संकटमोचक अध्याय 21

Sankat Mochak
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दूसरे दिन सुबह आठ बजे के करीब सौरव कुमार अपने आधिकारिक निवास में ही बने ऑफिस के एक कमरे में तेजी से चहलकदमी कर रहे थे। साथ में एक टेबल पर ढेर सारी अखबारें पड़ीं थीं, जो शायद उनकी चिंता का कारण थीं।

जय हिंद सर। इतने में दरवाजे से एस पी रमन दुग्गल की आवाज़ आयी।

आईये आईये दुग्गल साहिब। मैं आपकी ही प्रतीक्षा कर रहा था। कहते हुये सौरव कुमार अपनी आधिकारिक कुर्सी पर बैठे और रमन दुग्गल उनके सामने पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गये।

आज के अखबार देखे आपने। अर्दली को चाय का प्रबंध करने के आदेश देने के बाद सौरव कुमार ने कहा। उनकी आवाज़ में परेशानी साफ झलक रही थी।

जी सर, देखे हैं। जम कर लिखा है सबने पुलिस के खिलाफ। रमन दुग्गल का स्वर सहानुभूति से भरपूर था।

पुलिस के खिलाफ या मेरे खिलाफ। मुस्कुराते हुये कहा सौरव कुमार ने। इस विकट स्थिति में भी उन्होने अपना धैर्य नहीं खोया था।

जी सर…………………कुछ कहते कहते रुक गये रमन दुग्गल। शायद उन्हें समझ नहीं आ रहा था क्या कहें ऐसी परिस्थिति में।

लगभग हर अखबार नें ही सीधा मुझे ही टारगेट किया है……………… शहर के पुलिस चीफ भू माफिया को संरक्षण दे रहे हैं…………………… एस एस पी जालंधर पर भू माफिया के साथ सांठ गांठ के गंभीर आरोप……………… और इस अमर प्रकाश ने तो हद ही पार कर दी है।

रमन दुग्गल चुपचाप सुने जा रहे थे।

सीधे तौर से मेरा नाम ही लिख दिया है। देखा आपने, दुग्गल साहिब। कहते हुये सौरव कुमार ने अमर प्रकाश का उनसे संबंधित खबर वाला पेज रमन दुग्गल के सामने रख दिया।

रमन दुग्गल हालांकि इसे पहले से ही पढ़ चुके थे। फिर भी उन्होने एक बार फिर सामने पड़े अमर प्रकाश के पेज पर नज़र डाली।

एस एस पी सौरव कुमार भू माफिया के साथ मिले हुये हैंवरुण शर्मा। ये था शीर्षक उस खबर का।

एक संवाददाता सम्मेलन में आज न्याय सेना के अध्यक्ष वरुण शर्मा ने जालंधर के एस एस पी सौरव कुमार पर भू माफिया के साथ सांठ गांठ के संगीन आरोप लगाये हैं। सौरव कुमार के साथ ही साथ उन्होने प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और मुख्यमंत्री के खास कहे जाने वाले राजनेता अवतार सिंह पर भी इस रैकेट में शामिल होने के आरोप लगाये हैं। रमन दुग्ग्ल एक बार फिर से ये खबर पढ़ते जा रहे थे।

अपने आरोपों के पक्ष में उन्होने पिछले आठ दिनों में पुलिस को चमन शर्मा द्वारा ठेकेदार हरपाल सिंह के खिलाफ दी गयीं कई शिकायतें दिखायीं, जिन पर कभी कोई कार्यवाही नहीं हुयी। हरपाल सिंह प्रदेश के कैबिनेट मंत्री अवतार सिंह के करीबी बताये जाते हैं और सौरव कुमार के साथ भी उनके घनिष्ट संबंध बताये जाते हैं, जिसके चलते पुलिस ने आज तक न तो कभी चमन शर्मा के गोदाम का दौरा किया और न ही कभी उसका कोई बयान दर्ज किया। रमन दुग्गल बीच बीच से खबर को छोड़ कर जरूरी हिस्से पढ़ते जा रहे थे।

न्याय सेना की ओर से लगाये गये इन सारे आरोपों से और उनके द्वारा पेश किये गये सबूतों से एक बात तो साफ जाहिर है, कि पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। चाहे सौरव कुमार की भू माफिया से कोई सांठ गांठ हो या न हो, पर पुलिस के इस मामले में कोई कार्यवाही न करने की जिम्मेवारी तो शहर का पुलिस चीफ होने के कारण उन्हें ही उठानी होगी। अखबार की ओर से विशेष टिप्पणी थी ये।

