संकटमोचक अध्याय 01

Sankat Mochak
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धड़ाम……धड़ाम……धड़ाम । अपनी ही किसी सोच में डूबे हुए चमन शर्मा की तन्द्रा एक दम से इन आवाजों के कारण टूटी और वो इन आवाजों की दिशा में बढ़ने के लिए उठा ही था कि इतने में उसका एक कर्मचारी रामलाल बदहवास भागता हुआ उसकी तरफ आया।

बाबू जी, बाबू जी…… वो साथ वाले ठेकेदार साहिब अपने बीच की दीवार तोड़ रहे हैं, आप जल्दी से बाहर आइये ।

रामलाल की ये बात सुनते ही चमन शर्मा के होश उड़ गये और वो बाहर की तरफ़ भागा ।

चमन शर्मा जालंधर शहर के माडल टाउन क्षेत्र में फास्ट फूड की दुकान चलाता था और यहां पास ही में उसका गोदाम था जहां पर सारा सामान रखा जाता था, और फिर बनाया हुआ सामान दुकान पर भेजा जाता था। चमन शर्मा के गोदाम के साथ वाली इमारत में ठेकेदार हरपाल सिंह का ऑफिस था। दोनों इमारतों की बीच लगभग आठ फीट उंची एक दीवार थी जो इन इमारतों को विभाजित करती थी।

हरपाल सिंह एक प्रभावशाली व्यक्ति था और उसकी पुलिस एवम राजनेताओं के साथ सांठ गांठ थी। पिछले कुछ समय से वो चमन शर्मा पर दबाव डाल रहा था कि वो अपनी इमारत को आधे दाम में उसे बेच दे ताकि वो अपना ऑफिस बड़ा कर सके। ऐसा न करने पर उसने बिना कोई रकम दिये ही चमन शर्मा की इमारत पर कब्ज़ा करने की धमकी दी थी।

हरपाल सिंह का प्रस्ताव मानने लायक नहीं था इसलिए उसने इस इस प्रस्ताव को नहीं माना जिसके चलते हरपाल सिंह पिछले कुछ दिनों से उसे धमकी दे रहा था कि अगर उसने जल्द ही उसकी बात नहीं मानी तो नतीजा भयंकर होगा।

चमन शर्मा मन ही मन उसकी धमकी से भयभीत था जिसके चलते उसने अपने एक मित्र  राजेश के माध्यम से अपने इलाके के डी एस पी तेजपाल सिंह से बात की थी जिन्होने उसे आश्वासन दिया था कि उनके रहते हरपाल सिंह उसके साथ कोई बदमाशी नहीं कर पायेगा।

इन्हीं विचारों के दिमाग में चलते हुए चमन शर्मा भागता हुआ जब अपने कार्यालय के कमरे के साथ लगते खुले प्रांगन में आया तो सामने का दृश्य देखकर उसके होश उड़ गये।

हरपाल सिंह दोनों इमारतों के बीच की वो दीवार तोड़ रहा था जिसके एक ओर चमन शर्मा के कार्यालय के सामने का खुला प्रांगन था तथा जिसके दूसरी ओर हरपाल सिंह के कार्यालय के सामने का खुला प्रांगन था।

हरपाल सिंह अपने हिस्से वाले प्रांगन की ओर से दीवार तोड़ रहा था और उसने एक हिस्से से दीवार का उपरी भाग तोड़ भी दिया था जिसका मलबा चमन शर्मा के प्रांगन मे पड़ा था। ऊपर की दीवार एक हिस्से से काफी हद तक टूट गयी थी और उसकी उंचाई उस हिस्से से अब केवल चार फीट के बराबर रह गयी थी जिसके दूसरी ओर बड़े बड़े औजार पकड़े हरपाल सिंह और कई अन्य व्यक्ति दीवार पर लगाता प्रहार कर रहे थे।

चमन शर्मा पहली ही नज़र में भांप गया कि हरपाल सिंह के साथ दीवार को तोड़ रहे वो 7-8 हट्टे कट्टे किस्म के लोग प्रोफेशनल गुंडे थे तथा हरपाल सिंह ने उन्हे इसी वारदात को अंजाम देने के लिए बुलाया होगा।

