संकटमोचक अध्याय 27

Sankat Mochak
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उसी दिन दोपहर करीब दो बजे प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यलय में न्याय सेना के कुछ अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठे विचार विमर्श कर रहे थे।

आज के अखबारों में कवरेज तो बहुत अच्छा मिल गया है हमें। अब इस बात का ध्यान रखना है मेरे शेरो, कि इस प्रदर्शन में कोई कमी न रह जाये। सारे शहर के सरकारी तंत्र और मीडिया का ध्यान लगा है इस मामले पर। प्रधान जी ने सबसे मुखातिब होते हुये कहा।

आप चिंता मत कीजिये प्रधान जी, अपने सारे लोग तैयार हैं। जग्गू ने जोश में आते हुये कहा।

और मेरा सारा दल भी तैयार है प्रधान जी। राजू ने भी जैसे मुकाबला करते हुये कहा।

और आपकी क्या स्थिति है डाक्टर साहिब। प्रधान जी ने डाक्टर पुनीत की ओर देखते हुये कहा। डाक्टर पुनीत न्याय सेना के एक और महत्वपूर्ण पदाधिकारी थे।

सबको सूचित कर दिया है प्रधान जी, आप कोई चिंता न करें। डाक्टर पुनीत का स्वर आत्मविश्वास से भरा हुआ था।

हमारी मजदूर यूनियन, राजस्थानी भाई बहनों का दल, सफाई कर्मचारी संगठन, पहलवानों का दल और बाकी सारे संगठन…………… इस बार प्रधान जी का प्रश्न राजकुमार की ओर था।

सबसे बात हो गयी है मेरी प्रधान जी, और सब हल्ला बोलने के लिये तैयार हैं। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

बस तो फिर ठीक है। कल सुबह एक बार फिर सब ऑफिस में ही बैठ कर अगली रणनीति बनायेंगे। अब आप सब लोग जा सकते हैं।

पांच मिनट में एक एक करके सब जा चुके थे और प्रधान जी राजकुमार की ओर देखते हुये कह रहे थे।

खाने का क्या प्रबंध है पुत्तर जी। आज चिकन खाया जाये, यार बड़े दिन से चिकन नहीं खाया। कहते कहते प्रधान जी के चेहरे पर चमक आ गयी थी। हर कोई जानता था कि चिकन प्रधान जी की फेवरेट डिश थी। प्रधान जी को नान वैज खाने का बहुत शौक था जबकि राजकुमार शुद्ध शाकाहारी था।

तो चलिये फिर आज आपको चिकन ही खिलाते हैं………………राजकुमार की बात अभी अधूरी ही थी कि उसके मोबाइल की घंटी बजी। मोबाइल की स्क्रीन पर फ्लैश हो रहा नंबर प्रधान जी को दिखाते हुये उसने उन्हें चुप रहने का संकेत दिया।

कैसे हैं भाई साहिब। राजकुमार ने कॉल रिसीव करते ही कहा।

एक बड़ी डिवेल्पमैंट हुयी है आज, उसी के बारे में खबर देने के लिये फोन किया है। दूसरी ओर से युसुफ आज़ाद बोल रहे थे।

जी बोलिये, मैं सुन रहा हूं। राजकुमार के कहते कहते प्रधान जी ने भी अपना कान उसके मोबाइल के साथ लगा दिया था।

अमर प्रकाश के चंडीगढ़ कार्यालय से आज एक वरिष्ठ पत्रकार ने विधान सभा में जाते समय सी एम से हरपाल सिंह के मामले में उनका पक्ष मांगा है। आज़ाद ने अपने खास अंदाज़ में कहा।

ये तो बहुत अच्छी बात है, क्या कहा सी एम साहिब ने। राजकुमार ने जल्दी से पूछा।

कोई जवाब दिये बिना ही चले गये, पर पूरी बात को ध्यान से सुन लिया था उन्होंने। इससे इस मामले में आपको बहुत लाभ मिलेगा। सीधा सी एम के नोटिस में आ गया है अब ये मामला। आज़ाद ने अपनी बात पूरी की।

फिर तो ये खुशखबरी हो गयी भाई साहिब। राजकुमार ने खुश होते हुये कहा।

हां बस यही बताने के लिये फोन किया था, बाकी आप लोग जानो और आपका काम। कहते ही आज़ाद ने फोन काट दिया। राजकुमार जानता था कि काम की बात से अधिक एक सैकेंड भी बात करना पसंद नहीं करते थे आज़ाद।

ये तो बहुत अच्छा हुआ पुत्तर जी। सी एम को जितना मैं जानता हूं, वो इस छोटे से मामले को लेकर अपनी सरकार की बदनामी नहीं होने देंगे और पुलिस को मामला संभालने के लिये कहेंगे। प्रधान जी भी सबकुछ सुन चुके थे।