अमर प्रकाश के संवाददाता ने जब सौरव कुमार से उनका पक्ष जानने के लिये संपर्क किया तो उन्होने इन सारे आरोपों को झुठला दिया। उन्होने कहा कि पुलिस अपना काम ठीक ढंग से कर रही है। इस मामले की जांच सीनीयर एस पी मोहम्मद सिद्दीकी कर रहे हैं, और उनकी जांच पूरी होने पर इस केस में उचित कार्यवाही की जायेगी। खबर के एक ओर एक छोटी सी डिब्बी में सौरव कुमार का ये बयान लगा था।

देखिये मेरे खिलाफ लगाये गये आरोपों को कितना हाईलाईट करके लिखा है और मेरे बयान को कैसे छोटे से एक कोने में एक तरफ करके लगा दिया है, ताकि किसी की नज़र ही न पड़े उसपर। रमन दुग्गल के सिर ऊपर करते ही सौरव कुमार ने एक बार फिर से मुस्कुराते हुये कहा।

जाने दीजिये न सर, आपको तो पता ही है। ये अमर प्रकाश वाले तो वैसे ही पुलिस और प्रशासन के खिलाफ चलते हैं। और फिर आज़ाद ने खबर लिखी है, आग तो उगलेगा ही। उसकी कलम से तो हमेशा आग ही निकलती है। किसको छोड़ा है उसने शहर में। आप चाय लीजिये। रमन दुग्गल ने बात बदलने की कोशिश करते हुये टेबल पर आ चुकी चाय की ओर संकेत किया।

मुझे इन खबरों की कोई खास चिंता नहीं है, दुग्गल साहिब। हमारी नौकरी में तो ये सब चलता ही रहता है। लोगों को बस मौका चाहिये पत्थर उछालने का। सौरव कुमार की निरंतर बनी हुई मुस्कुराहट को देखकर रमन दुग्गल मन ही मन में उनकी प्रशंसा कर रहे थे कि कैसे उन्होंने इतनी विकट स्थिति में भी संयम बनाया हुआ है।

तो क्या है आपकी चिंता का विषय सर। रमन दुग्गल ने चाय का कप उठाते हुये कहा।

आई जी साहिब का फोन आया था थोड़ी देर पहले। उनकी सलाह थी कि पुलिस को इस मामले में अब और बदनामी नहीं करवानी चाहिये और हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही कर देनी चाहिये। सौरव कुमार ने चाय का घूंट भरते हुये कहा।

ठीक ही तो कहते हैं आई जी साहिब, सर। आखिर पुलिस को लेना देना ही क्या है उस हरपाल सिंह से। क्यों बेकार में ही हम अपनी बदनामी करवा रहे हैं। रमन दुग्गल ने तीखे स्वर में कहा।

ये मामला इतना आसान नहीं है दुग्गल साहिब। जब तक हरपाल सिंह के सिर से मंत्री जी का हाथ नहीं उठता, उसके खिलाफ कार्यवाही करने से ये मामला उलझ भी सकता है। सौरव कुमार ने कुछ सोचते हुये कहा।

मंत्री जी इस केस की जांच के लिये हरपाल सिंह के द्वारा ए डी जी साहिब या डी जी पी साहिब को अर्ज़ी दिलवाकर अपनी पसंद के किसी उच्च पुलिस अधिकारी को ये जांच दिलवा सकते हैं। जो जांच के बाद ये रिपोर्ट दे देगा कि हरपाल सिंह इस मामले में निर्दोष है। ऐसा होने पर हमारी स्थिति नाज़ुक हो सकती है। सौरव कुमार ने रमन दुग्गल को समझाने वाले अंदाज़ में कहा।

मैं समझ गया सर, पुलिस पर ये इल्जाम आ जायेगा कि हमने कुछ प्रदर्शनकारियों के दबाव में आकर अपनी जान बचाने के लिये जल्दबाजी में बिना किसी ठोस सुबूत के एक सम्मानित नागरिक के खिलाफ कार्यवाही कर दी। और फिर बाद में कुछ पुलिस अफसरों पर गाज भी गिर सकती है। रमन दुग्गल सब समझ गये थे।

यही है मेरी चिंता का कारण। सौरव कुमार ने लंबी सांस छोड़ते हुये कहा।

इसका तो फिर एक ही उपाय है सर………… रमन दुग्गल कहते कहते रुक गये, जैसे अपनी बात को तोल रहे हों।

आप ये सारा मामला माननीय मुख्यमंत्री साहिब की जानकारी में दे दीजिये और इस मामले में कार्यवाही करने के लिये सीधे उनसे दिशा निर्देश प्राप्त कर लीजिये। फिर तो ये सारा सिरदर्द ही मिट जायेगा सर। रमन दुग्गल ने एक एक शब्द को तोलते हुये कहा।

लगता है अब कुछ ऐसा ही करना पड़ेगा। आप अपने काम संभालिये अब, मैं करता हूं कुछ इस बारे में। चाय खत्म करते हुये सौरव कुमार ने कहा।

