संकटमोचक अध्याय 32

Sankat Mochak
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दूसरे दिन सुबह करीब आठ बजे राजकुमार के मोबाइल की घंटी बजी तो स्क्रीन पर प्रधान जी का नाम देखते ही उसने फोन रिसीव कर लिया।

आज का प्रभात न्यूज़ पढा तूने पुत्तर। प्रधान जी के स्वर में उत्तेजना थी।

ये अखबार तो नहीं आता मेरे घर, प्रधान जी। राजकुमार ने कहा। प्रभात न्यूज़ जालंधर से ही प्रकाशित होने वाला एक छोटा सा अखबार था जो केवल जालंधर ही में थोड़ा बहुत बिकता था।

आता तो मेरे घर भी नहीं पर जग्गू का फोन आया तो मंगवा लिया मैने। प्रधान जी का स्वर और भी तेज हो गया था।

आखिर बात क्या है प्रधान जी, क्यों इतने परेशान लग रहे हो आप सुबह सुबह। राजकुमार ने जल्दी से पूछा।

बात ही कुछ ऐसी है पुत्तर। बहुत अनाप शनाप छापा है तेरे खिलाफ। लगता है अपने साथ कोई बड़ा धोखा हुआ है। मैं छोड़ूंगा नहीं किसी को। प्रधान जी के स्वर में क्रोध भरता जा रहा था।

आप जल्दबाजी में कोई गड़बड़ मत कर देना। मैं दस मिनट में पहुंचता हूं आपके पास। कहते हुये राजकुमार जल्दी से अपने घर से निकल गया।

पंद्रह मिनट बाद राजकुमार जब प्रधान जी के घर पहुंचा तो वो घर के आंगन में ही घूमते हुये दरवाजे की ओर देख रहे थे। राजकुमार को देखते ही उन्होने उसे अपने पास बुलाया और प्रभात न्यूज का खबर वाला पेज ऊपर करके पकड़ा दिया।

लो पढ़ो पुत्तर जी, और बताओ क्या मतलब है इस खबर का। प्रधान जी पूरी तरह से क्रोधित दिखाई दे रहे थे।

राजकुमार ने जल्दी से प्रधान जी के हाथों से अखबार पकड़ा और पढ़ने लगा।

न्याय सेना के वरिष्ठतम महासचिव राजकुमार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये ठेकेदार हरपाल सिंह ने। खबर का शीर्षक पढ़ते ही राजकुमार की रूचि बन गयी थी उसमें।

चमन शर्मा मामले में आज जहां एक ओर न्याय सेना और एस एस पी सौरव कुमार के महत्वपूर्ण बयान आये हैं, वहीं इस मामले के दूसरे पक्ष में बैठे ठेकेदार हरपाल सिंह ने एक सनसनीखेज़ बयान देते हुये इस मामले को एक नया मोड़ दे दिया है। इस मामले से चर्चा में आये ठेकेदार हरपाल सिंह ने आज हमारे संवाददाता से बात करते हुये बताया कि वो बेकुसूर हैं और इस सारे मामले में उनके साथ बहुत ज्यादती हो रही है।

उनके खिलाफ की जाने वाली इस साज़िश के पीछे न्याय सेना के सैक्रटरी जनरल राजकुमार का हाथ है। राजकुमार ने कुछ दिन पहले चमन शर्मा वाले मामले में उनको फंसाने की धमकी देकर उनसे पांच लाख रुपये की मांग की थी। उनके इंकार देने पर राजकुमार ने उन्हें इस केस में जेल भिजवाने की धमकी दी थी और कल हुयी न्याय सेना के प्रतिनिधीमंडल और एस एस पी सौरव कुमार की मीटिंग को उन्होंने इसी घटनाक्रम का एक हिस्सा बताया है।

हरपाल सिंह ने आरोप लगाया है कि राजकुमार न्याय सेना जैसे बड़े संगंठन का दुरुपयोग कर रहे हैं और पुलिस उनके दबाव में काम कर रही है। उन्होने कहा कि पुलिस किसी भी समय उनपर नाज़ायज तरीके से कार्यवाही कर सकती है और उन्हें राजकुमार की ओर से भी अपनी जान का खतरा है। हरपाल सिंह के इन आरोपों ने इस सारे मामले को एक नया मोड़ दे दिया है।

