होंगे। सौरव कुमार आपको अच्छी तरह से जानते हैं और वो ये समझ गये होंगे कि आपका पहला शक पुलिस की ओर ही जायेगा। राजकुमार ने कहा।

और अगर मेरी थ्योरी के मुताबिक पुलिस इस साजिश में शामिल नहीं है तो, उनके पास इस बात को साबित करने का एक ही तरीका है। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

कि हरपाल सिंह के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही कर दे, ओ तेरे बच्चे जीयें। प्रधान जी ने खुश होते हुये कहा।

इसीलिये तो आपको कहता हूं कि अपने गुस्से को काबू में रखा कीजिये। राजकुमार ने प्रधान जी को छेड़ने वाले अंदाज़ में कहा।

अरे तो इतना पढ़ा लिखा सैक्रटरी जनरल क्यों रखा है मैने। आओ फिर इसी बात पर नाश्ता करते हैं। प्रधान जी की इस बात पर दोनो हंसते हुये कमरे की ओर चल दिये।

टेबल पर नाश्ता अभी लगा ही था कि राजकुमार के मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर आज़ाद का नाम देखते ही राजकुमार ने फौरन फोन उठाया।

आज का प्रभात न्यूज़ पढ़ा आपने। आज़ाद ने बिना कोई भूमिका बांधे कहा।

जी पढ़ लिया है। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

गुड, तो फिर प्रधान जी को कहना इस पर जल्दी में कोई प्रतिक्रिया न दें। इस खबर से आप लोगों को फायदा ही होगा। बाकी की बात बाद में करेंगे। कहते हुये आज़ाद ने फोन काट दिया।

लीजिये प्रधान जी, आज़ाद भाई का फोन था। वो भी यही कह रहे हैं कि इस खबर से हमे लाभ होगा। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा जो नाश्ते पर टूट चुके थे।

अरे वाह, अगर आज़ाद भाई ने भी यही कहा है, फिर तो फायदा जरूर होगा, पुत्तर जी। आओ अब नाश्ता करते हैं। खुश होते हुये बोले प्रधान जी।

राजकुमार अभी नाश्ते के लिये बैठ ही रहा था कि उसके मोबाइल की घंटी एक बार फिर से बजने लगी। स्क्रीन पर शहर का ही कोई लैंडलाइन नंबर फ्लैश कर रहा था। राजकुमार के फोन उठाते ही दूसरी ओर से आवाज़ आयी।

जय हिन्द जनाब, राजकुमार जी बोल रहे हैं?

जी बोल रहा हूं, कहिये। राजकुमार ने सतर्क स्वर में कहा। प्रधान जी का ध्यान भी फोन पर ही था।

एस एस पी जालंधर बात करना चाहते हैं जनाब। दूसरी ओर से आदरपूर्वक कहा गया।

जी करवाईये। कहते कहते राजकुमार ने प्रधान जी के कान में कुछ कहा तो वो नाश्ता छोड़ कर एक दम से उसके पास आकर खड़े हो गये।

राजकुमार जी कैसे हैं आप। दूसरी ओर से पांच सैकेंड बाद ही सौरव कुमार की आवाज़ सुनायी दी।

गुड़ मार्निग सर, मैं बिल्कुल ठीक हूं। आप सुनाईये। राजकुमार ने चिंतामुक्त स्वर में कहा।

आज का प्रभात न्यूज़ पढ़ा आपने, कितने निचले स्तर पर गिर गया है। सौरव कुमार के स्वर में खेद सपष्ट झलक रहा था।

पढ़ लिया है सर, हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। राजकुमार ने बेफिक्री वाले अंदाज़ में कहा।

मैने आपको ये कहने के लिये फोन किया है कि ये आप लोगों और पुलिस के बीच में मतभेद पैदा करने की साजिश है। पुलिस के किसी भी अधिकारी का इस न्यूज़ से कोई लेना देना नहीं है, राजकुमार जी। सौरव कुमार के स्वर में पूर्ण आश्वासन था।

हमें पता है सर, हम आपको अच्छी तरह से जानते हैं। आपके पुलिस चीफ रहते हुये आपका कोई भी अधिकारी इस तरह की हरकत नहीं कर सकता। हमें पता है इसके पीछे कौन है। आप किसी भी प्रकार की चिंता मत कीजिये। न्याय सेना पुलिस के साथ सहयोग करने के अपने फैसले पर पूरी तरह से कायम रहेगी। राजकुमार ने निर्णायक स्वर में कहा।

गुड, आपसे मुझे यही उम्मीद थी। एक और भी सूचना देनी थी आप लोगों को। सौरव कुमार के स्वर में रहस्य भर गया था।

जी कहिये सर। राजकुमार जैसे आने वाली सूचना का अंदाज़ा लगा रहा हो।

चमन शर्मा के मामले में सिद्दिकी साहिब की जांच पूरी हो चुकी है, और हरपाल सिंह दोषी पाया गया है। मैनें अभी अभी थाना माडल टाऊन को हरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दे दिये हैं। पुलिस अगले एक दो घंटे में ये कार्यवाही पूरी कर लेगी। सौरव कुमार कहते जा रहे थे और राजकुमार के साथ साथ उसके साथ खड़े प्रधान जी के चेहरे पर भी विजयी भाव आते जा रहे थे।

हरपाल सिंह के खिलाफ जबरन कब्ज़ा करने के प्रयास के लिये आई पी सी की धारा 452 और अन्य बनती धाराओं के तहत केस दर्ज किया जा रहा है। कागज़ी कार्यवाही पूरी होते ही पुलिस हरपाल सिंह के ठिकानों पर उसे गिरफ्तार करने के लिये छापामारी शुरु कर देगी……… लीजिये हमना अपना वायदा समय से पहले ही पूरा कर दिया है। अब तो आपको कोई शिकायत नहीं है पुलिस से। सौरव कुमार कहते कहते हंस दिये थे।

बहुत बहुत शुक्रिया सर। आपके इस फैसले से लोगों का विश्वास शहर की पुलिस पर और भी बढ़ जायेगा। राजकुमार ने कृतज्ञ स्वर में कहा।

आप लोगों ने इस मामले में पुलिस को पूरा सहयोग दिया है, तो फिर पुलिस भला आप लोगों की पीठ कैसे लगने देगी। प्रधान जी को भी ये सूचना दे दीजियेगा और उन्हें कहियेगा, चाय और बिस्किट उनका इंतज़ार करेंगे, जब जी चाहें मेरे कार्यालय आ जायें। सौरव कुमार ने प्रेम भरे स्वर में कहा।

जी बिल्कुल ठीक है सर। राजकुमार ने जानबूझ कर ये बात छिपा ली थी कि प्रधान जी उसके पास ही खड़े हैं।

चलिये फिर, कार्यालय में मिलते हैं। सौरव कुमार ने बात खत्म करने वाले अंदाज़ में कहा।

जी जरूर सर, थैंक्स वनस अगेन। राजकुमार के इतना कहने पर सौरव कुमार ने विदा लेते हुये फोन काट दिया।

बहुत बड़ा नेता बन गया है तू पुत्तर, एस एस पी अब मुझे छोड़ कर तेरे मोबाइल पर फोन करने लगे हैं। प्रधान जी ने गर्व भरे स्वर में राजकुमार को छेड़ते हुये कहा।

आप जानते हैं प्रधान जी, सौरव कुमार ने मेरे मोबाइल पर फोन क्यों किया। राजकुमार ने प्रधान जी की बात को अनसुना करते हुये कहा।

क्योंकि अखबार में तेरे खिलाफ अनाप शनाप छपा है, सहानुभूति दर्शाने के लिये। प्रधान जी ने अपनी राय दी।

जी नहीं, ये फोन उन्होंने इस लिये मेरे मोबाइल पर किया है क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से पता होगा कि इस खबर को पढ़ते ही आपका पारा चढ़ गया होगा। आपसे बात करने पर कहीं एक बार फिर से झगड़ा न हो जाये, और मामला फिर से न बिगड़ जाये, इस लिये उन्होंने मुझे फोन किया है। वो जानते हैं कि मुझ पर इस खबर का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा होगा। राजकुमार ने खुलासा करते हुये कहा।

ओ तेरे बच्चे जीयें, बिल्कुल ठीक जगह पहुंचा है तू। देखा फिर पुत्तर, तेरे प्रधान के गुस्से से बड़े बड़े पुलिस अधिकारी भी घबरा जाते हैं। प्रधान जी ने छाती चौड़ी करते हुये कहा।

ऐसे ही तो मैं आपको भगवान संकटमोचक का दूत नहीं कहता, प्रधान जी। जो प्रेम करने पर आये तो अपने दिल को चीर कर प्रेमी की तस्वीर दिखा दे और क्रोध करने पर आये तो पूरी की पूरी लंका भस्म कर दे। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये गर्व से कहा।

ओये कंजर, ये तूने अच्छा नाम दिया है मुझे। अब तो शहर के कई लोग भी मुझे बजरंग बली का दूत कहने लगे हैं। इतना बड़ा नाम क्यों दे दिया तूने मुझे पुत्तर, मैं तो एक छोटा सा इंसान हूं। प्रधान जी ने बड़े विनम्र स्वर में कहा।

मोचन का अर्थ है मरम्मत करके ठीक कर देना, तो संकटमोचक का अर्थ बना वो इंसान अथवा दैवीय शक्ति, जो किसी पर आये हुये संकट का मोचन कर दे, अर्थात उसके संकट का निवारण कर दे। और आपसे अधिक इस शहर के पीड़ित लोगों के संकट का निवारण किसने किया है, प्रधान जी। इसीलिये मैं आपको साक्षात संकटमोचक का दूत कहता हूं। राजकुमार ने गंभीर स्वर में कहा।

