संकटमोचक अध्याय 29

Sankat Mochak
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अगले दिन ग्यारह बजने से पांच मिनट पहले ही प्रधान जी और राजकुमार एस एस पी कार्यालय पहुंच चुके थे। दोनों ने रात को ही सभी मुख्य अखबारों के पत्रकारों को इस मुलाकात के बारे में बता दिया था, जिसके कारण कुछ अखबारों के पत्रकार पहले से ही कार्यालय के बाहर मौजूद थे।

प्रधान जी ने सब पत्रकारों का अभिवादन करते हुये साथ में आये हुये जग्गू और राजू को कार्यालय के बाहर ही वेट करने को कहा और तेज गति से राजकुमार को साथ लेकर एस एस पी कार्यालय के दरवाजे की ओर चल दिये।

साहिब ने आपको सीधा अंदर भेजने के लिये कहा है, प्रधान जी। राजकुमार के कार्ड देने से पहले ही संतरी ने अभिवादन करते हुये कहा।

कार्यलय में प्रवेश करने पर प्रधान जी ने देखा कि सौरव कुमार कार्यालय में अकेले ही थे और आज कोई भी शिकायतकर्ता नहीं बैठा था। जो इस बातचीत के लिये जरूरी भी था।

हमारे एस एस पी साहिब की जय हो। प्रधान जी ने अपना जाना पहचाना नारा लगाया और राजकुमार ने अपने अंदाज़ में सौरव कुमार को गुड मार्निंग की।

आईए आईये प्रधान जी, बैठिये। आप भी बैठिये राजकुमार जी। दोनों के अभीवादन का जवाब देते हुये सौरव कुमार ने अपनत्व भरे स्वर में कहा।

सबसे पहले तो प्रधान जी, मैं उस दिन हुयी गलतफहमी के लिये खेद व्यक्त करता हूं। आपने हर अच्छे काम में पुलिस का साथ दिया है जिसके चलते हमारा डिपारटमैंट आपका बहुत आदर करता है। आप जैसे अच्छे नेता के साथ ऐसा व्यवहार नहीं होना चाहिये था। सौरव कुमार ने बहुत बड़प्पन की बात कर दी थी।

ये कहकर तो आपने हमारा दिल जीत लिया है, सर। मैं भी अपने उस दिन के व्यवहार के लिये खेद व्यक्त करता हूं। मुझे इतने लोगों के सामने शहर के पुलिस चीफ के साथ ऐसे बात नहीं करनी चाहिये थी। प्रधान जी ने भी बड़प्पन का जवाब बड़प्पन से ही दिया था।

तो चलिये इसी बात पर चाय पीते हैं, साथ में आपके फेवरिट बिस्किट भी हैं। सौरव कुमार के इतना कहते कहते एक कर्मचारी ने चाय और बिस्किट रख दिये।

तो बताईये अब क्या करना है इस मामले में, हम हर तरह से आपके साथ हैं। प्रधान जी ने बात शुरु करते हुये कहा। सौरव कुमार ने अपने व्यवहार पर खेद व्यक्त करके उन्हें प्रसन्न कर दिया था।

पुलिस पर अब इस मामले में कोई दबाव नहीं है और हम हरपाल सिंह के खिलाफ जल्द से जल्द उचित कानूनी कार्यवाही करेंगे। ये मेरा वायदा है आपसे। बस हमें एक सहायता चाहिये आपसे। सौरव कुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

आप बोलिये सर, हम आपके लिये क्या कर सकते हैं। प्रधान जी ने प्रोत्साहन देने वाले स्वर में कहा।

न्याय सेना के प्रदर्शन की चेतावनी से पुलिस पर बहुत दबाव बना है। मीडिया पहले से ही इस मामले को बहुत तूल दे चुका है। ऐसे स्थिति में अगर हमने आपके प्रदर्शन से पहले हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही की तो सब जगह यही चर्चा होगी कि हमने न्याय सेना के प्रदर्शन से डरते हुये हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही की है। सौरव कुमार बोलते जा रहे थे।

ऐसा होने से पुलिस की छवि और मनोबल दोनो ही गिरेंगे। इसलिये मैं चाहता हूं कि आप लोग अपना प्रदर्शन बिना किसी समय सीमा के स्थगित करने का सार्वजनिक ऐलान करें ताकि पुलिस के ऊपर से इस मामले में दबाव हट जाये। सौरव कुमार लगातार अपना पक्ष रखते जा रहे थे।

आपका प्रदर्शन परसों के लिये निश्चित है। परसों का दिन निकलते ही उससे अगले दिन पुलिस इस मामले में कार्यवाही कर देगी, ये मेरा प्रामिस है आपसे। इससे आपका काम भी हो जायेगा और पुलिस की प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी। सौरव कुमार ने अपनी बात पूरी करते हुये कहा।

प्रधान जी ने सौरव कुमार की बात को समझते हुये राजकुमार की ओर देखा जो बहुत ध्यान से सौरव कुमार के चेहरे पर ही नज़रें जमाये हुये था, जैसे उनके सच झूठ की परख कर रहा हो।

ये प्रामिस हम मीडिया में तो जाहिर नहीं कर सकते पर अगर आप चाहें तो मैं यही प्रामिस आपको आई जी साहिब के मुंह से भी दिलवा सकता हूं। सौरव कुमार ने प्रधान जी को कोई उत्तर न देते हुये देखकर बात को संभालने के लिये जल्दी से कहा।

जब काम रोज़ आपसे करवाते हैं तो प्रामिस आई जी साहिब से क्यों लेंगे सर। इससे आपका अपमान होगा और हमारा चरित्र छोटा हो जायेगा। आपने जैसा कहा है, वैसा हो जायेगा। राजकुमार ने कहते हुये प्रधान जी की ओर देखा जो उसकी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे।

देखा आपने एस एस पी साहिब, हमारे राजकुमार की सोच कितनी बड़ी है। जो हमारे राजकुमार ने कह दिया, वही होगा। हमें आपका प्रस्ताव मंजूर है। प्रधान जी ने गर्मजोशी के साथ कहा।

ये कहकर तो आपने हमारा काम बहुत आसान कर दिया, प्रधान जी। पुलिस आपके इस सहयोग के लिये आपकी आभारी रहेगी। आईये अब चाय पीते हैं, नहीं तो इसके ठंडे हो जाने का नैतिक दायित्व भी आप शहर के पुलिस चीफ पर डाल देंगें। सौरव कुमार के इतना कहते ही कमरे में सबकी हंसी गूंज गयी।

हिमांशु शंगारी