और मामला संभालने का अर्थ है हरपाल सिंह पर कार्यवाही का निर्देश, क्योंकि इस मामले में यही एक काम करने वाला है। राजकुमार ने प्रधान जी की बात पूरी की।

ओ तेरे बच्चे जीयें, एक दम सही जगह पहुंच गया है तू। प्रधान जी ने खुश होते हुये कहा।

अभी कहां प्रधान जी, सही जगह तो वो है जहां बटर चिकन मिलेगा। राजकुमार ने चुटकी ली।

ओ तेरी की………………इस फोन के चक्कर में मैं बटर चिकन तो भूल ही गया था। जल्दी करो पुत्तर जी, बहुत भूख लगी है मुझे। प्रधान जी के चेहरे पर फिर से चमक आ गयी थी।

लगभग चार बजे प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यलय में बैठे इसी मामले के कुछ पहलुओं पर गौर कर रहे थे कि प्रधान जी के फोन की घंटी बजी। स्क्रीन पर चमकता नाम देखते ही प्रधान जी ने राजकुमार को चुप रहने का इशारा किया।

सत श्री अकाल प्रधान जी, भाजी बात करना चाहते हैं आपसे। दूसरी ओर से आवाज़ आयी। फोन सत्यजीत समाचार के कार्यालय से आया था।

वरुण कहां पर हो। प्रधान जी के कुछ कहने से पहले ही उधर से भाजी की आवाज़ आयी।

ऑफिस में ही हूं भाजी, आप हुक्म  कीजिये। प्रधान जी ने पूरे आदर के साथ कहा।

फौरन मेरे पास आ जाओ, राजकुमार को साथ लेकर आना। भाजी के स्वर में रहस्य था।

जी भाजी, बस पांच मिनट में पहुंचा। प्रधान जी के कहते ही दूसरी ओर से फोन काट दिया गया।

चलो पुत्तर जी, भाजी ने फौरन बुलाया है। तेजी से उठते हुये प्रधान जी ने कहा।

क्यों पुत्तर जी क्या लगता है, भाजी ने क्यों बुलाया होगा हमें। दो मिनट बाद गाड़ी में बैठे प्रधान जी ने राजकुमार से पूछा जो गाड़ी स्टार्ट कर चुका था।

इसमें लगने वाली कोई बात ही नहीं है प्रधान जी, हरपाल सिंह के मामले पर बात करने के लिये ही बुलाया है। राजकुमार ने पूरे विश्वास के साथ कहा।

इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो तुम। प्रधान जी ने प्रश्नात्मक स्वर में पूछा।

भाजी अपने ऑफिस तीन से साढ़े तीन पहुंचते हैं और आम तौर पर चार साढे चार बजे तक अखबार के काम के कारण अधिक लोगों से मिलना पसंद नहीं करते। उनका दरबार पांच बजे के बाद ही सजता है। राजकुमार ने तेजी से कहा।

चार बजे भाजी का फोन आने का केवल एक ही अर्थ है कि कोई जरुरी बात है। और इस समय शहर में भाजी जैसे व्यक्ति के स्तर की ऐसी जरुरी बात केवल एक ही है, जिसमें हमारी जरुरत पड़े। राजकुमार ने अपनी बात पूरी करते हुये कहा।

ओ तेरे बच्चे जीयें। प्रधान जी एक दम से सबकुछ समझ गये थे।

भाजी जानते हैं कि जब आप उनके पास जाते हैं तो लगभग हर बार मैं आपके साथ ही जाता हूं, फिर भी उन्होंने विशेष रूप से मुझे साथ लेकर आने के लिये कहा है। राजकुमार ने आगे बोलते हुये कहा।

हां पुत्तर जी, ये बात मैने भी नोट की थी। प्रधान जी की दृष्टि एक बार फिर राजकुमार पर जम चुकी थी।

इसका अर्थ ये है कि वहां पर जाकर आपको कोई बड़ा निर्णय लेना है। भाजी जानते हैं कि आप कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय मेरे साथ विचार किये बिना नहीं लेते, इसलिये मुझे भी साथ बुलाया है, ताकि बात मौके पर ही निपटायी जा सके। राजकुमार अब मुस्कुरा रहा था।

ओये कंजर बड़ा शैतान है तू। कितनी सही जगह पर पहुंचा है एकदम। प्रधान जी हैरानी से राजकुमार का मुंह देख रहे थे।

आज की तारीख में आपके और मेरे द्वारा लिये जाने वाला महत्वपूरर्ण निर्णय एक ही है, प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

और वो है हरपाल सिंह के केस से जुड़ा हमारे प्रदर्शन का निर्णय। प्रधान जी ने राजकुमार की बात पूरी करते हुये कहा।