अब आप अपने शरीर को और अपने काम करने के तरीके को देखिये। आपके गठे हुये शरीर में मुझे संकटमोचक की झलक साक्षात दिखायी देती है, और किसी दुष्ट की लंका उजाड़ने में तो आपका मुकाबला कोई नहीं कर सकता। तो हुये न आप, भगवान संकटमोचक के दूत। राजकुमार ने श्रद्दा भरे भाव से प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

इसीलिये मैं अपना अधिकतर समय आपके साथ बिताता हूं। आपके जैसी पुण्यात्मा के साथ रहकर काम करने से मेरा भी कल्याण हो जायेगा। राजकुमार की श्रद्दा अपनी सीमायें तोड़ती जा रही थी।

ओये बस कर कंजर, इतना बड़ा मत बना मुझे। मैं तो संकटमोचक भगवान का एक बहुत छोटा सा भक्त हूं। कहते हुये प्रधान जी ने प्रेम के तेज बहाव में बहते हुये राजकुमार को गले से लगा लिया।

यही वो आखिरी लक्ष्ण है प्रधान जी, जो आपको महान बनाता है। इतिहास में आज तक हर महान आदमी ने अपने आप को सदा छोटा ही बताया है। इतनी शक्ति और साहस होने के बाद भी इसका घमंड नहीं है आपको, और आपने इसका कभी दुरुपयोग नहीं किया। सदा पीड़ितों के रक्षा के लिये ही लड़े हैं आप। राजकुमार ने प्रधान जी के गले लगे हुये ही कहा।

बानी में लिखा है, सूरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हेत। पुर्जा पुर्जा कट मरे, कबहुं न छड्डे खेत। अर्थात असली शूरवीर वो नहीं जो अपनी ताकत को प्रदर्शन की चीज़ मानता है। असली शूरवीर वो है जो केवल दीन दुखियों की सहायता के लिये ही हथियार उठाता है। और एक बार लड़ाई के मैदान में आ जाये तो फिर चाहे शरीर का अंग अंग कट के गिर जाये, विजय या मृत्यु से पहले रणभूमि नहीं छोड़ता।

ये सारे लक्ष्ण मौजूद हैं आपमे, प्रधान जी। चमन शर्मा जैसे अनजान व्यक्ति को न्याय दिलवाने के लिये आपने शहर की सारी पुलिस के साथ दुश्मनी मोल ले ली, जबकि अधिकतर पुलिस अफसरों के साथ आपके बहुत अच्छे संबंध हैं। यही एक सच्चे वीर के लक्ष्ण हैं। राजकुमार ने प्रधान जी से अलग होकर उनकी आंखों मे देखते हुये कहा। उसके स्वर और आंखों में प्रेम और आदर की प्रकाष्ठा साफ दिखाई दे रही थी।

प्रधान जी अवाक खड़े उसे एकटक देखे जा रहे थे और सोच रहे थे कि कितनी छोटी उम्र में ही कितनी बड़ी बातें करता था ये लड़का।

इसी लिये कहता हूं कि आप सच्चे शूरवीर हैं, आप महान हैं, बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि आप पुरुष ही नहीं हैं…………………। राजकुमार ने एकदम से अपनी टोन को शरारती बनाते हुये अपनी बात को अधूरा छोड़ते हुये कहा।

ओये क्या मतलब है तेरा कंजर। प्रधान जी राजकुमार के इस फिल्मी डायलाग को समझते हुये भी नकली क्रोध दिखाते हुये बोले।

महापुरुष हैं आप प्रधान जी, महापुरुष हैं। राजकुमार के इतना कहते ही दोनों ज़ोर से ठहाका लगा कर हंस पड़े।

चल अब नाश्ता कर ले। इस सारे चक्कर में तेरा नाश्ता तो ठंडा हो गया। प्रधान जी ने अपनी पत्नी को आवाज़ देते हुये गरम परांठा लाने के लिए कहा।

आज की खबरें बहुत गर्म हैं प्रधान जी, परांठा तो अपने आप ही पेट में जाकर गर्म हो जायेगा। कहते हुये राजकुमार ने ठंडा परांठा ही उठा कर प्लेट में रख लिया।

परांठा अभी प्लेट में गया ही था कि राजकुमार के मोबाइल की घंटी एक बार फिर से बजी। स्क्रीन पर आज़ाद का नाम फ्लैश कर रहा था।

तेरे नसीब में तो लगता है आज का नाश्ता है ही नहीं। किस लानती का मुंह देखा था आज सुबह। प्रधान जी ने मज़ा लेते हुये कहा।

मुंह तो अपना ही देखा था और आवाज़ आपकी सुनी थी, प्रधान जी। राजकुमार ने भी नहले पर दहला मारा और प्रधान जी को चुप रहने का संकेत करते हुये फोन रिसीव किया।

मुबारक हो, आपकी जीत ने आधिकारिक रूप ले लिया है। थाना माडल टाऊन से मेरे सूत्र का फोन आया है। सौरव कुमार ने हरपाल सिंह पर केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार करने के निर्देश दे दिये हैं। अब तो बड़ी वाली पार्टी बनती है। आज़ाद ने अपने ही अंदाज़ में बिना कोई भूमिका बांधे या बिना कोई औपचारिकता करते हुये सीधे काम की बात करते हुये कहा।

हमें भी अभी अभी पता चला है, भाई साहिब। सचमुच ये न्याय सेना की बड़ी जीत है। ये सब आपके सहयोग के बिना संभव नहीं था। मैं आपके इस सहयोग के लिये प्रधान जी, अपनी और पूरी न्याय सेना की ओर से आपका शुक्रिया अदा करता हूं। राजकुमार ने कृत्ज्ञ स्वर में कहा।

ये राजनेताओं वाली लिफाफेबाजी मत कीजिये आप मेरे साथ। हमने आपकी सहायता केवल इसलिये की क्योंकि आपका मुद्दा सही था। जिस दिन आप गलत दिशा में जायेंगे, आपके खिलाफ छापने से भी परहेज़ नहीं करेगा, अमर प्रकाश। आज़ाद ने हंसते हुये कहा, पर राजकुमार जानता था कि आज़ाद एकदम सच बोल रहे थे।

आप जैसे शुभचिंतकों की हमें बहुत जरूरत है भाई साहिब, जो हमें गलत दिशा में जाने ही न दे। राजकुमार ने स्वर को वजनदार बनाते हुये कहा।

चलिये अब रखता हूं, फिर मुलाकात होती है। कहते हुये एक बार फिर बिना किसी औपचारिकता के युसुफ आज़ाद ने फोन काट दिया।

मैं आजतक आज़ाद भाई को समझ नहीं पाया, पुत्तर जी। एक पल में ही हमारी इतनी बड़ी मदद कर देते हैं और दूसरे ही पल हमें धमका भी देते हैं। प्रधान जी ने सारी बातचीत सुन ली थी।

वे भी महान हैं प्रधान जी, एक सच्चे क्रांतिकारी हैं आज़ाद। उनके लिये केवल मकसद मायने रखता है, लोग नहीं। क्योंकि हमारा और उनका मकसद एक ही है अर्थात न्याय के लिये लड़ना, इसीलिये वो हमारी सहायता करते हैं। प्यार व्यार जैसी चीजों में नहीं पड़ते वो। बहुत व्यवहारिक हैं आज़ाद भाई। राजकुमार ने आज़ाद की तारीफ करते हुये कहा।

इतने सारे अच्छे अच्छे लोग हमारे साथ हैं, इसीलिये तो हमारा बड़े से बड़ा काम भी आसानी से हो जाता है, पुत्तर जी।

ये लाख रुपये की बात कही है आपने, प्रधान जी। राजकुमार ने कहा और फिर प्लेट में आ चुके गर्म परांठे पर टूट पड़ा।

दूसरे दिन के अखबार इस मामले की निर्णायक खबर से भरे पड़े थे।

वरूण शर्मा की न्याय सेना का एक और बड़ा कारनामा, चमन शर्मा को दिलाया इंसाफ। पंजाब ग्लोरी की खबर ने विशेष रूप से प्रधान जी की तारीफ की थी।

हरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज, पुलिस ने की ठिकानों पर छापामारी, हरपाल सिंह फरार। ये था सत्यजीत समाचार की न्यूज़ का शीर्षक।

न्याय सेना की बड़ी जीत, पीली पत्रकारिता के मुंह पर तमाचा, हरपाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज। अमर प्रकाश ने तो प्रभात न्यूज़ के रिपोर्टर को भी लपेट में ले लिया था।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 31

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

हरपाल सिंह बड़ी आशा के साथ अपने सामने बैठे हुये पत्रकार को देख रहा था, और उसके कुछ बोलने की प्रतीक्षा कर रहा था।

ये तो बड़ा मुश्किल काम है हरपाल सिंह जी, ये नहीं हो पायेगा मुझसे। पत्रकार ने चुप्पी तोड़ते हुये कहा।

ऐसा मत कहिये, बाकी सब अखबारों के पत्रकार तो पहले ही मना कर चुके हैं। आप मेरी आखिरी उम्मीद हैं। आप जो सेवा कहें मैं करने को तैयार हूं। हरपाल सिंह ने विनती करते हुये कहा।

प्रधान की छवि आज की तिथि में बहुत साफ है, सारा मीडिया उसकी तरफ है। उसके खिलाफ कुछ भी छापने से मेरा नुकसान हो सकता है। लेकिन…………… कुछ कहते कहते रुक गया पत्रकार।

लेकिन क्या। हरपाल सिंह ने उतावलेपन से पूछा।

राजकुमार के खिलाफ छापा जा सकता है। पत्रकार ने कुछ सोचते हुये कहा।

उस कल के लड़के के खिलाफ कुछ छपने से मुझे भला क्या लाभ। हरपाल सिंह ने कुछ न समझने वाले स्वर में कहा।

उसे कल का लड़का न समझिये, संगठन की जान है वो। सारे मीडिया, पुलिस और प्रशासन को पता है कि राजकुमार पर कोई इल्ज़ाम लगने का मतलब है सीधा प्रधान पर इल्ज़ाम लगना। दोनों में कोई फर्क नहीं है। राजकुमार के बदनाम होते ही प्रधान खुद-ब-खुद ही बदनाम हो जायेगा। पत्रकार ने हरपाल सिंह को समझाते हुये कहा।

