संकटमोचक अध्याय 15

Sankat Mochak
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ये लो आज का चौथा मोर्चा भी फतह हो गया, पुत्तर जी। आकाश जी ने इतना व्यस्त होने के बावजूद भी कितनी जल्दी समय दे दिया हमें, कितना प्यार करते हैं वो हमें। लगभग पांच मिनट के बाद प्रधान जी ने गाड़ी में बैठते हुये कहा।

बिल्कुल ठीक कहा आपने प्रधान जी, उनकी आंखों मे मैने सदा आपके लिये अपनापन देखा है। राजकुमार ने प्रधान जी की बात का समर्थन करते हुये कहा।

आज का दिन तो बहुत अच्छा रहा पुत्तर जी, सबसे मुलाकात हो गयी। प्रधान जी ने प्रसन्न स्वर में कहा।

ये बहुत बड़ा काम कर लिया है आज हमने, प्रधान जी। सब बड़ी अखबारों से सहायता का वचन ले लिया है। जब तक दूसरी ओर से कोई इन्हें अप्रोच करेगा, देर हो चुकी होगी। राजकुमार ने कहा।

देर तो हो ही गयी है पुत्तर जी। उनको भी और हमें भी। प्रधान जी की इस बात को सुनकर राजकुमार ने घड़ी की ओर देखा तो वाकयी में देर हो चुकी थी।

तो फिर घर चला जाये प्रधान जी। राजकुमार ने जैसे जानते हुये भी पूछा।

फौरन चला जाये पुत्तर जी। प्रधान जी के कहते ही राजकुमार ने गाड़ी प्रधान जी के घर की ओर बढ़ा दी जो पास ही में था।

हिमांशु शंगारी