डर की एक जबरदस्त लहर चमन शर्मा के शरीर में सिर से पैर तक दौड़ गयी पर फिर भी उसने अपना सारा साहस बटोरा और ज़ोर की गर्जना की।

हरपाल सिंह तुम ये क्या अनर्थ कर रहे हो, क्या तुम्हे पता नहीं इसका अंजाम क्या हो सकता है। मैं अभी पुलिस को बुलाउंगा और तुम्हारी बाकी कि ज़िंदगी जेल की सलाखों के पीछे निकल जाएगी। भलाई इसी में है कि तुम चुपचाप ये गंदा काम यहीं बंद कर दो और मुझसे माफी मांग लो।

हरपाल सिंह उसकी इस धमकी को सुनकर एक दम से रुक गया और उसे देखकर उसके साथ दीवार तोड़ रहे गुंडे भी रुक गये। इससे पहले कि चमन शर्मा उसके रुकने का सही कारण समझ पाता, माहौल में हरपाल सिंह का एक ज़ोरदार ठहाका गूंज उठा। 

हाहाहा । तू हरपाल सिंह को पुलिस से डराने की कोशिश कर रहा है, इतना साहस कहां से आ गया तुझमें, चमन शर्मा। क्या तू जानता नहीं इस शहर की सारी पुलिस हरपाल सिंह की जेब में रहती है और किसी पुलिस वाले की मजाल नहीं जो आज तेरी सहायता कर सके। ये कहकर हरपाल सिंह ने ज़ोर का एक और अट्टाहस किया और इस बार उसके साथ खड़े गुंडे भी ज़ोर ज़ोर से हंस कर चमन शर्मा की खिल्ली उड़ाने लगे।

भय के मारे अब चमन शर्मा का बुरा हाल हो चुका था तथा उसे अपने आस पास सब कुछ घूमता हुआ दिखाई दे रहा था। फिर भी उसने अपना सारा साहस इक्ट्ठा किया और हरपाल सिंह को एक बार फिर से ललकारा ।

हरपाल सिंह, अगर तुझे अपनी ताकत पर इतना ही घमंड है तो मुझे सिर्फ 30 मिनट दे दे। फिर मैं तुझे दिखाता हूं कि शहर की सारी पुलिस तेरी जेब में है या नहीं।

चमन शर्मा की इस ललकार को सुनकर हरपाल सिंह के चेहरे पर बहुत खूंखार भाव आ गये और वो भीषण गर्जना करते हुये बोला।

दो कौड़ी के आदमी, तेरी इतनी मजाल कि तू हरपाल सिंह की ताकत को चुनौती दे। कहते हुए हरपाल सिंह और उसके गुंडों ने देखते ही देखते दीवार के टूटे हुये हिस्से को नीचे तक तोड़ दिया और उस हिस्से से सब उसकी इमारत में घुस आये।

जा दिया तुझे समय । 30 मिनट नहीं पूरे 60 मिनट दिये तुझे। अपनी घड़ी को ध्यान से देख चमन शर्मा, इस समय दोपहर के तीन बजकर दस मिनट हुये हैं। तेरे पास चार बजकर दस मिनट तक का समय है। जिस पुलिस वाले को या जिस गुंडे को बुलाना चाहे बुला ले । मैं भी देखता हूं आज तुझे हरपाल सिंह के कहर से कौन बचाता है।

इतना कहकर हरपाल सिंह ने फिर से एक ज़ोरदार अट्टाहस किया और अपने साथ खड़े गुंडों को रुक जाने का आदेश दिया जो अब चमन शर्मा की इमारत के कुछ और हिस्सों को तोड़ने में लगे हुये थे।