ऐसी बात है तो फिर कल कुछ बड़ा धमाका कर दीजिये। हरपाल सिंह ने एक बंद लिफाफा पत्रकार के हाथ में पकड़ाते हुये कहा।

ठीक है फिर, कल सुबह का इंतजार कीजिये। पत्रकार ने लिफाफे का वज़न तौलते हुये कहा।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 30

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

दस मिनट बाद जब प्रधान जी और राजकुमार सौरव कुमार के कार्यालय से बाहर निकले तो पत्रकारों ने उन्हें घेर लिया।

क्या बातचीत हुयी आपकी एस एस पी से प्रधान जी, क्या नतीजा निकला इस बातचीत का। अमर प्रकाश के पत्रकार दूबे ने पूछा।

इसका जवाब आपको न्याय सेना के सैक्रटरी जनरल और आधिकारिक प्रवक्ता राजकुमार जी देंगें। प्रधान जी ने अपनी बला राजकुमार के सिर पर डालते हुये कहा। सब पत्रकारों का ध्यान राजकुमार पर केंद्रित हो गया था।

एस एस पी साहिब के पहल करने पर न्याय सेना का दो लोगों का प्रतिनिधि मंडल, यानि कि प्रधान जी और मैं, उनसे अभी अभी उनके कार्यालय में मिलकर आ रहे हैं। एस एस पी साहिब का ये कहना है कि पुलिस इस मामले में अपना काम निष्पक्ष रुप से करेगी और दोषी पाया जाने पर हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही अवश्य की जायेगी। राजकुमार ने बोलना शुरु किया। पत्रकार जल्दी से नोट करते जा रहे थे।

किंतु न्याय सेना के प्रदर्शन करने की चेतावनी से इस मामले में पुलिस पर दबाव बना है। कल को अगर पुलिस दोषी पाये जाने पर भी हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही करती है तो उसे और बहुत से लोगों को ये कहने का मौका मिल सकता है कि शायद हरपाल सिंह दोषी था भी नहीं, पर दबाव में आकर पुलिस ने कार्यवाही कर दी।

इससे पुलिस की छवि को धक्का लगेगा और न्याय प्रणाली पर से लोगों का विश्वास भी कम होगा। इसलिये उन्होंने न्याय सेना से मांग की है कि हम अपना प्रदर्शन अनिश्चित काल के लिये स्थगित कर दें ताकि पुलिस पर इस मामले में किसी प्रदर्शन का कोई दबाव न रहे। उन्होने ये भी कहा है कि केस की जांच के नतीजे से अगर हम संतुष्ट नहीं होते हैं तो फिर किसी भी तरह का प्रदर्शन करने के लिये स्वतंत्र हैं। राजकुमार ने इतना कहकर अपनी बात को विराम दिया।

तो फिर क्या फैसला है न्याय सेना का। सवाल फिर एक बार दूबे ने ही पूछा था।

न्याय सेना ये समझती है कि न्याय केवल मैरिट के आधार पर ही होना चाहिये, किसी दबाव के कारण नहीं। हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए। इसलिये कि वो दोषी है, इसलिये नहीं कि कार्यवाही न करने पर प्रदर्शन हो जायेगा। इसलिये न्याय सेना एस एस पी साहिब की इस मांग को जायज मानते हुये अपना प्रदर्शन इस केस की जांच रिपोर्ट आने तक स्थगित करती है, ताकि इस केस की जांच बिना किसी दबाव के निष्पक्ष रूप से पूरी हो सके।

और कब तक आ जायेगी ये जांच रिपोर्ट। दूबे के सवाल खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहे थे।

एस एस पी साहिब ने आश्वासन दिया है कि इस जांच को जल्द से जल्द पूरा किया जायेगा और जांच रिपोर्ट के आधार पर अगली कार्यवाही की जायेगी। राजकुमार के इतना कहते ही दूबे के सवाल थम गये थे। प्रधान जी राजकुमार की शब्दों पर इतनी जबरदस्त पकड़ को देखकर हैरान थे। कितनी आसानी से शब्द खोज लेता था हर स्थिति को अपने अनुकूल बनाने के लिये।

ओये पुत्तर, तू तो शब्दों का जादूगर है, कैसे सारी स्थिति को अपने पक्ष में कर लिया। पांच मिनट के बाद गाड़ी में बैठे हुये प्रधान जी ने कहा। गाड़ी राजकुमार चला रहा था। राजू और जग्गू पिछली सीट पर बैठे थे।

सब आपके आशिर्वाद का पुण्य प्रताप है प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी का एक और डायलाग उन्हीं पर चलाया तो सब हंस पड़े।

लगभग आधे घंटे के बाद जब सब लोग न्याय सेना के कार्यलय में बैठ कर गप्पें लड़ा रहे थे तो राजकुमार के मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर आज़ाद का नाम पढ़ते ही उसने प्रधान जी के कान में कुछ कहा और बाहर की ओर चल दिया।

जी भाई साहिब, कैसे हैं आप। फोन रिसीव करते ही राजकुमार ने कहा।

ये बहुत बड़ी जीत है आपकी। किसी दुआ सलाम का जवाब दिये बिना ही आज़ाद ने सीधे काम की बात की।

सब आपके सहयोग से ही संभव हो पाया है। राजकुमार ने कृत्ज्ञ स्वर में कहा।

दूबे जी से बात हुई है मेरी अभी, आपके बाद उन्होंने इस सारे मामले पर एस एस पी से भी उनका पक्ष ले लिया है। उन्होंने इस मामले में न्याय सेना के सहयोग के लिये आभार व्यक्त किया है और मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी करवाने का वायदा भी किया है। हरपाल सिंह पर कार्यवाही अब जरुर होगी। आज़ाद बोलते चले जा रहे थे अपने ही अंदाज़ में।

ये तो बहुत अच्छी बात सुनायी आपने। राजकुमार ने खुश होते हुये कहा।

अब आप भी कोई अच्छी बात सुना दो, रातो रात कोई बड़ी सैटिंग हुई है आपकी, जो इतनी तारीफ कर रहें है सौरव कुमार आप लोगों की। किसने करवायी ये सैटिंग। आज़ाद ने सीधे जड़ को पकड़ लिया था।

आप तो सब जानते ही हैं भाई साहिब, फिर पूछते क्यों हैं। आज़ाद ने हंसते हुये कहा।

आज न्याय सेना की एक नयी पहचान बनी है। अब से पहले न्याय सेना केवल इंसाफ के लिये लड़ने वाले क्रांतिकारी लोगों का समूह मानी जाती थी। पर आज आपने दिखा दिया है कि बातचीत के जरिये बड़े से बड़े मुद्दे को शांति के साथ सुलझाने की क्षमता भी रखते हैं आप लोग। इस लिये ये बहुत बड़ी जीत है आप लोगों की। अब न्याय सेना को इलेक्शन लड़ने के बारे में सोचना शुरु कर देना चाहिये। आज़ाद ने अपनी बात पूरी की।

इस मामले में फिर कभी विस्तार से बात करेंगे भाई साहिब। फिलहाल तो मैं प्रधान जी को जाकर सौरव कुमार के मीडिया को आधिकारिक बयान देने की बात बता दूं, खुश हो जायेंगे एकदम। राजकुमार ने बात बदलने के लिये कहा।

चलिये मज़ा कीजिये, रखता हूं अब। कहते हुये आज़ाद ने फोन काट दिया।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 29

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

अगले दिन ग्यारह बजने से पांच मिनट पहले ही प्रधान जी और राजकुमार एस एस पी कार्यालय पहुंच चुके थे। दोनों ने रात को ही सभी मुख्य अखबारों के पत्रकारों को इस मुलाकात के बारे में बता दिया था, जिसके कारण कुछ अखबारों के पत्रकार पहले से ही कार्यालय के बाहर मौजूद थे।

प्रधान जी ने सब पत्रकारों का अभिवादन करते हुये साथ में आये हुये जग्गू और राजू को कार्यालय के बाहर ही वेट करने को कहा और तेज गति से राजकुमार को साथ लेकर एस एस पी कार्यालय के दरवाजे की ओर चल दिये।

साहिब ने आपको सीधा अंदर भेजने के लिये कहा है, प्रधान जी। राजकुमार के कार्ड देने से पहले ही संतरी ने अभिवादन करते हुये कहा।

कार्यलय में प्रवेश करने पर प्रधान जी ने देखा कि सौरव कुमार कार्यालय में अकेले ही थे और आज कोई भी शिकायतकर्ता नहीं बैठा था। जो इस बातचीत के लिये जरूरी भी था।

हमारे एस एस पी साहिब की जय हो। प्रधान जी ने अपना जाना पहचाना नारा लगाया और राजकुमार ने अपने अंदाज़ में सौरव कुमार को गुड मार्निंग की।

आईए आईये प्रधान जी, बैठिये। आप भी बैठिये राजकुमार जी। दोनों के अभीवादन का जवाब देते हुये सौरव कुमार ने अपनत्व भरे स्वर में कहा।

सबसे पहले तो प्रधान जी, मैं उस दिन हुयी गलतफहमी के लिये खेद व्यक्त करता हूं। आपने हर अच्छे काम में पुलिस का साथ दिया है जिसके चलते हमारा डिपारटमैंट आपका बहुत आदर करता है। आप जैसे अच्छे नेता के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिये था। सौरव कुमार ने बहुत बड़प्पन की बात कर दी थी।

ये कहकर तो आपने हमारा दिल जीत लिया है, सर। मैं भी अपने उस दिन के व्यवहार के लिये खेद व्यक्त करता हूं। मुझे इतने लोगों के सामने शहर के पुलिस चीफ के साथ ऐसे बात नहीं करनी चाहिये थी। प्रधान जी ने भी बड़प्पन का जवाब बड़प्पन से ही दिया था।