अगर हरपाल सिंह के इन आरोपों में सच्चायी है तो सबसे बड़ा एक ही सवाल उठता है। क्या राजकुमार इस मामले में अकेले ही संलिप्त हैं या फिर उनके साथ न्याय सेना के और भी महत्वपूर्ण पदाधिकारी शामिल हैं, ब्लैकमेल के इस ताकतवर खेल में।

इसने तो आखिरी लाईन में आपकी तरफ भी उंगली उठा दी है प्रधान जी। राजकुमार ने खबर पढ़कर मुस्कुराते हुये कहा।

ओये कंजर तुझे मज़ाक सूझ रहा है, यहां गुस्से के मारे मेरा बुरा हाल हो रहा है। मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी साजिश लगती है। प्रधान जी ने क्रोध से कहा।

और कौन कौन शामिल है इस साजिश में?……… राजकुमार ने मज़ा लेते हुये कहा।

मुझे तो सौरव कुमार पर ही शक है। इस खबर से पुलिस को हरपाल सिंह पर कार्यवाही न करने का एक बहाना मिल जायेगा, जिससे ये मामला लटक जायेगा। मैं सब जानता हूं इन पुलिस वालों को। एक बयान दे देंगें कि चमन शर्मा के केस में कोई कार्यवाही करने से पहले हरपाल सिंह के बयान की सत्यता की जांच की जायेगी और फिर एक जांच अधिकारी बिठा कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा। प्रधान जी का क्रोध बढ़ता ही जा रहा था।

आपकी थ्योरी तो अच्छी है प्रधान जी, पर इसमें से कई चीज़ें मेरी समझ में नहीं आयीं। राजकुमार की मुस्कान बनी हुयी थी।

क्या समझ नहीं आया तुझे। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये आंखें निकालीं।

अगर इसमें पुलिस की कोई साजिश होती तो हरपाल सिंह का ये बयान उस दिन क्यों नहीं आया जब हमने प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी। सौरव कुमार के मीडिया को इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी करवाने का बयान देने के बाद ही क्यों आया है उसका ये बयान। राजकुमार अपनी बात शुरु करते हुये बोला।

अगर सौरव कुमार इसमें शामिल होते तो भाजी हमें क्यों बुलाते। इसका अर्थ है या तो सौरव कुमार भाजी के साथ धोखा कर रहे हैं या फिर भाजी हमारे साथ। इन दोनों में से कौन सी बात हो सकती है, प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये पूछा।

इन दोनों में से तो कोई बात भी नहीं हो सकती, पुत्तर जी। न तो सौरव कुमार भाजी को धोखा दे सकते हैं और न ही भाजी हमें। प्रधान जी के चेहरे पर उलझन वाले भाव आ गये थे।

अब मैं अपनी थ्योरी बताऊं, प्रधान जी। राजकुमार ने रहस्यभरी मुस्कान से कहा।

तू ही बता दे कुछ, मेरी तो समझ में नहीं आ रहा कुछ भी। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये उलझन भरे चेहरे के साथ कहा।

तो सुनिये, कल तक हरपाल सिंह को ये पता था कि इस मामले में पुलिस उसका लिहाज करेगी। कल के घटनाक्रम के बाद उसे पता चल गया होगा कि पुलिस अब इस मामले में किसी की सिफारिश नहीं मानेगी। आपको याद है कल आज़ाद भाई ने कहा था कि उनके एक संवाददाता ने सुबह मुख्यमंत्री से इस बारे में बात की है। राजकुमार ने ज़ोर डालते हुये कहा।

इसका अर्थ है कल मुख्यमंत्री ने सौरव कुमार को इस मामले में उचित कार्यवाही करने के निर्देश दिये होंगे, और साथ ही साथ हरपाल सिंह के आका अवतार सिंह को भी इस मामले से दूर रहने के आदेश दिये होंगे। सौरव कुमार इस निर्देश के मिलते ही हरकत में आ गये, जो कल के घटनाक्रम से साफ जाहिर है।

