संकटमोचक अध्याय 26

Sankat Mochak
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लगभग 15 मिनट बाद रमन दुग्गल सौरव कुमार के कार्यालय में उनके सामने बैठे हुये थे।

एक गुड न्यूज़ है दुग्गल साहिब। सी एम साहिब ने हरपाल सिंह के मामले में कार्यवाही करने की इजाज़त दे दी है। सौरव कुमार ने प्रसन्नता भरे स्वर में कहा।

अरे वाह सर, ये तो बहुत अच्छी खबर सुनायी आपने। अब तो हमें तुरंत कार्यवाही कर देनी चाहिये इस मामले में। रमन दुग्गल ने तत्परता दिखाते हुये कहा।

अभी एक समस्या और है, दुग्गल साहिब। सौरव कुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

सी एम साहिब की परमीशन के बाद अब कौन सी समस्या रह गयी है सर। रमन दुग्गल ने उत्सुकुता भरे स्वर में पूछा।

जिस तरह से अखबारों ने इस मामले में पुलिस के खिलाफ छापा है, उससे हमारी छवि को नुकसान हुआ है। न्याय सेना की तीन दिन के अंदर पुलिस कार्यवाही न होने पर एक बड़ा प्रदर्शन करने की चेतावनी ने एक मनोवैज्ञानिक दबाब बना दिया है पुलिस पर। अब अगर हमने तीन दिन के रहते ये कार्यवाही कर दी तो………………………… सौरव कुमार ने मुस्कुराते हुये अपनी बात अधूरी छोड़ दी।

तो सब ये समझेंगे कि हमने न्याय सेना के दबाव में आकर ये कार्यवाही की है। मैं आपका मतलब समझ गया, सर। रमन दुग्ग्ल ने सौरव कुमार की अधूरी बात पूरी करते हुये कहा।

इससे हमारी पुलिस का मनोबल गिरेगा और कल को कोई भी संगठन उठकर अपने जायज नाजायज काम न होने की सूरत में प्रदर्शन करने की धमकी देने लग जायेगा। सौरव कुमार ने एक और प्वाईंट उठाया।

बिल्कुल ठीक कहा आपने सर। रमन दुग्गल ने सहमति में सिर हिलाते हुये कहा।

इसलिए मैं चाहता हूं कि हमारे कार्यवाही करने से पहले न्याय सेना अपने प्रदर्शन करने के फैसले को सार्वजनिक रूप से वापिस ले ले। अपनी बात पूरी करते हुये कहा सौरव कुमार ने।

बात तो आपकी बिल्कुल ठीक है सर, पर ये होगा कैसे। वरुण को मैं अच्छी तरह से जानता हूं। एक बार उसने प्रदर्शन करने की चेतावनी दे दी तो कार्यवाही होने से पहले वो किसी भी तरह से प्रदर्शन टालने की बात पर नहीं मानेगा। ये नहीं हो पायेगा सर। रमन दुग्गल ने दुविधा भरे स्वर में कहा।

मुश्किल है पर नामुमकिन नहीं, दुग्गल साहिब। कोशिश करने में क्या हर्ज है। सौरव कुमार ने प्रोतसाहन देने वाले स्वर में कहा।

जी सर, कोशिश तो की ही जा सकती है। रमन दुग्गल ने कहा।

तो कीजिये फिर एक पूरी इमानदार कोशिश। वरुण शर्मा को बातचीत के लिये बुलाईये और इस बात का उचित हल निकालने में मेरी मदद कीजिये। सौरव कुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

मैं बुलाऊं सर। रमन दुग्गल जैसे समझ गये थे कि सौरव कुमार ने उन्हें क्यों याद किया था।

आपसे अधिक किसकी बात मानते हैं वरुण शर्मा पुलिस में। इसलिये ये काम तो आप ही को करना होगा। सौरव कुमार की मुस्कुराहट गहरी होती जा रही थी।

जैसा आप कहें सर, पर मैं कुछ निवेदन करना चाहता था। रमन दुग्गल ने कुछ सोचते हुये कहा।

कहिये दुग्गल साहिब, बेझिझक कहिये। सौरव कुमार ने प्रोत्साहित करने वाले स्वर में कहा।

वरुण बहुत ही भावुक इंसान है। जिस तरह से उस दिन आपकी और उसकी झड़प हुयी है, वो पूरी पुलिस को अपना दुश्मन मान कर बैठ गया होगा। इसलिये मेरी तो क्या, वो किसी भी पुलिस अफसर की बात सुनने पर राज़ी नहीं होगा। हमें किसी ऐसे आदमी की सहायता लेनी होगी जिसका वरुण बहुत आदर करता हो, और जो पुलिस वाला भी न हो। रमन दुग्गल ने अर्थपूर्ण शब्दों में सौरव कुमार की ओर देखा।

मैं आपका इशारा समझ गया, दुग्गल साहिब। बहुत अच्छा सुझाव है। मैं फौरन इस पर काम करता हूं। आप ये समझिये कि आपको आगे क्या करना है। कहने के बाद सौरव कुमार कुछ देर तक रमन दुग्गल को कुछ समझाते रहे और रमन दुग्गल बीच बीच में ‘जी सर, जी सर’ बोलते रहे।

तो फिर ठीक है दुग्गल साहिब, आप मेरे फोन का इंतजार कीजिये और उसके बाद तुरंत अपनी कार्यवाही शुरु कर दीजियेगा। करीब दस मिनट के बाद सौरव कुमार का स्वर कमरे में गूंजा।

जी बिल्कुल ठीक है, जय हिन्द सर। रमन दुग्गल ने सौरव कुमार को सलाम ठोका और अपने कार्यालय की ओर चल दिये।

हिमांशु शंगारी