तो चलिये इसी बात पर चाय पीते हैं, साथ में आपके फेवरिट बिस्किट भी हैं। सौरव कुमार के इतना कहते कहते एक कर्मचारी ने चाय और बिस्किट रख दिये।

तो बताईये अब क्या करना है इस मामले में, हम हर तरह से आपके साथ हैं। प्रधान जी ने बात शुरु करते हुये कहा। सौरव कुमार ने अपने व्यवहार पर खेद व्यक्त करके उन्हें प्रसन्न कर दिया था।

पुलिस पर अब इस मामले में कोई दबाव नहीं है और हम हरपाल सिंह के खिलाफ जल्द से जल्द उचित कानूनी कार्यवाही करेंगे। ये मेरा वायदा है आपसे। बस हमें एक सहायता चाहिये आपसे। सौरव कुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

आप बोलिये सर, हम आपके लिये क्या कर सकते हैं। प्रधान जी ने प्रोत्साहन देने वाले स्वर में कहा।

न्याय सेना के प्रदर्शन की चेतावनी से पुलिस पर बहुत दबाव बना है। मीडिया पहले से ही इस मामले को बहुत तूल दे चुका है। ऐसे स्थिति में अगर हमने आपके प्रदर्शन से पहले हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही की तो सब जगह यही चर्चा होगी कि हमने न्याय सेना के प्रदर्शन से डरते हुये हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही की है। सौरव कुमार बोलते जा रहे थे।

ऐसा होने से पुलिस की छवि और मनोबल दोनो ही गिरेंगे। इसलिये मैं चाहता हूं कि आप लोग अपना प्रदर्शन बिना किसी समय सीमा के स्थगित करने का सार्वजनिक ऐलान करें ताकि पुलिस के ऊपर से इस मामले में दबाव हट जाये। सौरव कुमार लगातार अपना पक्ष रखते जा रहे थे।

आपका प्रदर्शन परसों के लिये निश्चित है। परसों का दिन निकलते ही उससे अगले दिन पुलिस इस मामले में कार्यवाही कर देगी, ये मेरा प्रामिस है आपसे। इससे आपका काम भी हो जायेगा और पुलिस की प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी। सौरव कुमार ने अपनी बात पूरी करते हुये कहा।

प्रधान जी ने सौरव कुमार की बात को समझते हुये राजकुमार की ओर देखा जो बहुत ध्यान से सौरव कुमार के चेहरे पर ही नज़रें जमाये हुये था, जैसे उनके सच झूठ की परख कर रहा हो।

ये प्रामिस हम मीडिया में तो जाहिर नहीं कर सकते पर अगर आप चाहें तो मैं यही प्रामिस आपको आई जी साहिब के मुंह से भी दिलवा सकता हूं। सौरव कुमार ने प्रधान जी को कोई उत्तर न देते हुये देखकर बात को संभालने के लिये जल्दी से कहा।

जब काम रोज़ आपसे करवाते हैं तो प्रामिस आई जी साहिब से क्यों लेंगे सर। इससे आपका अपमान होगा और हमारा चरित्र छोटा हो जायेगा। आपने जैसा कहा है, वैसा हो जायेगा। राजकुमार ने कहते हुये प्रधान जी की ओर देखा जो उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे।

देखा आपने एस एस पी साहिब, हमारे राजकुमार की सोच कितनी बड़ी है। जो हमारे राजकुमार ने कह दिया, वही होगा। हमें आपका प्रस्ताव मंजूर है। प्रधान जी ने गर्मजोशी के साथ कहा।

ये कहकर तो आपने हमारा काम बहुत आसान कर दिया, प्रधान जी। पुलिस आपके इस सहयोग के लिये आपकी आभारी रहेगी। आईये अब चाय पीते हैं, नहीं तो इसके ठंडे हो जाने का नैतिक दायित्व भी आप शहर के पुलिस चीफ पर डाल देंगें। सौरव कुमार के इतना कहते ही कमरे में सबकी हंसी गूंज गयी।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 28

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

भाजी तो बड़े कमाल के आदमी हैं, पुत्तर जी। कितनी बड़ी सोच है उनकी। गाड़ी में बैठते हुये प्रधान जी ने कहा।

इतनी बड़ी सोच है उनकी, तभी तो इस मुकाम पर पहुंचे हैं। कितनी बड़ी बात कह दी उन्होंने, मेरे कारण कोई नुकसान मत उठा लेना। महान लोगों के यही लक्ष्ण होते हैं। सबका फायदा ही सोचते हैं। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

बिल्कुल ठीक कहा तुमने राजकुमार, चलो अब ऑफिस चलते हैं। प्रधान जी के कहते ही राजकुमार ने गाड़ी न्याय सेना के कार्यालय की ओर बढ़ा दी।

अब आगे क्या करना है, पुत्तर जी। ऑफिस पहुंचते ही प्रधान जी ने कहा।

अब हमें कुछ नहीं करना प्रधान जी, जो करना है पुलिस को ही करना है। हमें तो बस उनकी बतायी जगह पर जाकर चाय पीनी है। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

और साथ में बिस्किट भी खाने हैं। प्रधान जी ने भी मज़ा लिया।

लगभग आधे घंटे बाद प्रधान जी के मोबाइल की घंटी बजी और दुग्गल साहिब का नंबर फ्लैश होने लगा। दोनों समझ चुके थे कि फोन क्यों आया है।

हैलो, मैं सुल्ताना डाकू बोल रहा हूं। प्रधान जी ने मज़ा लेने वाले अंदाज़ में कहा।

ओये तूने तो आज आने का वायदा किया था, आया क्यों नहीं अब तक। दूसरी ओर से रमन दुग्गल ने बनावटी गुस्से में कहा।

गलती हो गयी जनाब, मेरा चालान मत काटना। आप जो कहो, मैं करने के लिये तैयार हूं। प्रधान जी ने डरने की एक्टिंग करते हुये कहा।

तो फौरन चला आ मेरे घर। रमन दुग्गल ने हंसते हुये कहा।

बिस्किट खिलाओगे चाय के साथ। प्रधान जी अब पूरे मूड में थे।

ओये तू पहले आ तो सही, फिर करता हूं तेरी सेवा। रमन दुग्गल ने फिर हंसते हुये कहा

तो बस पहुंचते हैं आपके पास दस मिनट में। प्रधान जी ने कहा और राजकुमार की ओर देखा जो पहले से ही गाड़ी की चाबी उठा चुका था।

करीब पच्चीस मिनट बाद प्रधान जी रमन दुग्गल के निवास पर बैठे चाय में अपने फेवरिट बिस्किट डुबो कर खा रहे थे। राजकुमार भी उनके साथ ही बैठा था।

ओये बस कर अब, लंगर लूटने आया है, सुबह से खाया नहीं कुछ। रमन दुग्गल ने प्रधान जी को चिढ़ाने वाले अंदाज़ में कहा।

खाया तो बहुत कुछ है, पर मैने सुना है कि दुग्गलों के घर का खाने से स्वर्ग मिलता है। प्रधान जी ने एक और बिस्किट उठाते हुये कहा।

हां जिस तरह से तू खाता जा रहा है, आज ही मिल जायेगा स्वर्ग तुझे। रमन दुग्गल की इस बात पर सब लोग ज़ोर से हंस दिये।

लो हो गयी पेट पूजा, अब बताओ मेरे दुग्गल साहिब, क्या बात है। प्रधान जी ने अपनी चाय समाप्त करते हुये कहा।

एस एस पी साहिब तुमसे मिलना चाहते हैं। रमन दुग्गल ने एक दम सीधी बात की।

जब करवाओगे, यार का नुकसान ही करवाओगे। मैने सोचा था किसी अनारकली से मिलवाओगे और आप एस एस पी साहिब से मिलवा रहे हो। प्रधान जी ने चुटकी ली।

ये मज़ाक का समय नहीं है वरुण, मैं सीरियस हूं इस समय। चमन शर्मा के केस के बारे में तुम लोगों से बात करने के लिए साहिब तुमसे मिलना चाहते हैं। पुलिस भी इस केस को निपटाना चाहती है, इसलिये इस बार की इस बातचीत में इसका कोई न कोई हल जरूर निकल आयेगा। रमन दुग्गल ने गंभीर स्वर में कहा।

जो हुक्म मेरी सरकार। बताईये कब और कहां मिलना है। रमन दुग्गल को प्रधान जी के इतनी जल्दी मान जाने पर कोई विशेष हैरानी नहीं हुयी। इसका अर्थ उन्हें इसका कारण पहले से ही पता था।

अभी जा सकते हो उनके घर, मैं बात करूं साहिब से। रमन दुग्गल ने तत्परता से पूछा।

अभी नहीं सर, सुबह उनके ऑफिस का समय फिक्स कीजिये। राजकुमार ने प्रधान जी के कुछ कहने से पहले ही जल्दी से कहा। उसके ये कहते ही रमन दुग्गल ने प्रधान जी की ओर देखा।

राजकुमार के कहे और मेरे कहे में कोई फर्क नहीं है, दुग्गल साहिब। रमन दुग्गल को अपनी ओर देखते पाकर प्रधान जी ने जल्दी से कहा और फिर राजकुमार की ओर प्रश्नात्मक ढ़ंग से देखने लगे जैसे उसके इस फैसले का कारण जानना चाहते हों।

ये मामला इस समय सारे शहर में गर्म है सर, और शहर के मीडिया ने हमारा बहुत साथ दिया है इस मामले में। हम रात को इस तरह एस एस पी साहिब के घर बिना किसी को बताये जायेंगे तो इसमें हमारा और आपका दोनों का नुकसान हो सकता है। राजकुमार ने अपनी बात शुरू की।