डर के मारे चमन शर्मा की जान निकल रही थी पर फिर भी उसने अपने मित्र राजेश को फोन लगाया और जल्दी जल्दी से उसे सारी बात बताकर मदद करने के लिये कहा । राजेश ने उसे पांच मिनट प्रतीक्षा करने को कहा और साथ ही ये सलाह भी दी कि इतने समय में वो अपने इलाके के थाने में फोन करके हरपाल सिंह की बदमाशी की रिपोर्ट लिखवाकर पुलिस से सहायता मांगे।

चमन शर्मा की जैसे जान मे जान आयी और उसने तुरंत फोन काट कर थाना माडल टाउन का नंबर मिला दिया। हरपाल सिंह ये सारी कार्यवाही देख रहा था और लगातार मुस्कुरा रहा था।

4-5 बार घंटी बजने के बाद दूसरी ओर से किसी ने फोन उठाया और चमन शर्मा के कानों में आवाज़ सुनाई दी।

थाना माडल टाउन से मुंशी सतवीर सिंह बात कर रहा हूं, कहिये मैं आपकी किस प्रकार सहायता कर सकता हूं।

ये सुनते ही चमन शर्मा को मानो नया जीवन मिल गया हो । उसने अपना टूट चुका साहस दोबारा इक्ट्ठा किया और बोला।

सर मैं थाने से पांच मिनट की दूरी से ही चमन शर्मा बोल रहा हूं, कुछ गुंडों ने मेरे गोदाम पर कब्ज़ा करने की नीयत से हमला कर दिया है और मेरे गोदाम की एक दीवार का कुछ हिस्सा भी तोड़ दिया है। आप जल्दी से पुलिस भेजिये और इन गुंडों को रोकिये।

आप बिल्कुल चिंता न करें श्रीमान, और हमें अपना पता नोट करवायें। पुलिस तुरंत आपकी सहायता के लिए कार्य करेगी। दूसरी ओर से सतवीर सिंह की आश्वस्त करने वाली आवाज़ आयी।

चमन शर्मा का सारा साहस वापिस आ गया। उसने अपना पता नोट करवाया और बोला।

मेरे साथ वाली इमारत में ठेकेदार हरपाल सिंह का ऑफिस है और उसने ही अपने गुंडों के साथ अपनी तरफ से दीवार तोड़ कर हमला किया है। आप कृप्या जल्दी पुलिस भेज दीजिये। कहते कहते चमन शर्मा ने हरपाल सिंह की ओर विजयी मुस्कान के साथ देखा।

क्या नाम बताया आपने श्रीमान। दूसरी ओर से सतवीर सिंह की आवाज़ मे चिंता झलक रही थी।

जी, ठेकेदार हरपाल सिंह, चमन शर्मा ने दोहराया।

कृप्या कुछ देर के लिये लाइन पर बने रहें। ये कहकर सतबीर सिंह ने उसकी कॉल होल्ड पर डाल दी।

चमन शर्मा के मन में एक बार फिर शंका ने जन्म ले लिया और हरपाल सिंह के मुस्कुराते चेहरे को देखकर वो शंका और भी गहरी हो गयी।

श्रीमान जी, हमें अभी अभी सूचना मिली है कि थाने की सारी पुलिस फोर्स को तुरंत वी आई पी डयूटी पर जाना पडेगा जिसके कारण हम अगले कुछ समय के लिए आपकी सहायता के लिए थाने से पुलिस नहीं भेज सकते। सतवीर सिंह की इस आवाज़ के साथ ही दूसरी तरफ से कॉल काट दी गई।

चमन शर्मा के शरीर से मानो किसी ने जान ही निकाल ली हो। अभी वो सतवीर सिंह के इस एकदम से बदले इस व्यवहार का कारण समझने की कोशिश कर ही रहा था कि उसके कानों मे हरपाल सिंह का ज़ोरदार अट्टाहस पड़ा।

हाहाहा। क्या कहा थाने वालों ने? यही न कि सारी पुलिस वी आई पी डयूटी पर है और तेरी सहायता के लिये कोई नहीं आ सकता।