दूसरी तरफ अवतार सिंह ने जरूर ही हरपाल सिंह को बता दिया होगा कि पुलिस अब उसके खिलाफ कार्यवाही करेगी। अपनी बाजी पलटते देखकर ही उसने अपनी ये आखिरी चाल चली होगी, जिससे हमारे और पुलिस के बीच में मतभेद पैदा किये जा सकें और वो उसका लाभ उठा सके। राजकुमार कहता जा रहा था।

सारा शहर आपके स्वभाव को जानता है कि एक बार आपको क्रोध आ गया तो फिर सामने वाले की खैर नहीं। वो चाहता होगा कि आप क्रोध में किसी बड़े पुलिस अधिकारी से उलझ पड़ें और मामला खराब हो जाये। राजकुमार ने अपनी बात पूरी की।

पुत्तर जी, मैं तो सौरव कुमार के घर फोन करके उसे भला बुरा बोलने ही वाला था कि पहले तुझे फोन कर लिया और तूने मुझे रोक दिया। प्रधान जी की समझ में अब सारा मामला आता जा रहा था।

अब आगे सुनिये, इस खबर से हमें कोई नुकसान नहीं होगा बल्कि फायदा ही होगा। राजकुमार ने अपनी बात फिर से जारी की।

इसमे हमारा क्या फायदा, इतना अनाप शनाप छापा है तेरे बारे में। प्रधान जी की समझ में एक बार फिर कुछ नहीं आ रहा था।

इस खबर को पढ़ते ही आपके मन में क्या विचार आयेगा, इसे पढ़ते ही सौरव कुमार भी समझ गये होंगे। सौरव कुमार आपको अच्छी तरह से जानते हैं और वो ये समझ गये होंगे कि आपका पहला शक पुलिस की ओर ही जायेगा। राजकुमार ने कहा।

और अगर मेरी थ्योरी के मुताबिक पुलिस इस साजिश में शामिल नहीं है तो, उनके पास इस बात को साबित करने का एक ही तरीका है। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

कि हरपाल सिंह के खिलाफ जल्द से जल्द कार्यवाही कर दे, ओ तेरे बच्चे जीयें। प्रधान जी ने खुश होते हुये कहा।

इसीलिये तो आपको कहता हूं कि अपने गुस्से को काबू में रखा कीजिये। राजकुमार ने प्रधान जी को छेड़ने वाले अंदाज़ में कहा।

अरे तो इतना पढ़ा लिखा सैक्रटरी जनरल क्यों रखा है मैने। आओ फिर इसी बात पर नाश्ता करते हैं। प्रधान जी की इस बात पर दोनो हंसते हुये कमरे की ओर चल दिये।

टेबल पर नाश्ता अभी लगा ही था कि राजकुमार के मोबाइल की घंटी बजी। स्क्रीन पर आज़ाद का नाम देखते ही राजकुमार ने फौरन फोन उठाया।

आज का प्रभात न्यूज़ पढ़ा आपने। आज़ाद ने बिना कोई भूमिका बांधे कहा।

जी पढ़ लिया है। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

गुड, तो फिर प्रधान जी को कहना इस पर जल्दी में कोई प्रतिक्रिया न दें। इस खबर से आप लोगों को फायदा ही होगा। बाकी की बात बाद में करेंगे। कहते हुये आज़ाद ने फोन काट दिया।

लीजिये प्रधान जी, आज़ाद भाई का फोन था। वो भी यही कह रहे हैं कि इस खबर से हमे लाभ होगा। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा जो नाश्ते पर टूट चुके थे।

अरे वाह, अगर आज़ाद भाई ने भी यही कहा है, फिर तो फायदा जरूर होगा, पुत्तर जी। आओ अब नाश्ता करते हैं। खुश होते हुये बोले प्रधान जी।

राजकुमार अभी नाश्ते के लिये बैठ ही रहा था कि उसके मोबाइल की घंटी एक बार फिर से बजने लगी। स्क्रीन पर शहर का ही कोई लैंडलाइन नंबर फ्लैश कर रहा था। राजकुमार के फोन उठाते ही दूसरी ओर से आवाज़ आयी।

जय हिन्द जनाब, राजकुमार जी बोल रहे हैं?