आप जानते हैं कि बहुत से अखबारों के खबरी हर डिपार्टमैंट की तरह पुलिस में भी हैं। रात को इस तरह प्रदर्शन से दो दिन पहले हमारे एस एस पी साहिब के घर जाने की सूचना अगर किसी तमाशा देखने वाले पत्रकार को लग गयी तो सुबह के अखबारों में बखेड़ा खड़ा हो जायेगा। हम पर और आप पर इस मामले में फिक्सिंग का आरोप लग सकता है। राजकुमार ने अपनी बात को विराम दिया तो रमन दुग्गल ने एकदम से सहमति में सिर हिलाया।

लड़के की बात ठीक है वरुण, तू भी थोड़ी अक्ल सीख ले इससे। हर जगह ताकत लगाता रहता है। रमन दुग्गल ने राजकुमार की प्रशंसा करते हुये प्रधान जी को छेड़ने वाले अंदाज़ में कहा।

हमारा आपस में समझौता है दुग्गल साहिब, ज़ोर वाले काम मैं करुंगा और दिमाग वाले ये। प्रधान जी ने भी मज़ा लेते हुये राजकुमार की ओर प्रशंसा भरी नज़र से देखा।

सुबह उनके ऑफिस जाने तक हम सभी मुख्य अखबारों से इस केस पर हमारे साथ काम कर रहे पत्रकारों को सूचित कर देंगें कि एस एस पी सौरव कुमार ने हमें बुलाया है। वो इस मामले का शांतिपूर्ण हल चाहते हैं और शहर में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये हमने उनके इस प्रस्ताव का स्वागत किया है। इससे पुलिस की और हमारी, दोनों की छवि को लाभ होगा, और किसी को चोरी छिपे सांठ गांठ करने का आरोप लगाने का मौका भी नहीं मिलेगा। राजकुमार कहता जा रहा था।

एस एस पी साहिब से बातचीत करते ही हम उस बातचीत के नतीजे के बारे में तुरंत मीड़िया को बता देंगे ताकि सारा मामला पूरी तरह से पारदर्शी रहे। राजकुमार ने कहने के बाद दुग्गल साहिब की ओर देखा।

हमें इस पर कोई एतराज नहीं है। तो फिर कल सुबह के लिये बात करूं मैं साहिब से। रमन दुग्गल ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

प्रधान जी के सहमति में सिर हिलाते ही दुग्गल साहिब ने सौरव कुमार का नंबर मिलाया और लगभग दो-तीन मिनट तक उनसे बात करने के बाद प्रधान जी की ओर देखकर बोले।

साहिब से बात हो गयी है, वो सुबह ग्यारह बजे आपसे ऑफिस में ही मिलेंगे। दुग्गल साहिब के कहने से पहले ही प्रधान जी उनकी सौरव कुमार से हुयी बातचीत के माध्यम से ये जान चुके थे।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 27

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

उसी दिन दोपहर करीब दो बजे प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यलय में न्याय सेना के कुछ अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठे विचार विमर्श कर रहे थे।

आज के अखबारों में कवरेज तो बहुत अच्छा मिल गया है हमें। अब इस बात का ध्यान रखना है मेरे शेरो, कि इस प्रदर्शन में कोई कमी न रह जाये। सारे शहर के सरकारी तंत्र और मीडिया का ध्यान लगा है इस मामले पर। प्रधान जी ने सबसे मुखातिब होते हुये कहा।

आप चिंता मत कीजिये प्रधान जी, अपने सारे लोग तैयार हैं। जग्गू ने जोश में आते हुये कहा।

और मेरा सारा दल भी तैयार है प्रधान जी। राजू ने भी जैसे मुकाबला करते हुये कहा।

और आपकी क्या स्थिति है डाक्टर साहिब। प्रधान जी ने डाक्टर पुनीत की ओर देखते हुये कहा। डाक्टर पुनीत न्याय सेना के एक और महत्वपूर्ण पदाधिकारी थे।

सबको सूचित कर दिया है प्रधान जी, आप कोई चिंता न करें। डाक्टर पुनीत का स्वर आत्मविश्वास से भरा हुआ था।

हमारी मजदूर यूनियन, राजस्थानी भाई बहनों का दल, सफाई कर्मचारी संगठन, पहलवानों का दल और बाकी सारे संगठन…………… इस बार प्रधान जी का प्रश्न राजकुमार की ओर था।

सबसे बात हो गयी है मेरी प्रधान जी, और सब हल्ला बोलने के लिये तैयार हैं। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

बस तो फिर ठीक है। कल सुबह एक बार फिर सब ऑफिस में ही बैठ कर अगली रणनीति बनायेंगे। अब आप सब लोग जा सकते हैं।

पांच मिनट में एक एक करके सब जा चुके थे और प्रधान जी राजकुमार की ओर देखते हुये कह रहे थे।

खाने का क्या प्रबंध है पुत्तर जी। आज चिकन खाया जाये, यार बड़े दिन से चिकन नहीं खाया। कहते कहते प्रधान जी के चेहरे पर चमक आ गयी थी। हर कोई जानता था कि चिकन प्रधान जी की फेवरेट डिश थी। प्रधान जी को नान वैज खाने का बहुत शौक था जबकि राजकुमार शुद्ध शाकाहारी था।

तो चलिये फिर आज आपको चिकन ही खिलाते हैं………………राजकुमार की बात अभी अधूरी ही थी कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लैश हो रहा नंबर प्रधान जी को दिखाते हुये उसने उन्हें चुप रहने का संकेत दिया।

कैसे हैं भाई साहिब। राजकुमार ने कॉल रिसीव करते ही कहा।

एक बड़ी डिवेल्पमैंट हुयी है आज, उसी के बारे में खबर देने के लिये फोन किया है। दूसरी ओर से युसुफ आज़ाद बोल रहे थे।

जी बोलिये, मैं सुन रहा हूं। राजकुमार के कहते कहते प्रधान जी ने भी अपना कान उसके मोबाइल के साथ लगा दिया था।

अमर प्रकाश के चंडीगढ़ कार्यालय से आज एक वरिष्ठ पत्रकार ने विधान सभा में जाते समय सी एम से हरपाल सिंह के मामले में उनका पक्ष मांगा है। आज़ाद ने अपने खास अंदाज़ में कहा।

ये तो बहुत अच्छी बात है, क्या कहा सी एम साहिब ने। राजकुमार ने जल्दी से पूछा।

कोई जवाब दिये बिना ही चले गये, पर पूरी बात को ध्यान से सुन लिया था उन्होंने। इससे इस मामले में आपको बहुत लाभ मिलेगा। सीधा सी एम के नोटिस में आ गया है अब ये मामला। आज़ाद ने अपनी बात पूरी की।

फिर तो ये खुशखबरी हो गयी भाई साहिब। राजकुमार ने खुश होते हुये कहा।

हां बस यही बताने के लिये फोन किया था, बाकी आप लोग जानो और आपका काम। कहते ही आज़ाद ने फोन काट दिया। राजकुमार जानता था कि काम की बात से अधिक एक सैकेंड भी बात करना पसंद नहीं करते थे आज़ाद।

ये तो बहुत अच्छा हुआ पुत्तर जी। सी एम को जितना मैं जानता हूं, वो इस छोटे से मामले को लेकर अपनी सरकार की बदनामी नहीं होने देंगे और पुलिस को मामला संभालने के लिये कहेंगे। प्रधान जी भी सबकुछ सुन चुके थे।

और मामला संभालने का अर्थ है हरपाल सिंह पर कार्यवाही का निर्देश, क्योंकि इस मामले में यही एक काम करने वाला है। राजकुमार ने प्रधान जी की बात पूरी की।

ओ तेरे बच्चे जीयें, एक दम सही जगह पहुंच गया है तू। प्रधान जी ने खुश होते हुये कहा।

अभी कहां प्रधान जी, सही जगह तो वो है जहां बटर चिकन मिलेगा। राजकुमार ने चुटकी ली।

ओ तेरी की………………इस फोन के चक्कर में मैं बटर चिकन तो भूल ही गया था। जल्दी करो पुत्तर जी, बहुत भूख लगी है मुझे। प्रधान जी के चेहरे पर फिर से चमक आ गयी थी।

लगभग चार बजे प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यलय में बैठे इसी मामले के कुछ पहलुओं पर गौर कर रहे थे कि प्रधान जी के फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर चमकता नाम देखते ही प्रधान जी ने राजकुमार को चुप रहने का इशारा किया।

सत श्री अकाल प्रधान जी, भाजी बात करना चाहते हैं आपसे। दूसरी ओर से आवाज़ आयी। फोन सत्यजीत समाचार के कार्यालय से आया था।

वरुण कहां पर हो। प्रधान जी के कुछ कहने से पहले ही उधर से भाजी की आवाज़ आयी।

ऑफिस में ही हूं भाजी, आप हुक्म  कीजिये। प्रधान जी ने पूरे आदर के साथ कहा।

फौरन मेरे पास आ जाओ, राजकुमार को साथ लेकर आना। भाजी के स्वर में रहस्य था।

जी भाजी, बस पांच मिनट में पहुंचा। प्रधान जी के कहते ही दूसरी ओर से फोन काट दिया गया।

चलो पुत्तर जी, भाजी ने फौरन बुलाया है। तेजी से उठते हुये प्रधान जी ने कहा।

क्यों पुत्तर जी क्या लगता है, भाजी ने क्यों बुलाया होगा हमें। दो मिनट बाद गाड़ी में बैठे प्रधान जी ने राजकुमार से पूछा जो गाड़ी स्टार्ट कर चुका था।

इसमें लगने वाली कोई बात ही नहीं है प्रधान जी, हरपाल सिंह के मामले पर बात करने के लिये ही बुलाया है। राजकुमार ने पूरे विश्वास के साथ कहा।

इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो तुम। प्रधान जी ने प्रश्नात्मक स्वर में पूछा।

भाजी अपने ऑफिस तीन से साढ़े तीन पहुंचते हैं और आम तौर पर चार साढे चार बजे तक अखबार के काम के कारण अधिक लोगों से मिलना पसंद नहीं करते। उनका दरबार पांच बजे के बाद ही सजता है। राजकुमार ने तेजी से कहा।