हां मगर तुम्हें ये सब कैसे पता? घबराये हुये चमन शर्मा ने पूछा।

आज तू शहर के किसी भी थाने में फोन करले, हरपाल सिंह का नाम सुनते ही सब तेरी सहायता करने से मना कर देंगे। आज तो तेरी सहायता तेरा भगवान भी नहीं कर सकता। एक और अट्टाहस के बीच में हरपाल सिंह बोला। उसके साथ खड़े गुंडे भी ज़ोर ज़ोर से हंस रहे थे।

इतना शोरगुल सुनकर आसपास के कुछ लोग आये पर हरपाल सिंह और गुंडों को देखकर चुपचाप खिसक गये।

असमंजस में पड़ा हुआ चमन शर्मा अभी सोच ही रहा था कि वो अब क्या करे, कि इतनें मे उसके मोबाइल की घंटी बजने लगी। स्क्रीन पर राजेश का नाम चमकता देखकर उसके शरीर में जैसे फिर से जान आयी और उसने कॉल रिसीव करने के लिये बटन दबा दिया।

थाने की पुलिस के साथ कुछ समस्या लगती है जिसके चलते उन्होने डी एस पी तेजपाल के कहने पर भी बहाना बना दिया है। पर तुम चिंता मत करो, डी एस पी तेजपाल दस मिनट के अंदर खुद मौके पर पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर से राजेश ने एक ही सांस में बोल दिया।

सुनते ही चमन शर्मा की जान मे जान आयी और उसने राजेश को अनेक धन्यवाद देकर कॉल बंद कर दी।

दस मिनट के अंदर इस इलाके के डी एस पी तेजपाल सिंह यहां पहुंच रहे हैं। अब तू अपनी खैर मना हरपाल सिंह………… जोशीले अंदाज़ में चमन शर्मा ने कहा।

चलो ये तमाशा भी देख लेते हैं। हंसते हुये हरपाल सिंह की आवाज़ आयी, जिसके माथे पर अभी भी कोई शिकन नहीं थी। उसने अब अपने लिये चाय का एक कप मंगवा लिया था और आराम से खड़ा होकर चाय की चुस्कियां ले रहा था।

किसी आशंका के चलते चमन शर्मा का दिल बहुत घबरा रहा था और वो हरपाल सिंह की इस लगातार बनी हुई मुस्कान का कारण समझ नहीं पा रहा था।

इस स्थिति को मुश्किल से 5-6 मिनट हुये होंगे कि वातावरण में पुलिस सायरन की ज़ोरदार आवाज़ गूंज उठी और जब तक कोई कुछ समझ सके, पुलिस की एक जिप्सी चमन शर्मा के कार्यालय के मुख्य दरवाजे के एक दम आगे ज़ोर की ब्रेक्स लगाती हुई रुक गयी।

देखते ही देखते पुलिस के 4-5 सशस्त्र जवान जिप्सी में से उतरे और उनके साथ ही चमन शर्मा को डी एस पी तेजपाल सिंह का चेहरा भी देखाई दे गया, जो जिप्सी में से तेजी के साथ उतर कर उसके गोदाम की ओर ही आ रहे थे।

डी एस पी सर, डी एस पी सर, देखिये आप के होते हुये ये शैतान किस तरह दिन दिहाड़े कहर मचा रहा है। चमन शर्मा की आवाज़ में ऐसी याचना थी जैसे साक्षात भगवान उसके सामने आ गये हों।

आप बिल्कुल चिंता मत कीजिये चमन शर्मा जी, डी एस पी तेजपाल सिंह के रहते हुये उसके इलाके में कोई शैतान अपनी मनमानी नहीं कर सकता। पुलिस के आगमन को देखकर आस पास के लोगों की भीड़ इक्ट्ठी होनी शुरू हो गयी थी।

डी एस पी तेजपाल सिंह लगभग 45 साल की उम्र के जट सिख पुलिस अफसर थे। उनका कद काठ किसी भी सामान्य व्यक्ति को भयभीत कर देने के लिये काफी था और इलाके में उनकी छवि एक इमानदार और न्याय प्रिय पुलिस अफसर की थी।

