संकटमोचक अध्याय 19

Sankat Mochak
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उसी दिन शाम के लगभग 7 बजे प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यालय में चमन शर्मा, जग्गू, राजू और न्याय सेना के अन्य कई पदाधिकारियों के साथ बैठे थे।

प्रैस कांफ्रैंस तो जबरदस्त रही, पुत्तर जी। क्या लगता है, कल सुबह पटाखे फूटेंगें। प्रधान जी ने चुटकी लेते हुये राजकुमार की ओर देखा।

पटाखे तो अभी से फूटने शुरू हो गये होंगें, प्रधान जी। पत्रकारों ने अब तक पुलिस अधिकारियों से इस सारे मामले में उनका पक्ष मांगना शुरू कर दिया होगा। जैसे इल्जाम लगें हैं पुलिस पर इस केस में, आला अधिकारियों को आज रात नींद नहीं आयेगी। राजकुमार ने भी मुस्कुरा कर कहा।

क्या लगता है तुम्हे, सब बड़ी अखबारें छाप पायेंगी इतने विस्फोटक इल्जाम, इतने प्रभावशाली लोगों के खिलाफ। प्रधान जी ने राजकुमार की राय जानने के लिये कहा।

सारा नहीं तो आधा अधूरा तो हर कोई छापेगा ही, और इसमें से कुछ भी छपने का मतलब बम विस्फोट ही है। कहते हुये राजकुमार ने चमन शर्मा की ओर देखा जो बड़े कृतज्ञ भाव से प्रधान जी की ओर देख रहा था।

आज का कार्यक्रम हमारी सोच के अनुसार ही अच्छा रहा चमन जी। आपने अपना पार्ट बहुत अच्छे से प्ले किया, मीडिया को अपने केस की सच्चाई बता कर। शिव कृपा से आगे भी सब अच्छा ही होगा। अब आप चाहें तो जा सकते हैं। राजकुमार ने दीवार पर लगी घड़ी की ओर देखते हुये कहा।

मुझे समझ नहीं आता, मैं आप लोगों का किस प्रकार शुक्रिया अदा करुं। आप लोगों ने एक पराये आदमी के लिये इतने बड़े लोगों से वैर ले लिया। कहां मिलते हैं आजकल ऐसे लोग। चमन शर्मा के स्वर में श्रद्दा झलक रही थी।

न्याय सेना के कार्यालय में मिलते हैं ऐसे लोग। राजकुमार के कहते ही सबने ठहाका लगाया तो चमन शर्मा भी मुस्कुराये बगैर न रह सका।

जी आपसे एक और बात करनी थी, प्रधान जी। अगर आप बुरा न मानें तो। चमन शर्मा ने डरते डरते कहा।

बेखौफ होकर कहो चमन जी, जान की अमान होगी। प्रधान जी ने मुगलआज़म के अकबर की नकल उतारते हुये कहा तो सब मुस्कुरा पड़े।

आप लोगों का इस काम में समय के साथ साथ धन भी खर्च हो रहा है। अगर इसमें से कुछ योगदान मैं भी दे दूं तो, आखिर ये सब मेरे लिये ही तो कर रहे हैं आप लोग। चमन शर्मा ने फिर डरते डरते कहा।

किस गुस्ताख ने कहा हम ये आप के लिये कर रहे हैं। शंहशाह अकबर तो ये सब इंसाफ के लिये कर रहे हैं। प्रधान जी पर एक बार फिर अकबर का बुखार चढ़ चुका था, जो उनके बहुत प्रिय फिल्मी किरदारों में से एक था।

शहजादा सलीईईम…………। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये कहा।

जी शहंशाहजांलंधर। राजकुमार भी उनकी इस एक्टिंग में शामिल हो गया था।

इस ग़ुस्ताख चमन शर्मा को हमारी रियासत के कायदे कानून से वाकिफ करवाया जाये। प्रधान जी की भाषा में एक दम से उर्दू के भारी भरकम शब्द शामिल हो गये थे।

जो हुक्म आलम पनाह। प्रधान जी को आदाब ठोकते हुये राजकुमार ने चमन शर्मा की ओर देखा, जिसे अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि ये लोग उससे नाराज़ हैं या नहीं।