चार बजे भाजी का फोन आने का केवल एक ही अर्थ है कि कोई जरुरी बात है। और इस समय शहर में भाजी जैसे व्यक्ति के स्तर की ऐसी जरुरी बात केवल एक ही है, जिसमें हमारी जरुरत पड़े। राजकुमार ने अपनी बात पूरी करते हुये कहा।

ओ तेरे बच्चे जीयें। प्रधान जी एक दम से सबकुछ समझ गये थे।

भाजी जानते हैं कि जब आप उनके पास जाते हैं तो लगभग हर बार मैं आपके साथ ही जाता हूं, फिर भी उन्होंने विशेष रूप से मुझे साथ लेकर आने के लिये कहा है। राजकुमार ने आगे बोलते हुये कहा।

हां पुत्तर जी, ये बात मैने भी नोट की थी। प्रधान जी की दृष्टि एक बार फिर राजकुमार पर जम चुकी थी।

इसका अर्थ ये है कि वहां पर जाकर आपको कोई बड़ा निर्णय लेना है। भाजी जानते हैं कि आप कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय मेरे साथ विचार किये बिना नहीं लेते, इसलिये मुझे भी साथ बुलाया है, ताकि बात मौके पर ही निपटायी जा सके। राजकुमार अब मुस्कुरा रहा था।

ओये कंजर बड़ा शैतान है तू। कितनी सही जगह पर पहुंचा है एकदम। प्रधान जी हैरानी से राजकुमार का मुंह देख रहे थे।

आज की तारीख में आपके और मेरे द्वारा लिये जाने वाला महत्वपूरर्ण निर्णय एक ही है, प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

और वो है हरपाल सिंह के केस से जुड़ा हमारे प्रदर्शन का निर्णय। प्रधान जी ने राजकुमार की बात पूरी करते हुये कहा।

अब आप भी एक दम ठीक जगह पर पहुंच गये हैं, प्रधान जी। राजकुमार मुस्कुरा रहा था।

तो फिर क्या करना चाहिये हमें पुत्तर जी। प्रधान जी के स्वर में एक बार फिर प्रश्न था।

इस समय कुछ सोचने की जरुरत नहीं है प्रधान जी। भाजी की बात सुनने के बाद मौके पर ही फैसला ले लेंगे। भाजी ने आज तक हमेशा हमारा फायदा ही किया है, तो आज भी हमारा फायदा ही सोचेंगे। राजकुमार ने निश्चिंत भाव में कहा।

हां पुत्तर जी, ये बात तो ठीक है। अपना भाजी हीरा है। कभी हमारा नुकसान नहीं करवाया आज तक, अपने फायदे के लिये। प्रधान जी के कहते कहते ही राजकुमार ने गाड़ी सत्यजीत समाचार के कार्यालय के बाहर बनी पार्किंग में लगा दी थी।

दो मिनट बाद जब प्रधान जी और राजकुमार भाजी के कार्यालय में घुसे तो भाजी ने उन्हें देखते ही अपने निजी केबिन में जाने का संकेत किया और कर्मचारी को चाय का प्रबंध करने के लिये कहा।

दोनों अभी केबिन में बैठे ही थी कि भाजी ने भी केबिन में प्रवेश किया।

प्रधान जी और राजकुमार के चरण स्पर्श का जवाब देने के बाद भाजी ने बिना कोई समय गंवाये कहा।

सौरव कुमार का फोन आया था, वो तुम लोगों से बातचीत करना चाहते हैं।

बातचीत करना चाहते हैं, अब इस केस में बातचीत करने वाला क्या है। प्रधान जी ने हैरान होते हुये पूछा।

ये तो मुझे पता नहीं पर सौरव ने मुझे ये भी कहा है कि इस बातचीत के दौरान ही इस मामले को सुलझा लिया जायेगा। मेरे ख्याल से तुम्हें चले जाना चाहिये। तुम्हारी एक बड़ी जीत के आसार दिख रहे हैं मुझे। भाजी ने समझाने वाले भाव में कहा।

मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा भाजी। अगर सौरव कुमार को हमारा काम ही करना है तो फिर हमें बातचीत के लिये क्यों बुलाना चाहते हैं। सीधा हरपाल सिंह के खिलाफ बनती कानूनी कार्यवाही कर दें। सारा मामला ही खत्म हो जायेगा। फिर जब चाहें बुला लें हमें। प्रधान जी अभी भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे।

मेरे विचार में सौरव कुमार इस केस में कार्यवाही करने से पहले हमसे कुछ मांगना चाहते हैं, शायद इसीलिये बातचीत पर बुला रहे हैं। राजकुमार ने अपना विचार व्यक्त करते हुये कहा।

पर हमसे क्या मांग कर सकते हैं वो, पुत्तर जी। प्रधान जी अभी भी सोच रहे थे।

शायद प्रदर्शन को स्थगित करने की मांग करेंगे वो। राजकुमार के ये कहते ही भाजी की आंखों में प्रशंसा के भाव उतर आये थे।

ऐसे कैसे रोक देंगें प्रदर्शन को, प्रधान जी एकदम से उखड़ गये थे। जरूर यही बात होगी भाजी, ये सौरव कुमार की कोई चाल है। हम नहीं जायेंगे उससे बात करने।

अपने आप को शांत करो वरुण, और चाय पीयो। फिर आगे बात करते हैं। भाजी ने मुस्कुरा कर टेबल पर आ चुकी चाय की ओर इशारा करते हुये कहा।

अब मुझे ये बताओ इस केस में तुम्हारा मकसद क्या है, चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाना या पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करना। भाजी ने फिर से समझाने वाले स्वर में कहा।

चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाना भाजी, अगर वो हो जाये तो हमें प्रदर्शन करने की आवश्यकता ही क्या है। प्रधान जी से पहले ही राजकुमार बोल पड़ा था।

अगर चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाने का वायदा करके सौरव कुमार तुमसे अपने लिये कोई लाभ मांग ले, तो इसमें तुम्हारा नुकसान है कुछ। भाजी ने आगे कहा।

और कल को अगर वो वायदा पूरा नहीं हुआ तो, हम तो न इधर के रहेंगे न उधर के। नहीं नहीं भाजी हम ये बातचीत………………………प्रधान जी के हाथ को दबाते हुये बीच में ही रोक दिया राजकुमार ने।

प्रधान जी, आप ये क्यों नहीं सोचते कि अगर हमसे कोई वायदा करने के बाद सौरव कुमार पीछे हटते हैं तो फिर हमसे भी बड़ा दुश्मन उनका कौन बन जायेगा। राजकुमार ने प्रधान जी को आंखों ही आखों मे इशारा करते हुये कहा।

भाजी……………………प्रधान जी के मुंह से राजकुमार का संकेत समझते ही निकल गया था।

और आपको लगता है कि सौरव कुमार अपनी किसी छोटी मोटी बात को मनवाने के लिये भाजी को बीच में डालकर मुकर सकते हैं, ताकि भाजी उनके दुश्मन बन जायें। राजकुमार ने बात को पूरा करते हुये कहा।

अरे ये तो मैने सोचा ही नहीं था। प्रधान जी जैसे सब समझ गये थे।

इसीलिये तो तुझे कहा था वरुण, राजकुमार को साथ लेकर आना। गुस्से में तू बोलता बहुत है और सोचता बिल्कुल नहीं। भाजी ने शिकायत करने वाले स्वर में शरारत से कहा।

हे हे भाजी………वो मैं……… कुछ सूझता न देखकर प्रधान जी ने चाय का कप उठा कर चाय पीनी शुरु कर दी थी।

आप हुक्म कीजिये भाजी, हमें क्या करना है। राजकुमार ने बात को आगे बढ़ाते हुये कहा। उसे इस मामले में न्याय सेना की एक बड़ी जीत स्पष्ट नज़र आ रही थी।

जी भाजी, आप हुक्म करो, आपके लिये हमारी जान हाज़िर है। प्रधान जी अब अपने स्वाभाविक रंग में आ गये थे।

मुझे कोई हुक्म नहीं देना है वरुण, ये मेरा काम नहीं है। मैने सौरव कुमार से भी कोई वायदा नहीं किया है। केवल इतना कहा है कि अगर ये मामला शांति से हल हो सकता है तो मैं जरूर इसके लिये कोशिश करुंगा, और मैं वही कोशिश कर रहा हूं। भाजी ने प्रेम भर स्वर में कहा।

तुम एक इमानदार नेता हो वरुण, और सौरव कुमार एक अच्छे पुलिस अधिकारी हैं। हालात के चलते कई बार दो अच्छे लोगों में भी मतभेद हो जाते हैं, जो इस बार हुआ है। मैं केवल ये चाहता हूं कि अगर ये मतभेद समाप्त हो जायें तो इसमे सारे शहर का लाभ है। न्याय सेना और पुलिस के टकराव से लाभ केवल शरारती लोगों को ही मिल सकता है, और किसी को नहीं। भाजी के स्वर में प्रेम बना हुआ था।

ये तो बहुत बड़ी बात कह दी आपने भाजी, ऐसा तो मैने सोचा ही नहीं था। आपकी बात ठीक है, सौरव कुमार ने अधिकतर समय हमारे हर जायज काम को जल्दी से जल्दी करवाया है। हमें एक मुद्दे को लेकर वो सारी बातें भूल नहीं जानी चाहियें। प्रधान जी जैसे सब समझ गये थे।

बड़ी बात सोचते और कहते हैं, तभी तो सारा पंजाब इन्हें भाजी कहता है, प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी को छेड़ते हुये कहा। उसकी इस बात पर भाजी और प्रधान जी दोनो ही हंस पड़े।

तो अब क्या करना है भाजी। प्रधान जी ने एक बार फिर भाजी की ओर देखा।

ये तुम्हारा और पुलिस का आपसी मामला है और तुम्हे ही सुलझाना है। मैं सौरव कुमार से कह दूंगा कि तुम लोगों से संपर्क करके बातचीत के लिये कोई जगह तय कर ली जाये और इस मुद्दे को सुलझा लिया जाये। भाजी ने अपनी बात पूरी की।