ये क्या बदमाशी हो रही है मेरे इलाके में हरपाल सिंह। वातावरण में शेर की दहाड़ की तरह डी एस पी तेजपाल सिंह की आवाज़ गूंज उठी, जिसे सुनकर चमन शर्मा का साहस एक बार फिर वापिस आ गया।

तेरी बदमाशियों के कई किस्से सुने हैं मैने, और आज अपनी आंखों से देख भी लिया। चुपचाप अपने गुंडों को लेकर बाहर निकल आ और हमारे साथ चल, वर्ना अंजाम बहुत बुरा होगा। कहते कहते तेजपाल सिंह ने अपना रिवाल्वर बाहर निकाल लिया था जिसे देखकर साथ आये हुये जवानों ने भी अपनी राइफल्स हमले की मुद्रा में तान लीं थीं।

डी एस पी साहिब, आप मेरे मामले में दख्ल अंदाज़ी न ही करें तो अच्छा होगा। आप मेरे साथ दो मिनट मेरे ऑफिस में आइये तो मैं आपको सब समझा सकता हूं। हरपाल सिंह के चेहरे पर चिंता के अभी भी कोई आसार नज़र नहीं आ रहे थे।

मुझे बिकाऊ समझा है क्या, जो ऑफिस मे बुला कर मेरे इमान की बोली लगाना चाहता है हरपाल सिंह। मैं गुरु का सिंह हूं, एक बार जिसके साथ खड़ा हो गया, फिर पीठ नहीं दिखाता। तेरी भलाई इसी में है कि ये तमाशा बंद करके मेरे साथ चल, वर्ना मैं तुझे घसीट कर ले जाउंगा। तेजपाल सिंह की इस दहाड़ को सुनकर आस पास इक्ट्ठी हुई भीड़ सहम गई और चमन शर्मा का साहस और बढ़ गया।

ऐसी भी क्या जल्दी है डी एस पी साहिब। हरपाल सिंह की आवाज़ में मक्कारी साफ साफ झलक रही थी।

मैने तो आपसे प्यार बढ़ाना चाहा था पर अगर आप ताकत का खेल ही खेलना चाहते हैं तो फिर अब देखिये मैं क्या करता हूं। कहते कहते हरपाल सिंह ने अपने मोबाइल से एक नंबर डायल कर दिया था।

सबके देखते ही देखते हरपाल सिंह ने मोबाइल फोन पर किसी से धीरे से कुछ बात की और फिर फोन डी एस पी तेजपाल सिंह की ओर बढ़ा दिया।

ये लीजिये डी एस पी साहिब, अपने आका से बात कीजिये। हरपाल सिंह की आवाज़ में इतना आत्मविश्वास झलक रहा था कि न चाहते हुये भी तेजपाल सिंह ने फोन ले लिया।

डी एस पी तेजपाल सिंह स्पीकिंग, किससे बात हो रही है मेरी। रोबिली आवाज़ में तेजपाल सिंह ने कहा, जिनका अपना मन भी इस उत्सुकुता से भर चुका था कि दूसरी ओर ऐसा कौन आदमी है जिसे हरपाल सिंह ने उसका आका कहकर बुलाया है।

जाने दूसरी ओर से क्या आवाज़ आयी, पर उसे सुनते ही तेजपाल सिंह एक दम से सावधान मुद्रा में आ गये और उनके मुंह से निकला, यस सर।

पर सर, ये शैतान दिन दिहाड़े ज़ुल्म कर रहा है, ऐसे कैसे बिना कुछ किये यहां से वापिस चला जाऊं। मैं इस दुष्ट को गिरफ्तार किये बिना यहां से नहीं जाउंगा। दूसरी तरफ से फिर कुछ कहा गया जिसके जवाब में तेजपाल सिंह ने बड़े आदर के साथ कहा। 

चमन शर्मा के साथ साथ ही आस पास खड़ी भीड़ भी हैरान होकर ये सारा कांड देख रही थी, जबकि हरपाल सिंह के चेहरे की शैतानी बढ़ती जा रही थी।