जी बोल रहा हूं, कहिये। राजकुमार ने सतर्क स्वर में कहा। प्रधान जी का ध्यान भी फोन पर ही था।

एस एस पी जालंधर बात करना चाहते हैं जनाब। दूसरी ओर से आदरपूर्वक कहा गया।

जी करवाईये। कहते कहते राजकुमार ने प्रधान जी के कान में कुछ कहा तो वो नाश्ता छोड़ कर एक दम से उसके पास आकर खड़े हो गये।

राजकुमार जी कैसे हैं आप। दूसरी ओर से पांच सैकेंड बाद ही सौरव कुमार की आवाज़ सुनायी दी।

गुड़ मार्निग सर, मैं बिल्कुल ठीक हूं। आप सुनाईये। राजकुमार ने चिंतामुक्त स्वर में कहा।

आज का प्रभात न्यूज़ पढ़ा आपने, कितने निचले स्तर पर गिर गया है। सौरव कुमार के स्वर में खेद सपष्ट झलक रहा था।

पढ़ लिया है सर, हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। राजकुमार ने बेफिक्री वाले अंदाज़ में कहा।

मैने आपको ये कहने के लिये फोन किया है कि ये आप लोगों और पुलिस के बीच में मतभेद पैदा करने की साजिश है। पुलिस के किसी भी अधिकारी का इस न्यूज़ से कोई लेना देना नहीं है, राजकुमार जी। सौरव कुमार के स्वर में पूर्ण आश्वासन था।

हमें पता है सर, हम आपको अच्छी तरह से जानते हैं। आपके पुलिस चीफ रहते हुये आपका कोई भी अधिकारी इस तरह की हरकत नहीं कर सकता। हमें पता है इसके पीछे कौन है। आप किसी भी प्रकार की चिंता मत कीजिये। न्याय सेना पुलिस के साथ सहयोग करने के अपने फैसले पर पूरी तरह से कायम रहेगी। राजकुमार ने निर्णायक स्वर में कहा।

गुड, आपसे मुझे यही उम्मीद थी। एक और भी सूचना देनी थी आप लोगों को। सौरव कुमार के स्वर में रहस्य भर गया था।

जी कहिये सर। राजकुमार जैसे आने वाली सूचना का अंदाज़ा लगा रहा हो।

चमन शर्मा के मामले में सिद्दिकी साहिब की जांच पूरी हो चुकी है, और हरपाल सिंह दोषी पाया गया है। मैनें अभी अभी थाना माडल टाऊन को हरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज करने के निर्देश दे दिये हैं। पुलिस अगले एक दो घंटे में ये कार्यवाही पूरी कर लेगी। सौरव कुमार कहते जा रहे थे और राजकुमार के साथ साथ उसके साथ खड़े प्रधान जी के चेहरे पर भी विजयी भाव आते जा रहे थे।

हरपाल सिंह के खिलाफ जबरन कब्ज़ा करने के प्रयास के लिये आई पी सी की धारा 452 और अन्य बनती धाराओं के तहत केस दर्ज किया जा रहा है। कागज़ी कार्यवाही पूरी होते ही पुलिस हरपाल सिंह के ठिकानों पर उसे गिरफ्तार करने के लिये छापामारी शुरु कर देगी……… लीजिये हमना अपना वायदा समय से पहले ही पूरा कर दिया है। अब तो आपको कोई शिकायत नहीं है पुलिस से। सौरव कुमार कहते कहते हंस दिये थे।

बहुत बहुत शुक्रिया सर। आपके इस फैसले से लोगों का विश्वास शहर की पुलिस पर और भी बढ़ जायेगा। राजकुमार ने कृतज्ञ स्वर में कहा।

आप लोगों ने इस मामले में पुलिस को पूरा सहयोग दिया है, तो फिर पुलिस भला आप लोगों की पीठ कैसे लगने देगी। प्रधान जी को भी ये सूचना दे दीजियेगा और उन्हें कहियेगा, चाय और बिस्किट उनका इंतज़ार करेंगे, जब जी चाहें मेरे कार्यालय आ जायें। सौरव कुमार ने प्रेम भरे स्वर में कहा।