तो बस ठीक है फिर भाजी, हम पूरी कोशिश करेंगे कि बातचीत के माध्यम से इस मसले का कोई हल निकल जाये। प्रधान जी ने अपनी चाय समाप्त करते हुये कहा।

एक बात का और ध्यान रखना। मैने केवल इसमें सबका लाभ देखकर तुम्हें बातचीत करने की सलाह दी है। अगर बातचीत के दौरान तुम लोगों को कहीं भी लगे कि पुलिस के प्रस्ताव में तुम्हारा कोई नुकसान हो रहा है, तो तुम फौरन मना कर देना। मेरे कारण तुम्हारा कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। भाजी ने बहुत बड़ी बात कह दी थी।

ये कह कर तो आपने हमारे दिल में अपनी जगह और भी बड़ी कर ली है, भाजी। कहते हुये प्रधान जी और राजकुमार ने भाजी के चरण स्पर्श करते हुये उनसे विदा ली।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 26

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

लगभग 15 मिनट बाद रमन दुग्गल सौरव कुमार के कार्यालय में उनके सामने बैठे हुये थे।

एक गुड न्यूज़ है दुग्गल साहिब। सी एम साहिब ने हरपाल सिंह के मामले में कार्यवाही करने की इजाज़त दे दी है। सौरव कुमार ने प्रसन्नता भरे स्वर में कहा।

अरे वाह सर, ये तो बहुत अच्छी खबर सुनायी आपने। अब तो हमें तुरंत कार्यवाही कर देनी चाहिये इस मामले में। रमन दुग्गल ने तत्परता दिखाते हुये कहा।

अभी एक समस्या और है, दुग्गल साहिब। सौरव कुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

सी एम साहिब की परमीशन के बाद अब कौन सी समस्या रह गयी है सर। रमन दुग्गल ने उत्सुकुता भरे स्वर में पूछा।

जिस तरह से अखबारों ने इस मामले में पुलिस के खिलाफ छापा है, उससे हमारी छवि को नुकसान हुआ है। न्याय सेना की तीन दिन के अंदर पुलिस कार्यवाही न होने पर एक बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी ने एक मनोवैज्ञानिक दबाब बना दिया है पुलिस पर। अब अगर हमने तीन दिन के रहते ये कार्यवाही कर दी तो………………………… सौरव कुमार ने मुस्कुराते हुये अपनी बात अधूरी छोड़ दी।

तो सब ये समझेंगे कि हमने न्याय सेना के दबाव में आकर ये कार्यवाही की है। मैं आपका मतलब समझ गया, सर। रमन दुग्ग्ल ने सौरव कुमार की अधूरी बात पूरी करते हुये कहा।

इससे हमारी पुलिस का मनोबल गिरेगा और कल को कोई भी संगठन उठकर अपने जायज नाजायज काम न होने की सूरत में प्रदर्शन करने की धमकी देने लग जायेगा। सौरव कुमार ने एक और प्वाईंट उठाया।

बिल्कुल ठीक कहा आपने सर। रमन दुग्गल ने सहमति में सिर हिलाते हुये कहा।

इसलिए मैं चाहता हूं कि हमारे कार्यवाही करने से पहले न्याय सेना अपने प्रदर्शन करने के फैसले को सार्वजनिक रूप से वापिस ले ले। अपनी बात पूरी करते हुये कहा सौरव कुमार ने।

बात तो आपकी बिल्कुल ठीक है सर, पर ये होगा कैसे। वरुण को मैं अच्छी तरह से जानता हूं। एक बार उसने प्रदर्शन करने की चेतावनी दे दी तो कार्यवाही होने से पहले वो किसी भी तरह से प्रदर्शन टालने की बात पर नहीं मानेगा। ये नहीं हो पायेगा सर। रमन दुग्गल ने दुविधा भरे स्वर में कहा।

मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं, दुग्गल साहिब। कोशिश करने में क्या हर्ज है। सौरव कुमार ने प्रोतसाहन देने वाले स्वर में कहा।

जी सर, कोशिश तो की ही जा सकती है। रमन दुग्गल ने कहा।

तो कीजिये फिर एक पूरी इमानदार कोशिश। वरुण शर्मा को बातचीत के लिये बुलाईये और इस बात का उचित हल निकालने में मेरी मदद कीजिये। सौरव कुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

मैं बुलाऊं सर। रमन दुग्गल जैसे समझ गये थे कि सौरव कुमार ने उन्हें क्यों याद किया था।

आपसे अधिक किसकी बात मानते हैं वरुण शर्मा पुलिस में। इसलिये ये काम तो आप ही को करना होगा। सौरव कुमार की मुस्कुराहट गहरी होती जा रही थी।

जैसा आप कहें सर, पर मैं कुछ निवेदन करना चाहता था। रमन दुग्गल ने कुछ सोचते हुये कहा।

कहिये दुग्गल साहिब, बेझिझक कहिये। सौरव कुमार ने प्रोत्साहित करने वाले स्वर में कहा।

वरुण बहुत ही भावुक इंसान है। जिस तरह से उस दिन आपकी और उसकी झड़प हुयी है, वो पूरी पुलिस को अपना दुश्मन मान कर बैठ गया होगा। इसलिये मेरी तो क्या, वो किसी भी पुलिस अफसर की बात सुनने पर राज़ी नहीं होगा। हमें किसी ऐसे आदमी की सहायता लेनी होगी जिसका वरुण बहुत आदर करता हो, और जो पुलिस वाला भी न हो। रमन दुग्गल ने अर्थपूर्ण शब्दों में सौरव कुमार की ओर देखा।

मैं आपका इशारा समझ गया, दुग्गल साहिब। बहुत अच्छा सुझाव है। मैं फौरन इस पर काम करता हूं। आप ये समझिये कि आपको आगे क्या करना है। कहने के बाद सौरव कुमार कुछ देर तक रमन दुग्गल को कुछ समझाते रहे और रमन दुग्गल बीच बीच में ‘जी सर, जी सर’ बोलते रहे।

तो फिर ठीक है दुग्गल साहिब, आप मेरे फोन का इंतजार कीजिये और उसके बाद तुरंत अपनी कार्यवाही शुरु कर दीजियेगा। करीब दस मिनट के बाद सौरव कुमार का स्वर कमरे में गूंजा।

जी बिल्कुल ठीक है, जय हिन्द सर। रमन दुग्गल ने सौरव कुमार को सलाम ठोका और अपने कार्यालय की ओर चल दिये।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 25

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

उसी दिन चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री की गाड़ी विधान सभा में होने वाली कैबिनेट की मीटिंग के लिये पहुंची ही थी कि पत्रकारों ने तरह तरह के मुद्दों पर उनसे सवाल पूछने शुरु कर दिये। दो तीन मिनट तक संक्षेप में जवाब देने के बाद जब मुख्यमंत्री विधान सभा की ओर चलने लगे तो पीछे से आ रही एक आवाज़ ने उनका ध्यान खींचा।

आपके सबसे करीबी कैबिनेट मंत्री अवतार सिंह का नाम जालंधर में भू माफिया के साथ जोड़ा गया है, सी एम साहिब। बहुत बवाल मचा हुआ है जालंधर में। एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी हो रही है वहां। आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे। मुख्यमंत्री ने इस आवाज़ को सुनते हुये भी अनसुना किया और तेज़ कदमों से विधान सभा में प्रवेश कर गये।

अमर प्रकाश के चंढीगढ़ कार्यालय से वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण त्रिवेदी था, सी एम साहिब। उनके साथ चल रहे उनके एक विश्वस्त का स्वर उनके कानों में पड़ा।

कैबिनेट की मीटिंग समाप्त होने के बाद जब सब लोग विदा लेने को हुये तो मुख्यमंत्री ने अवतार सिंह को रुकने का इशारा किया। अवतार सिंह के लिये ये सामान्य बात थी। मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण वो अकसर उसे किसी मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिये रोक लेते थे।

ये जालंधर वाले हरपाल सिंह का क्या मामला है, अवतार। पांच मिनट बाद मुख्यमंत्री के निजी केबिन में बैठे अवतार सिंह के कानों में जब ये आवाज़ पड़ी तो वो समझ गया कि मामला बिगड़ गया है।

जी वो, हरपाल सिंह अपनी पार्टी का बहुत पक्का और पुराना समर्थक है। बात को संभालने की कोशिश करते हुये कहा अवतार सिंह ने।

वो तो ठीक है अवतार, पर ये मामला अब सीरियस हो गया है। पुलिस की प्रतिष्ठा खराब हो रही है इस मामले में। मुख्यमंत्री का स्वर गंभीर था।

पुलिस को तो वैसे ही बात को बढ़ा चढ़ा कर बताने की आदत होती है, सी एम साहिब। अवतार सिंह ने अंदाज़ा लगा लिया था कि सौरव कुमार ने मुख्यमंत्री को फोन किया होगा।

सौरव हमारा बहुत विश्वस्त है अवतार, और एक बहुत कुशल अधिकारी भी। इसीलिये तो जालंधर जैसे मुश्किल शहर को इतने समय से कुशलता के साथ संभाल रहा है। अगर वो कहा रहा है कि स्थिति गंभीर है, तो मान लो कि स्थिति गंभीर है। मुख्यमंत्री ने सौरव कुमार का नाम छिपाने की कोई भी कोशिश किये बिना कहा।

पर इस तरह अगर हमारे पार्टी समर्थकों का नुकसान होने लगा और हम चुपचाप देखते रहे, तो फिर कौन कार्य करेगा हमारी पार्टी के लिए, सी एम साहिब। अवतार सिंह ने दलील दी।