अब आप भी एक दम ठीक जगह पर पहुंच गये हैं, प्रधान जी। राजकुमार मुस्कुरा रहा था।

तो फिर क्या करना चाहिये हमें पुत्तर जी। प्रधान जी के स्वर में एक बार फिर प्रश्न था।

इस समय कुछ सोचने की जरुरत नहीं है प्रधान जी। भाजी की बात सुनने के बाद मौके पर ही फैसला ले लेंगे। भाजी ने आज तक हमेशा हमारा फायदा ही किया है, तो आज भी हमारा फायदा ही सोचेंगे। राजकुमार ने निश्चिंत भाव में कहा।

हां पुत्तर जी, ये बात तो ठीक है। अपना भाजी हीरा है। कभी हमारा नुकसान नहीं करवाया आज तक, अपने फायदे के लिये। प्रधान जी के कहते कहते ही राजकुमार ने गाड़ी सत्यजीत समाचार के कार्यालय के बाहर बनी पार्किंग में लगा दी थी।

दो मिनट बाद जब प्रधान जी और राजकुमार भाजी के कार्यालय में घुसे तो भाजी ने उन्हें देखते ही अपने निजी केबिन में जाने का संकेत किया और कर्मचारी को चाय का प्रबंध करने के लिये कहा।

दोनों अभी केबिन में बैठे ही थी कि भाजी ने भी केबिन में प्रवेश किया।

प्रधान जी और राजकुमार के चरण स्पर्श का जवाब देने के बाद भाजी ने बिना कोई समय गंवाये कहा।

सौरव कुमार का फोन आया था, वो तुम लोगों से बातचीत करना चाहते हैं।

बातचीत करना चाहते हैं, अब इस केस में बातचीत करने वाला क्या है। प्रधान जी ने हैरान होते हुये पूछा।

ये तो मुझे पता नहीं पर सौरव ने मुझे ये भी कहा है कि इस बातचीत के दौरान ही इस मामले को सुलझा लिया जायेगा। मेरे ख्याल से तुम्हें चले जाना चाहिये। तुम्हारी एक बड़ी जीत के आसार दिख रहे हैं मुझे। भाजी ने समझाने वाले भाव में कहा।

मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा भाजी। अगर सौरव कुमार को हमारा काम ही करना है तो फिर हमें बातचीत के लिये क्यों बुलाना चाहते हैं। सीधा हरपाल सिंह के खिलाफ बनती कानूनी कार्यवाही कर दें। सारा मामला ही खत्म हो जायेगा। फिर जब चाहें बुला लें हमें। प्रधान जी अभी भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रहे थे।

मेरे विचार में सौरव कुमार इस केस में कार्यवाही करने से पहले हमसे कुछ मांगना चाहते हैं, शायद इसीलिये बातचीत पर बुला रहे हैं। राजकुमार ने अपना विचार व्यक्त करते हुये कहा।

पर हमसे क्या मांग कर सकते हैं वो, पुत्तर जी। प्रधान जी अभी भी सोच रहे थे।

शायद प्रदर्शन को स्थगित करने की मांग करेंगे वो। राजकुमार के ये कहते ही भाजी की आंखों में प्रशंसा के भाव उतर आये थे।

ऐसे कैसे रोक देंगें प्रदर्शन को, प्रधान जी एकदम से उखड़ गये थे। जरूर यही बात होगी भाजी, ये सौरव कुमार की कोई चाल है। हम नहीं जायेंगे उससे बात करने।

अपने आप को शांत करो वरुण, और चाय पीयो। फिर आगे बात करते हैं। भाजी ने मुस्कुरा कर टेबल पर आ चुकी चाय की ओर इशारा करते हुये कहा।

अब मुझे ये बताओ इस केस में तुम्हारा मकसद क्या है, चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाना या पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन करना। भाजी ने फिर से समझाने वाले स्वर में कहा।

चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाना भाजी, अगर वो हो जाये तो हमें प्रदर्शन करने की आवश्यकता ही क्या है। प्रधान जी से पहले ही राजकुमार बोल पड़ा था।

अगर चमन शर्मा को इंसाफ दिलवाने का वायदा करके सौरव कुमार तुमसे अपने लिये कोई लाभ मांग ले, तो इसमें तुम्हारा नुकसान है कुछ। भाजी ने आगे कहा।

और कल को अगर वो वायदा पूरा नहीं हुआ तो, हम तो न इधर के रहेंगे न उधर के। नहीं नहीं भाजी हम ये बातचीत………………………प्रधान जी के हाथ को दबाते हुये बीच में ही रोक दिया राजकुमार ने।

