संकटमोचक अध्याय 25

Sankat Mochak
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उसी दिन चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री की गाड़ी विधान सभा में होने वाली कैबिनेट की मीटिंग के लिये पहुंची ही थी कि पत्रकारों ने तरह तरह के मुद्दों पर उनसे सवाल पूछने शुरु कर दिये। दो तीन मिनट तक संक्षेप में जवाब देने के बाद जब मुख्यमंत्री विधान सभा की ओर चलने लगे तो पीछे से आ रही एक आवाज़ ने उनका ध्यान खींचा।

आपके सबसे करीबी कैबिनेट मंत्री अवतार सिंह का नाम जालंधर में भू माफिया के साथ जोड़ा गया है, सी एम साहिब। बहुत बवाल मचा हुआ है जालंधर में। एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी हो रही है वहां। आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगे। मुख्यमंत्री ने इस आवाज़ को सुनते हुये भी अनसुना किया और तेज़ कदमों से विधान सभा में प्रवेश कर गये।

अमर प्रकाश के चंढीगढ़ कार्यालय से वरिष्ठ पत्रकार प्रवीण त्रिवेदी था, सी एम साहिब। उनके साथ चल रहे उनके एक विश्वस्त का स्वर उनके कानों में पड़ा।

कैबिनेट की मीटिंग समाप्त होने के बाद जब सब लोग विदा लेने को हुये तो मुख्यमंत्री ने अवतार सिंह को रुकने का इशारा किया। अवतार सिंह के लिये ये सामान्य बात थी। मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण वो अकसर उसे किसी मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिये रोक लेते थे।

ये जालंधर वाले हरपाल सिंह का क्या मामला है, अवतार। पांच मिनट बाद मुख्यमंत्री के निजी केबिन में बैठे अवतार सिंह के कानों में जब ये आवाज़ पड़ी तो वो समझ गया कि मामला बिगड़ गया है।

जी वो, हरपाल सिंह अपनी पार्टी का बहुत पक्का और पुराना समर्थक है। बात को संभालने की कोशिश करते हुये कहा अवतार सिंह ने।

वो तो ठीक है अवतार, पर ये मामला अब सीरियस हो गया है। पुलिस की प्रतिष्ठा खराब हो रही है इस मामले में। मुख्यमंत्री का स्वर गंभीर था।

पुलिस को तो वैसे ही बात को बढ़ा चढ़ा कर बताने की आदत होती है, सी एम साहिब। अवतार सिंह ने अंदाज़ा लगा लिया था कि सौरव कुमार ने मुख्यमंत्री को फोन किया होगा।

सौरव हमारा बहुत विश्वस्त है अवतार, और एक बहुत कुशल अधिकारी भी। इसीलिये तो जालंधर जैसे मुश्किल शहर को इतने समय से कुशलता के साथ संभाल रहा है। अगर वो कहा रहा है कि स्थिति गंभीर है, तो मान लो कि स्थिति गंभीर है। मुख्यमंत्री ने सौरव कुमार का नाम छिपाने की कोई भी कोशिश किये बिना कहा।

पर इस तरह अगर हमारे पार्टी समर्थकों का नुकसान होने लगा और हम चुपचाप देखते रहे, तो फिर कौन कार्य करेगा हमारी पार्टी के लिए, सी एम साहिब। अवतार सिंह ने दलील दी।

इस तरह के गंदे काम करने वाले लोग हमें अपनी पार्टी में नहीं चाहिये, अवतार। अब मेरी बात को ध्यान से सुनो। मुख्यमत्री के स्वर की गंभीरता बढ़ गयी थी।

तुम मेरे स्वर्गवासी मित्र के बेटे हो, इस लिये तुम पर मेरा विशेष स्नेह रहता है। ये बात मैं तुम्हें मुख्यमंत्री होने के नाते नहीं बल्कि तुम्हारा अंकल होने के नाते समझा रहा हूं। स्नेह भरे स्वर में बोले सी एम।

जी कहिये। अवतार सिंह भी थोड़ा भावुक हो गया था अब।

तुम अभी युवा हो और तुम्हें राजनीति में बहुत आगे जाना है। इस तरह के गलत फैसले तुम्हारे राजनैतिक करियर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। हम लोग किसी की उन्नीस इक्कीस होने पर मदद तो कर सकते हैं, किंतु किसी के सरेआम गलत साबित हो जाने के बाद भी उसका साथ देना एक भयंकर राजनैतिक भूल होती है। अवतार सिंह को अब सी एम साहिब की बात कुछ कुछ समझ आने लगी थी।

चाहता तो मैं सुबह ही सौरव को इस मामले में कार्यवाही करने के निर्देश दे सकता था। पर मैं नहीं चाहता था कि तुम्हें ये बात कार्यवाही होने के बाद पता चले। इसलिये पहले तुम्हें बुला कर समझाना उचित समझा मैने। इस मामले से अपना हाथ खींच लो बेटा, हरपाल सिंह सहायता करने के लायक नहीं है। पिता समान स्नेह उमड़ आया था सी एम साहिब के स्वर में।

जैसा आपका आदेश होगा, मैं वही करुंगा, अंकल। कहते हुये अवतार सिंह ने सी एम साहिब के चरण स्पर्श किये। बात पूरी तरह से उसकी समझ में आ चुकी थी कि उसकी ये नादानी उस पर और मुख्यमंत्री साहिब पर कितनी भारी पड़ सकती थी।

मुझे तुमसे यही उम्मीद थी। आशिर्वाद देते हुये सी एम साहिब ने कहा और अवतार सिंह उनसे विदा लेते हुये कमरे से बाहर चला गया।

एस एस पी जालंधर से मेरी बात करवायी जाये। उसके जाते ही मुख्यमंत्री ने फोन उठाकर आपरेटर को आदेश दिया।

एक मिनट से भी कम समय में फोन की घंटी बजी और उठाते ही आपरेटर की आवाज़ आई।

एस एस पी जालंधर लाईन पर हैं सर, मैं कनेक्ट कर रहा हूं।

जय हिंद सर, कहिये क्या आदेश हैं मेरे लिये। दूसरी ओर से सौरव कुमार का एलर्ट स्वर सुनायी दिया।

सौरव, अवतार से मेरी बात हो गयी है हरपाल सिंह वाले मामले में, और मैने उसे समझा दिया है। अब आप पर इस मामले में कोई दबाव नहीं आयेगा। आप इस मामले को अपनी समझ और विवेक के साथ जैसे चाहे हैंडल कर सकते हैं। मैं पूरी तरह से आपके साथ हूं इस केस में। मुख्यमंत्री ने आश्वासन देने वाले अंदाज़ में कहा।

बहुत बहुत धन्यवाद सर, आपके इस फैसले से पुलिस का गिरता हुआ मनोबल एकदम से बढ़ जायेगा। सौरव कुमार के स्वर में खुशी साफ झलक रही थी।

इस मामले को जल्द ही निपटा कर मुझे रिपोर्ट कीजिये। अच्छा अब फोन रखता हूं। दूसरी ओर से सौरव कुमार के ‘जय हिन्द सर’ को सुनते सुनते ही मुख्यमंत्री ने फोन नीचे रख दिया।

हिमांशु शंगारी