संकटमोचक अध्याय 33

Sankat Mochak
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ये तो बड़ी मजेदार कहानी थी पापा। और भी कोई ऐसी मजेदार कहानी है प्रधान अंकल की? हनी ने उल्लास भर स्वर में कहा।

तेरे प्रधान अंकल और तेरे पापा की ऐसी बहुत सी कहानियां है पुत्तर। तू सुनता सुनता थक जायेगा। ये कंजर इतनी किताबें लिखता है, हमारी किसी कहानी पर पता नहीं कोई किताब क्यों नहीं लिखता। प्रधान जी ने हनी को अपनी गोद में बिठाकर लाड़ लड़ाते हुये कहा।

जरूर लिखूंगा प्रधान जी, समय आने पर जरूर लिखूंगा आपकी कहानी। और जब आपका ये छोटा भाई लिखेगा आपके बारे में, तो ज़माना सांस रोककर पढ़ेगा आपकी दास्तान। राजकुमार की आंखों मे एक अदभुत चमक थी।

प्रधान अंकल आप इतना गुस्सा कैसे करते हैं, मैने तो आज तक आपको गुस्से में नहीं देखा। आप तो बहुत प्यार करते हैं। हनी ने प्रधान जी का ध्यान खींचते हुये कहा।

वो इसलिये पुत्तर, कि तेरे बाप कि तरह ही तुझे देखकर भी मेरा सारा गुस्सा भाग जाता है, और प्रेम ही प्रेम भर जाता है मेरे दिल में। पता नहीं क्या रिश्ता है मेरा तुम लोगों के साथ। जरूर पिछले जन्म में ये कंजर मेरा बेटा रहा होगा। प्रधान जी ने हनी को ज़ोर से अपने गले लगाते हुये राजकुमार की ओर भावुक अंदाज़ में देखते हुये कहा।

मैं तो इस जन्म में भी आपका बेटा ही हूं प्रधान जी, छोटा भाई बेटा ही तो होता है। राजकुमार का स्वर भी भावुक हो गया था।

और मेरे बड़े भईया। पुन्नु के इतना कहते ही राजकुमार ने प्रेम के आवेश में आकर उसे गले लगा लिया।

हिमांशु शंगारी