जी बिल्कुल ठीक है सर। राजकुमार ने जानबूझ कर ये बात छिपा ली थी कि प्रधान जी उसके पास ही खड़े हैं।

चलिये फिर, कार्यालय में मिलते हैं। सौरव कुमार ने बात खत्म करने वाले अंदाज़ में कहा।

जी जरूर सर, थैंक्स वनस अगेन। राजकुमार के इतना कहने पर सौरव कुमार ने विदा लेते हुये फोन काट दिया।

बहुत बड़ा नेता बन गया है तू पुत्तर, एस एस पी अब मुझे छोड़ कर तेरे मोबाइल पर फोन करने लगे हैं। प्रधान जी ने गर्व भरे स्वर में राजकुमार को छेड़ते हुये कहा।

आप जानते हैं प्रधान जी, सौरव कुमार ने मेरे मोबाइल पर फोन क्यों किया। राजकुमार ने प्रधान जी की बात को अनसुना करते हुये कहा।

क्योंकि अखबार में तेरे खिलाफ अनाप शनाप छपा है, सहानुभूति दर्शाने के लिये। प्रधान जी ने अपनी राय दी।

जी नहीं, ये फोन उन्होंने इस लिये मेरे मोबाइल पर किया है क्योंकि उन्हें अच्छी तरह से पता होगा कि इस खबर को पढ़ते ही आपका पारा चढ़ गया होगा। आपसे बात करने पर कहीं एक बार फिर से झगड़ा न हो जाये, और मामला फिर से न बिगड़ जाये, इस लिये उन्होंने मुझे फोन किया है। वो जानते हैं कि मुझ पर इस खबर का कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा होगा। राजकुमार ने खुलासा करते हुये कहा।

ओ तेरे बच्चे जीयें, बिल्कुल ठीक जगह पहुंचा है तू। देखा फिर पुत्तर, तेरे प्रधान के गुस्से से बड़े बड़े पुलिस अधिकारी भी घबरा जाते हैं। प्रधान जी ने छाती चौड़ी करते हुये कहा।

ऐसे ही तो मैं आपको भगवान संकटमोचक का दूत नहीं कहता, प्रधान जी। जो प्रेम करने पर आये तो अपने दिल को चीर कर प्रेमी की तस्वीर दिखा दे और क्रोध करने पर आये तो पूरी की पूरी लंका भस्म कर दे। राजकुमार ने प्रधान जी की ओर देखते हुये गर्व से कहा।

ओये कंजर, ये तूने अच्छा नाम दिया है मुझे। अब तो शहर के कई लोग भी मुझे बजरंग बली का दूत कहने लगे हैं। इतना बड़ा नाम क्यों दे दिया तूने मुझे पुत्तर, मैं तो एक छोटा सा इंसान हूं। प्रधान जी ने बड़े विनम्र स्वर में कहा।

मोचन का अर्थ है मरम्मत करके ठीक कर देना, तो संकटमोचक का अर्थ बना वो इंसान अथवा दैवीय शक्ति, जो किसी पर आये हुये संकट का मोचन कर दे, अर्थात उसके संकट का निवारण कर दे। और आपसे अधिक इस शहर के पीड़ित लोगों के संकट का निवारण किसने किया है, प्रधान जी। इसीलिये मैं आपको साक्षात संकटमोचक का दूत कहता हूं। राजकुमार ने गंभीर स्वर में कहा।

अब आप अपने शरीर को और अपने काम करने के तरीके को देखिये। आपके गठे हुये शरीर में मुझे संकटमोचक की झलक साक्षात दिखायी देती है, और किसी दुष्ट की लंका उजाड़ने में तो आपका मुकाबला कोई नहीं कर सकता। तो हुये न आप, भगवान संकटमोचक के दूत। राजकुमार ने श्रद्दा भरे भाव से प्रधान जी की ओर देखते हुये कहा।