शहंशाहजालंधर के हुक्म से आपको इतला दी जाती है कि हमारी रियासत में इंसाफ की मांग करने वाले फरियादी से कोई नज़राना लेना कानूनन जुर्म है। राजकुमार ने फिल्मी अंदाज़ में कहा।

सरासर जुर्म है। प्रधान जी की आवाज़ पृथ्वी राज कपूर की तरह भारी भरकम बनी हुई थी।

शहंशाह का कोई भी राज दरबारी अगर ये जुर्म करता हुआ पकड़ा जाये तो उसे अनारकली की तरह दीवार में जिंदा चिनवा दिया जाता है। कहकर राजकुमार ने एकबार फिर प्रधान जी की ओर देखा।

यानि कि उस ग़ुस्ताख को न्याय सेना से देश निकाला दे दिया जाता है। प्रधान जी ने फिर उसी स्वर में कहा।

इंसाफ मिलने के बाद फरियादी अगर अपनी इच्छा से कोई नज़राना देना चाहे, तो चाहे वो छोटा हो या बड़ा, उसे कुबूल करके शाही खजाने में जमा कर दिया जाता है। राजकुमार ने अपनी बात पूरी की।

राजकुमार भाई के कहने का अर्थ ये है चमन जी, कि न्याय सेना के नियमों के अनुसार जब तक हम आपके केस पर काम कर रहे हैं, संगठन का कोई भी पदाधिकारी आपसे एक पैसा भी नहीं ले सकता। चमन शर्मा को दुविधा में फंसे देखकर राजू ने उसके पास जाकर कहा।

ऐसा न्याय सेना की कार्यप्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिये किया गया है। इससे हमारे संगठन में भ्रष्टाचार नहीं फैल पायेगा। हां जब आपका कार्य समाप्त हो जाये और आप अपनी खुशी से कुछ देना चाहें, तो उसे स्वीकार करके संगठन के खाते में डाल दिया जाता है। ये धन फिर आप जैसे लोगों की सहायता करने के काम ही आता है। राजू ने बात पूरी की तो चमन शर्मा को सब साफ साफ समझ आ गया।

कौन है ये गुस्ताख…………जिसने शहंशाह और सलीम की गुफ्तग़ू में दखल अंदाज़ी करने की हिमाकत की है। प्रधान जी क्रोध भरी नजरों से राजू की ओर देख रहे थे।

जान की सलामती हो शहंशाह, बंदा अपनी कम अक्ली पर शर्मिंदा है। राजू ने भी एक्टिंग करते हुये कहा।

आलम पनाह, अब इस फरियादी को इजाज़त दीजिये। चमन शर्मा ने भी अपना पार्ट प्ले करते हुये कहा।

इजाज़त है। प्रधान जी के इतना कहते ही चमन शर्मा प्रधान जी के चरणों को स्पर्श करके और बाकी सब लोगों से विदा लेकर कार्यालय से चला गया।

आलम पनाह, अब आपके शाही महल में चला जाये, मल्लिका जोधा बाई आपका इंतज़ार कर रहीं होंगीं। याद है न आज शाम का अपना वादा। राजकुमार ने प्रधान जी के सिर से अकबर का बुखार उतारने के लिये कहा।

ओ तेरी की पुत्तर जी। मैं तो भूल ही गया था। आज तो मीनू आने वाली है। प्रधान जी एक पल में ही अपने असली रूप में आ गये थे।

आने वाली नहीं है प्रधान जी, आ चुकी है मीनू बहन अपने बच्चों के साथ। मैसेज आया है उसका। हमारी वेट हो रही है। राजकुमार ने चुटकी लेते हुये कहा।

तो जल्दी करो फिर। राजू, जग्गू, कार्यालय को बंद कर देना ध्यान से। कहते कहते प्रधान जी दरवाजे की ओर भागने वाले अंदाज़ में चल रहे थे।

पुत्तर जी याद रखना, रास्ते से गुलाब जामुन लेकर जाने हैं, तेरी भाभी ने कहा था। प्रधान जी ने राजकुमार को बिना देखे ही कहा।

जी प्रधान जी, आपको गुलाब जामुन और मुझे चाकलेट लेकर जाने हैं, सब बच्चों के लिये। कहता कहता राजकुमार भी सबसे विदा लेता हुआ प्रधान जी की पीछे तेजी से निकल गया।

हिमांशु शंगारी