जी बिल्कुल ठीक है सर, जय हिन्द। और रमन दुग्गल वहां से विदा हो गये।

उनके जाने के बाद सौरव कुमार ने कुछ सोचते हुये अपने मोबाइल से एक नंबर डायल किया और घंटी बजने पर दूसरी ओर से किसी के बोलने की प्रतीक्षा करने लगे।

कैसे हैं एस एस पी साहिब। दूसरी ओर से आवाज़ आयी।

जय हिन्द मंत्री जी। सौरव कुमार ने उत्तर दिया। दूसरी ओर से मंत्री अवतार सिंह बोल रहा था।

सुबह सुबह कैसे फोन किया आज, सब ठीक तो है। अवतार सिंह के स्वर में कुछ शंका थी।

कुछ ठीक नहीं है मंत्री जी, हरपाल सिंह वाले मामले को लेकर सारे शहर में बवाल मचा हुआ है। आज सारे अखबार मेरे नाम से भरे पड़े हैं। आपका नाम भी छपा है। भू माफिया की सरपरस्ती का आरोप लगा है मुझ पर और आप पर। सौरव कुमार ने कहा।

ऐसे आरोप तो हम राजनेताओं पर लगते ही रहते हैं एस एस पी साहिब, आप चिंता न करें। एक दो दिन शोर मचा कर अपने आप ही चुप कर जायेंगे, ये अखबार। हरपाल सिंह मेरे बहुत खास हैं। आप किसी भी तरह से उनका कोई नुकसान मत होने देना। अवतार सिंह के स्वर में पुरज़ोर सिफारिश थी।

मामला अब इतना सीधा नहीं रह गया है मंत्री जी। एक बहुत बड़े स्थानीय संगठन ने तीन दिन में कार्यवाही न करने पर मेरे ऑफिस पर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है आज सारे अखबारों में। बहुत पकड़ है इस संगठन की इस शहर में। पुलिस की बहुत बदनामी हो रही है। इस मामले को हम अब अधिक देर लटका नहीं सकते। सौरव कुमार ने मजबूरी जताने वाले स्वर में कहा।

चाहे कुछ भी हो जाये, आपको ये मामला कम से कम पंद्रह बीस दिन तो लटकाना ही होगा। इतनी देर में मैं कुछ न कुछ इंतजाम कर लूंगा हरपाल सिंह को बचाने का। अवतार सिंह अभी भी अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ था।

ये संभव नहीं हो पायेगा मंत्री जी……………… सौरव कुमार की बात बीच में ही काट दी अवतार सिंह ने।

आपके लिये सब संभव है। सारे शहर की पुलिस आपकी जेब में है, आप कुछ भी कर सकते हैं। अच्छा अब मैं रखता हूं, आज कैबिनेट मीटिंग पर जाना है। अवतार सिंह ने जान छुड़ाने वाले अंदाज़ में कहा।

जय हिन्द मंत्री जी। सौरव कुमार के इतना कहते ही दूसरी ओर से फोन काट दिया गया।

अवतार सिंह से अपनी बातचीत का कोई सकारात्मक नतीजा न निकलता देखकर सौरव कुमार फिर से सोच में पड़ गये। हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही न करने के कारण शहर में पुलिस की बदनामी हो रही थी और अवतार सिंह किसी भी सूरत में हरपाल सिंह के खिलाफ कार्यवाही करने को सहमति नहीं दे रहा था।

सोचों के इस बवंडर में कुछ देर फंसे रहे सौरव कुमार, फिर अपने आधिकारिक फोन से एक नंबर डायल कर दिया। दो बार घंटी बजने के बाद दूसरी ओर से आवाज़ आयी।

माननीय मुख्यमंत्री पंजाब के निवास से बोल रहा हूं, कहिए मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं।

राजेंद्र, मैं सौरव कुमार बोल रहा हूं। सी एम साहिब घर पर हैं क्या। सौरव कुमार दूसरी ओर से बोलने वाले की आवाज़ पहचान गये थे।

जय हिन्द सर। जी, सी एम साहिब घर पर ही हैं। राजेंद्र ने सौरव कुमार को पहचाने हुये आदरपूर्वक कहा।

मेरी बात हो सकती है क्या उनसे। सौरव कुमार ने पूछा।

मैं अभी पता कर के बताता हूं सर, आप लाईन होल्ड कीजिये प्लीज़। कहते हुये राजेंद्र ने सौरव कुमार को होल्ड पर डाल दिया।

लगभग 30-40 सैकेंड के बाद राजेंद्र की आवाज़ एक बार फिर से आयी।

सी एम साहिब आपसे बात करेंगे, सर। मैं लाईन ट्रांसफर कर रहा हूं।

हिमांशु शंगारी