इसीलिये मैं अपना अधिकतर समय आपके साथ बिताता हूं। आपके जैसी पुण्यात्मा के साथ रहकर काम करने से मेरा भी कल्याण हो जायेगा। राजकुमार की श्रद्दा अपनी सीमायें तोड़ती जा रही थी।

ओये बस कर कंजर, इतना बड़ा मत बना मुझे। मैं तो संकटमोचक भगवान का एक बहुत छोटा सा भक्त हूं। कहते हुये प्रधान जी ने प्रेम के तेज बहाव में बहते हुये राजकुमार को गले से लगा लिया।

यही वो आखिरी लक्ष्ण है प्रधान जी, जो आपको महान बनाता है। इतिहास में आज तक हर महान आदमी ने अपने आप को सदा छोटा ही बताया है। इतनी शक्ति और साहस होने के बाद भी इसका घमंड नहीं है आपको, और आपने इसका कभी दुरुपयोग नहीं किया। सदा पीड़ितों के रक्षा के लिये ही लड़े हैं आप। राजकुमार ने प्रधान जी के गले लगे हुये ही कहा।

बानी में लिखा है, सूरा सो पहचानिये जो लड़े दीन के हेत। पुर्जा पुर्जा कट मरे, कबहुं न छड्डे खेत। अर्थात असली शूरवीर वो नहीं जो अपनी ताकत को प्रदर्शन की चीज़ मानता है। असली शूरवीर वो है जो केवल दीन दुखियों की सहायता के लिये ही हथियार उठाता है। और एक बार लड़ाई के मैदान में आ जाये तो फिर चाहे शरीर का अंग अंग कट के गिर जाये, विजय या मृत्यु से पहले रणभूमि नहीं छोड़ता।

ये सारे लक्ष्ण मौजूद हैं आपमे, प्रधान जी। चमन शर्मा जैसे अनजान व्यक्ति को न्याय दिलवाने के लिये आपने शहर की सारी पुलिस के साथ दुश्मनी मोल ले ली, जबकि अधिकतर पुलिस अफसरों के साथ आपके बहुत अच्छे संबंध हैं। यही एक सच्चे वीर के लक्ष्ण हैं। राजकुमार ने प्रधान जी से अलग होकर उनकी आंखों मे देखते हुये कहा। उसके स्वर और आंखों में प्रेम और आदर की प्रकाष्ठा साफ दिखाई दे रही थी।

प्रधान जी अवाक खड़े उसे एकटक देखे जा रहे थे और सोच रहे थे कि कितनी छोटी उम्र में ही कितनी बड़ी बातें करता था ये लड़का।

इसी लिये कहता हूं कि आप सच्चे शूरवीर हैं, आप महान हैं, बल्कि मैं तो ये कहूंगा कि आप पुरुष ही नहीं हैं…………………। राजकुमार ने एकदम से अपनी टोन को शरारती बनाते हुये अपनी बात को अधूरा छोड़ते हुये कहा।

ओये क्या मतलब है तेरा कंजर। प्रधान जी राजकुमार के इस फिल्मी डायलाग को समझते हुये भी नकली क्रोध दिखाते हुये बोले।

महापुरुष हैं आप प्रधान जी, महापुरुष हैं। राजकुमार के इतना कहते ही दोनों ज़ोर से ठहाका लगा कर हंस पड़े।

चल अब नाश्ता कर ले। इस सारे चक्कर में तेरा नाश्ता तो ठंडा हो गया। प्रधान जी ने अपनी पत्नी को आवाज़ देते हुये गरम परांठा लाने के लिए कहा।

आज की खबरें बहुत गर्म हैं प्रधान जी, परांठा तो अपने आप ही पेट में जाकर गर्म हो जायेगा। कहते हुये राजकुमार ने ठंडा परांठा ही उठा कर प्लेट में रख लिया।

परांठा अभी प्लेट में गया ही था कि राजकुमार के मोबाइल की घंटी एक बार फिर से बजी। स्क्रीन पर आज़ाद का नाम फ्लैश कर रहा था।

तेरे नसीब में तो लगता है आज का नाश्ता है ही नहीं। किस लानती का मुंह देखा था आज सुबह। प्रधान जी ने मज़ा लेते हुये कहा।