इस तरह के गंदे काम करने वाले लोग हमें अपनी पार्टी में नहीं चाहिये, अवतार। अब मेरी बात को ध्यान से सुनो। मुख्यमत्री के स्वर की गंभीरता बढ़ गयी थी।

तुम मेरे स्वर्गवासी मित्र के बेटे हो, इस लिये तुम पर मेरा विशेष स्नेह रहता है। ये बात मैं तुम्हें मुख्यमंत्री होने के नाते नहीं बल्कि तुम्हारा अंकल होने के नाते समझा रहा हूं। स्नेह भरे स्वर में बोले सी एम।

जी कहिये। अवतार सिंह भी थोड़ा भावुक हो गया था अब।

तुम अभी युवा हो और तुम्हें राजनीति में बहुत आगे जाना है। इस तरह के गलत फैसले तुम्हारे राजनैतिक करियर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हम लोग किसी की उन्नीस इक्कीस होने पर मदद तो कर सकते हैं, किंतु किसी के सरेआम गलत साबित हो जाने के बाद भी उसका साथ देना एक भयंकर राजनैतिक भूल होती है। अवतार सिंह को अब सी एम साहिब की बात कुछ कुछ समझ आने लगी थी।

चाहता तो मैं सुबह ही सौरव को इस मामले में कार्यवाही करने के निर्देश दे सकता था। पर मैं नहीं चाहता था कि तुम्हें ये बात कार्यवाही होने के बाद पता चले। इसलिये पहले तुम्हें बुला कर समझाना उचित समझा मैने। इस मामले से अपना हाथ खींच लो बेटा, हरपाल सिंह सहायता करने के लायक नहीं है। पिता समान स्नेह उमड़ आया था सी एम साहिब के स्वर में।

जैसा आपका आदेश होगा, मैं वही करुंगा, अंकल। कहते हुये अवतार सिंह ने सी एम साहिब के चरण स्पर्श किये। बात पूरी तरह से उसकी समझ में आ चुकी थी कि उसकी ये नादानी उस पर और मुख्यमंत्री साहिब पर कितनी भारी पड़ सकती थी।

मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। आशिर्वाद देते हुये सी एम साहिब ने कहा और अवतार सिंह उनसे विदा लेते हुये कमरे से बाहर चला गया।

एस एस पी जालंधर से मेरी बात करवायी जाये। उसके जाते ही मुख्यमंत्री ने फोन उठाकर आपरेटर को आदेश दिया।

एक मिनट से भी कम समय में फोन की घंटी बजी और उठाते ही आपरेटर की आवाज़ आई।

एस एस पी जालंधर लाईन पर हैं सर, मैं कनेक्ट कर रहा हूं।

जय हिंद सर, कहिये क्या आदेश हैं मेरे लिये। दूसरी ओर से सौरव कुमार का एलर्ट स्वर सुनायी दिया।

सौरव, अवतार से मेरी बात हो गयी है हरपाल सिंह वाले मामले में, और मैने उसे समझा दिया है। अब आप पर इस मामले में कोई दबाव नहीं आयेगा। आप इस मामले को अपनी समझ और विवेक के साथ जैसे चाहे हैंडल कर सकते हैं। मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं इस केस में। मुख्यमंत्री ने आश्वासन देने वाले अंदाज़ में कहा।

बहुत बहुत धन्यवाद सर, आपके इस फैसले से पुलिस का गिरता हुआ मनोबल एकदम से बढ़ जायेगा। सौरव कुमार के स्वर में खुशी साफ झलक रही थी।

इस मामले को जल्द ही निपटा कर मुझे रिपोर्ट कीजिये। अच्छा अब फोन रखता हूं। दूसरी ओर से सौरव कुमार के ‘जय हिन्द सर’ को सुनते सुनते ही मुख्यमंत्री ने फोन नीचे रख दिया।

हिमांशु शंगारी

संकटमोचक अध्याय 22

Sankat Mochak
Book Your Consultation at AstrologerPanditji.com
Buy This Book in India!
Buy This Book in USA!
Buy This Book in UK and Europe!

दूसरे अध्याय पढ़ने के लिये यहां क्लिक कीजिये।

फिर क्या हुआ पापा, क्या सौरव कुमार ने सी एम साहिब से बात की। क्या हरपाल सिंह को उसके किये की सज़ा मिली। क्या न्याय सेना को सफलता मिली। बताईये न पापा, बताईये न……… दस साल के बालक हनी ने सवालों की झड़ी लगा थी अपने पापा की ओर।

इस सारे घटनाक्रम के लगभग चौदह वर्ष बाद। चंडीगढ़ से एक गाड़ी जालंधर की ओर लगभग तीन घंटे से भागी जा रही थी। गाड़ी को ड्राईवर चला रहा था। ड्राईवर के साथ वाली सीट पर लगभग 34 वर्ष की एक महिला बैठी थी। पिछली सीट पर बैठा बालक हनी बार बार अपने पापा को सवाल पूछता जा रहा था और उसके पापा उसके साथ वाली सीट पर बैठे मुस्कुरा रहे थे।

हनी बेटा, बिहेव योरसेल्फ। सामने वाली सीट पर बैठी महिला ने पीछे मुड़ते हुये हनी को डांटने वाले अंदाज़ में कहा।

अरे करने दो इसे ज़िद, चंद्रिका। इसे ये कहानी सुनाने के लिये ही मैने तुमसे अगली सीट पर बैठने की रिक्वेस्ट की थी और खुद पीछे बैठा हूं। कार में राजकुमार की आवाज़ गूंज उठी।

राजकुमार अब लगभग चालीस वर्ष का हो चुका था। चेहरा एक दम क्लीन शेवन और चेहरे की तरह ही सिर भी एकदम क्लीन शेवन। शरीर अब पहले से भी मजबूत लग रहा था, जैसे नियमित रूप से कसरत करता हो।

तो सुनाईये न फिर पापा, आगे क्या हुआ। मुझे आपकी और प्रधान अंकल की ये कहानी पूरी सुननी है। हनी एक बार फिर ज़िद पर उतर आया था।

जरूर सुनाऊंगा पूरी कहानी बेटा, पर अब बाकी की कहानी घर आने के बाद। वो देखो हम जालंधर में प्रवेश कर चुके हैं। प्रधान अंकल का घर अब कुछ ही समय में आने वाला है। पुन्नु भईया से मिलना है न तुझे। राजकुमार ने हनी को बहलाने वाले ढंग में कहा।

हां पापा, पुन्नु भईया बहुत अच्छे हैं। मुझे बहुत सारे चाकलेट और बहुत सी चीज़ें लेकर देते हैं। हनी के इतना कहते ही राजकुमार की मन में पुन्नु के बचपन का वो रूप आ गया जोभईया चाकलेट, भईया चाकलेटकरता हुआ उसके पीछे भागता था। कितनी तेज़ निकल जाता है समय, राजकुमार ये सोच कर मुस्कुरा रहा था।

आप ऐसे क्यों मुस्कुरा रहे हैं, पापा। हनी की आवाज़ से राजकुमार की सोच टूटी।

कुछ नहीं बेटा, बस यूं ही। अच्छा अब ज़रा ये बताओ कि जब हम प्रधान जी के घर जायेंगे तो प्रधान जी पापा को देखकर क्या कहेंगे। राजकुमार ने बात का विषय बदलते हुये कहा।

ओ मेरा पुत्तर आ गया, ओ मेरा राजकुमार आ गया। हनी ने बिल्कुल प्रधान जी की नकल करते हुये कहा।

हनी, बैड मैनर्स बेटा, बड़ों की नकल नहीं उतारते। एक बार फिर चंद्रिका ने टोक दिया था हनी को।

उतारने दो इसे नकल अपने प्रधान अंकल की, चंद्रिका। बड़े लोगों की ही तो नकल उतारी जाती है। इसीलिये तो दुनिया कामयाब लोगों की ही नकल उतारती है, हर ऐरे गेरे की नहीं। राजकुमार ने चंद्रिका की ओर देखते हुये कहा।

आप और आपकी फिलासफी, दोनो मेरी समझ से बाहर हैं। बिगाड़ो अपने बेटे को, मुझे क्या। हंसती हुयी चंद्रिका फिर से आगे की ओर मुंह करके बैठ गयी।

हां तो बेटा, प्रधान जी जब तुझे देखेंगे, तो क्या कहेंगे। राजकुमार ने मज़ा लेते हुये हनी से पूछा।

ओ मेरा छोटा राजकुमार, ओ मेरा छोटा युवराज। हनी ने एक बार फिर से प्रधान जी की हुबहु नकल उतारी तो इस बार चंद्रिका और गाड़ी ड्राइव कर रहा रुबी भी मुस्कुराये बिना नहीं रह सका।

देखा कितना प्यार करता है ये अपने प्रधान अंकल से, चंद्रिका। उनके एक एक अंदाज़ को हुबहु कापी करता है ये। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

हां पापा, प्रधान अंकल तो मेरे फेवरेट हैं। हनी एकदम जोश में आकर बोला।

एक तो मुझे आप दोनों का रिशता नहीं समझ आया आज तक। प्रधान जी आपको पुत्तर कहते हैं, आप उन्हें बड़ा भाई मानते हैं, उनके बच्चे आपको भईया कहते हैं, उनकी पत्नी को आप भाभी कहते हैं और अब ये हनी उन्हें अंकल कहता है। मैं किसको क्या कहूं, इसी में उलझ कर रह जाती हूं।

ये प्यार के रिश्ते हैं चंद्रिका। कौन किसको क्या कहता है, ये मत देखो। इन सारे रिश्तों के पीछे छिपा प्यार देखो। प्यार से बड़ा कुछ नहीं है इस संसार में। राजकुमार ने चंद्रिका को समझाने वाले अंदाज़ में कहा।

लो फिर शुरु हो गयी आपकी फिलासफी। मुस्कुराती हुई चंद्रिका ने एक बार फिर मुंह आगे की ओर कर लिया। गाड़ी जांलधर शहर के अंदर घुसती चली जा रही थी।

हिमांशु शंगारी