प्रधान जी, आप ये क्यों नहीं सोचते कि अगर हमसे कोई वायदा करने के बाद सौरव कुमार पीछे हटते हैं तो फिर हमसे भी बड़ा दुश्मन उनका कौन बन जायेगा। राजकुमार ने प्रधान जी को आंखों ही आखों मे इशारा करते हुये कहा।

भाजी……………………प्रधान जी के मुंह से राजकुमार का संकेत समझते ही निकल गया था।

और आपको लगता है कि सौरव कुमार अपनी किसी छोटी मोटी बात को मनवाने के लिये भाजी को बीच में डालकर मुकर सकते हैं, ताकि भाजी उनके दुश्मन बन जायें। राजकुमार ने बात को पूरा करते हुये कहा।

अरे ये तो मैने सोचा ही नहीं था। प्रधान जी जैसे सब समझ गये थे।

इसीलिये तो तुझे कहा था वरुण, राजकुमार को साथ लेकर आना। गुस्से में तू बोलता बहुत है और सोचता बिल्कुल नहीं। भाजी ने शिकायत करने वाले स्वर में शरारत से कहा।

हे हे भाजी………वो मैं……… कुछ सूझता न देखकर प्रधान जी ने चाय का कप उठा कर चाय पीनी शुरु कर दी थी।

आप हुक्म कीजिये भाजी, हमें क्या करना है। राजकुमार ने बात को आगे बढ़ाते हुये कहा। उसे इस मामले में न्याय सेना की एक बड़ी जीत स्पष्ट नज़र आ रही थी।

जी भाजी, आप हुक्म करो, आपके लिये हमारी जान हाज़िर है। प्रधान जी अब अपने स्वाभाविक रंग में आ गये थे।

मुझे कोई हुक्म नहीं देना है वरुण, ये मेरा काम नहीं है। मैने सौरव कुमार से भी कोई वायदा नहीं किया है। केवल इतना कहा है कि अगर ये मामला शांति से हल हो सकता है तो मैं जरूर इसके लिये कोशिश करुंगा, और मैं वही कोशिश कर रहा हूं। भाजी ने प्रेम भर स्वर में कहा।

तुम एक इमानदार नेता हो वरुण, और सौरव कुमार एक अच्छे पुलिस अधिकारी हैं। हालात के चलते कई बार दो अच्छे लोगों में भी मतभेद हो जाते हैं, जो इस बार हुआ है। मैं केवल ये चाहता हूं कि अगर ये मतभेद समाप्त हो जायें तो इसमे सारे शहर का लाभ है। न्याय सेना और पुलिस के टकराव से लाभ केवल शरारती लोगों को ही मिल सकता है, और किसी को नहीं। भाजी के स्वर में प्रेम बना हुआ था।

ये तो बहुत बड़ी बात कह दी आपने भाजी, ऐसा तो मैने सोचा ही नहीं था। आपकी बात ठीक है, सौरव कुमार ने अधिकतर समय हमारे हर जायज काम को जल्दी से जल्दी करवाया है। हमें एक मुद्दे को लेकर वो सारी बातें भूल नहीं जानी चाहियें। प्रधान जी जैसे सब समझ गये थे।

बड़ी बात सोचते और कहते हैं, तभी तो सारा पंजाब इन्हें भाजी कहता है, प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी को छेड़ते हुये कहा। उसकी इस बात पर भाजी और प्रधान जी दोनो ही हंस पड़े।

तो अब क्या करना है भाजी। प्रधान जी ने एक बार फिर भाजी की ओर देखा।

ये तुम्हारा और पुलिस का आपसी मामला है और तुम्हे ही सुलझाना है। मैं सौरव कुमार से कह दूंगा कि तुम लोगों से संपर्क करके बातचीत के लिये कोई जगह तय कर ली जाये और इस मुद्दे को सुलझा लिया जाये। भाजी ने अपनी बात पूरी की।

तो बस ठीक है फिर भाजी, हम पूरी कोशिश करेंगे कि बातचीत के माध्यम से इस मसले का कोई हल निकल जाये। प्रधान जी ने अपनी चाय समाप्त करते हुये कहा।

एक बात का और ध्यान रखना। मैने केवल इसमें सबका लाभ देखकर तुम्हें बातचीत करने की सलाह दी है। अगर बातचीत के दौरान तुम लोगों को कहीं भी लगे कि पुलिस के प्रस्ताव में तुम्हारा कोई नुकसान हो रहा है, तो तुम फौरन मना कर देना। मेरे कारण तुम्हारा कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। भाजी ने बहुत बड़ी बात कह दी थी।

ये कह कर तो आपने हमारे दिल में अपनी जगह और भी बड़ी कर ली है, भाजी। कहते हुये प्रधान जी और राजकुमार ने भाजी के चरण स्पर्श करते हुये उनसे विदा ली।

हिमांशु शंगारी