मुंह तो अपना ही देखा था और आवाज़ आपकी सुनी थी, प्रधान जी। राजकुमार ने भी नहले पर दहला मारा और प्रधान जी को चुप रहने का संकेत करते हुये फोन रिसीव किया।

मुबारक हो, आपकी जीत ने आधिकारिक रूप ले लिया है। थाना माडल टाऊन से मेरे सूत्र का फोन आया है। सौरव कुमार ने हरपाल सिंह पर केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार करने के निर्देश दे दिये हैं। अब तो बड़ी वाली पार्टी बनती है। आज़ाद ने अपने ही अंदाज़ में बिना कोई भूमिका बांधे या बिना कोई औपचारिकता करते हुये सीधे काम की बात करते हुये कहा।

हमें भी अभी अभी पता चला है, भाई साहिब। सचमुच ये न्याय सेना की बड़ी जीत है। ये सब आपके सहयोग के बिना संभव नहीं था। मैं आपके इस सहयोग के लिये प्रधान जी, अपनी और पूरी न्याय सेना की ओर से आपका शुक्रिया अदा करता हूं। राजकुमार ने कृत्ज्ञ स्वर में कहा।

ये राजनेताओं वाली लिफाफेबाजी मत कीजिये आप मेरे साथ। हमने आपकी सहायता केवल इसलिये की क्योंकि आपका मुद्दा सही था। जिस दिन आप गलत दिशा में जायेंगे, आपके खिलाफ छापने से भी परहेज़ नहीं करेगा, अमर प्रकाश। आज़ाद ने हंसते हुये कहा, पर राजकुमार जानता था कि आज़ाद एकदम सच बोल रहे थे।

आप जैसे शुभचिंतकों की हमें बहुत जरूरत है भाई साहिब, जो हमें गलत दिशा में जाने ही न दे। राजकुमार ने स्वर को वजनदार बनाते हुये कहा।

चलिये अब रखता हूं, फिर मुलाकात होती है। कहते हुये एक बार फिर बिना किसी औपचारिकता के युसुफ आज़ाद ने फोन काट दिया।

मैं आजतक आज़ाद भाई को समझ नहीं पाया, पुत्तर जी। एक पल में ही हमारी इतनी बड़ी मदद कर देते हैं और दूसरे ही पल हमें धमका भी देते हैं। प्रधान जी ने सारी बातचीत सुन ली थी।

वे भी महान हैं प्रधान जी, एक सच्चे क्रांतिकारी हैं आज़ाद। उनके लिये केवल मकसद मायने रखता है, लोग नहीं। क्योंकि हमारा और उनका मकसद एक ही है अर्थात न्याय के लिये लड़ना, इसीलिये वो हमारी सहायता करते हैं। प्यार व्यार जैसी चीजों में नहीं पड़ते वो। बहुत व्यवहारिक हैं आज़ाद भाई। राजकुमार ने आज़ाद की तारीफ करते हुये कहा।

इतने सारे अच्छे अच्छे लोग हमारे साथ हैं, इसीलिये तो हमारा बड़े से बड़ा काम भी आसानी से हो जाता है, पुत्तर जी।

ये लाख रुपये की बात कही है आपने, प्रधान जी। राजकुमार ने कहा और फिर प्लेट में आ चुके गर्म परांठे पर टूट पड़ा।

दूसरे दिन के अखबार इस मामले की निर्णायक खबर से भरे पड़े थे।

वरूण शर्मा की न्याय सेना का एक और बड़ा कारनामा, चमन शर्मा को दिलाया इंसाफ। पंजाब ग्लोरी की खबर ने विशेष रूप से प्रधान जी की तारीफ की थी।

हरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज, पुलिस ने की ठिकानों पर छापामारी, हरपाल सिंह फरार। ये था सत्यजीत समाचार की न्यूज़ का शीर्षक।

न्याय सेना की बड़ी जीत, पीली पत्रकारिता के मुंह पर तमाचा, हरपाल सिंह के खिलाफ मामला दर्ज। अमर प्रकाश ने तो प्रभात न्यूज़ के रिपोर्टर को भी लपेट में ले लिया था।

हिमांशु शंगारी