आपका हर हुक्म मेरे सर माथे पर सर, पर अब बात सारी पुलिस फोर्स की आन की है। इतनी भीड़ खड़ी होकर इस ज़ालिम के जुल्म का तमाशा देख रही है। लोग पुलिस पर हंसेगे, सर। तेजपाल सिंह ने फिर बहुत आदर के साथ दूसरी तरफ से बोलने वाले को जवाब दिया।

पर सर, मेरी बात तो सुनिये सर। तेजपाल सिंह की आवाज़ बता रही थी कि दूसरी ओर से बोलने वाले के सामने वो विवश थे।

जी सर, ठीक है सर, मैं वापिस चला जाता हूं, पर ये बहुत बुरा हो रहा है सर। तेजपाल सिंह ने ये कहते कहते जब फोन डिस्कनेक्ट किया तो चमन शर्मा के चेहरे की चिंता और हरपाल सिंह के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी थी।

ठीक है हरपाल सिंह, आज तो मैं तेरे खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही किये बिना जा रहा हूं, पर तू जल्द से जल्द अपने इन गुंडों को दफा कर दे यहां से। अगर मेरे अंदर का सिंह जाग गया तो तेरा कोई फोन सुने बगैर ही गोली चला दूंगा। रिवाल्वर हवा में लहराते हुये डी एस पी तेजपाल सिंह ने हरपाल सिंह को खा जाने वाली नज़रों से देखते हुये कहा।

जैसा आपका हुक्म डी एस पी साहिब। वैसे भी आज की इस कार्यवाही का मतलब तो चमन शर्मा को अपनी ताकत दिखाना ही था, जो इसने अब ठीक तरह से देख ली है। मक्कारी भरी आवाज़ में हरपाल सिंह बोला।

15 दिन का समय देता हूं तुझे, चमन शर्मा। ये इमारत अपनी मर्जी से मेरे हवाले कर दे, नहीं तो अगली बार ये दीवार नहीं, पूरी इमारत ही तोड़ दूंगा और कोई मुझे रोक नहीं पायेगा। चमन शर्मा को धमकी देते हुये हरपाल सिंह ने एक बार फिर मक्कारी भरी नज़रों से डी एस पी तेजपाल सिंह की ओर देखा और ज़ोर से बोला, गाड़ियां निकालो सुखजीत।

अगले दो मिनट के अंदर हरपाल सिंह और उसके गुंडे गाड़ियों में बैठ कर वहां से चले गये और धीरे धीरे अब भीड़ भी छंटनी शुरु हो गयी थी।

आज तो मैने इस शैतान को किसी तरह से रोक लिया चमन जी, पर अगली बार शायद नहीं रोक पाऊंगा। इसकी पहुंच मेरे अनुमान से कहीं ज्यादा निकली। कहते हुये तेजपाल सिंह के माथे पर चिंता की लकीरें साफ साफ झलक रहीं थीं।

तो अब मैं क्या करुं सर, मुर्दे की सी आवाज़ में चमन शर्मा ने कहा।

या तो इसका भी कोई बाप ढूंढिये, या फिर ये इमारत छोड़ दिजिये। कहते हुये तेजपाल सिंह अपनी जिप्सी की तरफ बढ़ने लगे।

पर इस शैतान का बाप कहां से ढूंढ कर लाऊं सर, मरी हुई आवाज़ में चमन शर्मा ने कहा।

वाहेगुरु का नाम लेकर सच्चे मन से कोशिश कीजिये चमन जी। दुनिया में ऐसा कोई शैतान नहीं, जिसका अंत करने के लिये भगवान ने कोई फरिश्ता न बनाया हो। डी एस पी तेजपाल सिंह अपनी जिप्सी में बैठे और चमन शर्मा का कंधा थपथपा कर बोले। उनका इशारा पाकर ड्राईवर ने गाड़ी गियर में डाली और देखते ही देखते उनकी जिप्सी चमन शर्मा की आंखों से ओझल हो गयी।

अब कहां मिलेगा ऐसा फरिश्ता। चिंता में डूबे हुये चमन शर्मा के दिमाग में यही सवाल बार बार दौड़ रहा था।

हिमांशु शंगारी