संकटमोचक अध्याय 24

Sankat Mochak
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खाने के बाद सब औरतें एक कमरे में चलीं गयीं। प्रधान जी अभी राजकुमार से कोई बात करने ही वाले थे कि हनी की आवाज़ आयी।

पापा अब सुनाओ न बाकी की कहानी। हनी ने एक बार फिर वही बात पकड़ ली।

कौन सी कहानी पुत्तर। प्रधान जी ने हनी की ओर देखते हुये पूछा। कमरे में बैठे पुन्नु के चेहरे पर भी उत्सुकुता के भाव आ गये थे।

आपकी और पापा की कहानी, प्रधान अंकल। हनी ने मासूमियत से कहा।

मेरी और तेरे पापा की तो बहुत सी कहानियां हैं इस शहर में, पुत्तर। तू किस कहानी की बात कर रहा है। प्रधान जी ने मुस्कुराते हुये कहा।

वो चमन शर्मा वाली कहानी, वो हरपाल सिंह वाली कहानी, वो……………… कहता ही जा रहा था मासूम स्वर में हनी।

अच्छा वो कहानी, वो कहानी तो पापा भी मुझे सुनाते हैं। बड़ी मजेदार कहानी है। किसी के बोलने से पहले ही पुन्नु ने कहा।

तो फिर हो जाये एक बार फिर वो कहानी, पुत्तर जी। हनी के साथ साथ हम भी सुन लेंगे अपने लेखक बेटे के मुंह से वो कहानी। प्रधान जी के कहते ही राजकुमार ने कहानी फिर से शुरु कर दी।

हिमांशु शंगारी