संकटमोचक अध्याय 18

Sankat Mochak
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लगभग पंद्रह मिनट बाद प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यालय में प्रधान जी के निजी केबिन में बैठे हुये थे। प्रधान जी ने राजू को हिदायत दे दी थी कि जब तक वो न कहें, किसी को अंदर न आने दिया जाये। राजू समझ चुका था कि प्रधान जी और राजकुमार अब अंदर बैठ कर आगे की रणनीति बनायेंगे।

तो पुत्तर जी, अब आगे क्या करना है। प्रधान जी ने बात शुरु करते हुये कहा।

करना क्या है प्रधान जी, अब आपने जंग का ऐलान कर दिया है तो जंग ही करनी होगी। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

वो तो ठीक है पर दुग्गल साहिब का फोन उठाने से पहले तूने मेरे कान में ये क्यों कहा था कि अगर वो मुझे अपने ऑफिस में बुलायें तो कोई बहाना बना कर मना कर दूं। तुझे तो पता है कि दुग्गल साहिब मेरे खास यार हैं। उन्हें यूं मना करके आ जाना मुझे अच्छा नहीं लगा, पुत्तर जी। प्रधान जी ने उत्तर की अपेक्षा से राजकुमार की ओर देखा।

वो इसलिये प्रधान जी, कि मैं समझ गया था कि इस समय दुग्गल साहिब का फोन आने का एक ही मतलब होगा। सौरव कुमार ने हमारे निकलते ही उन्हें सारी बात बतायी होगी और बात को और बिगड़ने से पहले ही संभालने के लिये कहा होगा। राजकुमार के स्वर में कुछ समझाने वाले भाव थे।

पर पुत्तर जी, दुग्गल साहिब तो एस पी सिटी वन हैं जबकि ये मामला तो एस पी सिटी टू के कार्यक्षेत्र में आता है, जो अपने रहल साहिब हैं। प्रधान जी ने सिर खुजाते हुये कहा।

इस समय बात क्षेत्र की नहीं है प्रधान जी, जिस तरह से आपकी सौरव कुमार के साथ तीखी झड़प हुई थी, उसके पश्चात उन्हें कोई ऐसा अफसर चाहिये था, जो आपको शांत कर सकें। राजकुमार कहता जा रहा था।

आप जानते हैं कि इस समय शहर की पुलिस के आला अधिकारियों में आपके संबध सौरव कुमार के साथ इतने अच्छे हैं कि उनसे अधिक अच्छे संबंध आपके केवल एक ही पुलिस अफसर के साथ हैं। राजकुमार ने मुस्कुरा कर अपनी बात को विराम दिया।

और वो अफसर है अपने दुग्गल साहिब। ओ तेरे बच्चे जीन, बिल्कुल ठीक जगह पहुंच गया है तू। प्रधान जी ने एकदम खुश होते हुये कहा।

जाहिर सी बात है, जब इतने अच्छे संबंध होने के बाद भी सौरव कुमार बात को नहीं संभाल सके तो वो केवल उसी व्यक्ति को आपसे बात करने के लिये बोल सकते हैं जिनके आपके साथ संबंध उनसे भी अधिक गहरे हों।

और सौरव कुमार ये बात भली भांति जानते हैं कि आपके और दुग्गल साहिब के संबंध सालों पुराने हैं। तबसे जब वो इसी शहर में डी एस पी के रूप में कार्यरत थे। दुग्गल साहिब इस समय पुलिस के अकेले अफसर हैं जो आपको वरुण या फिर तू कहकर भी बोल सकते हैं। राजकुमार ने अपनी बात पूरी की।

हे हे हे पुत्तर जी, दुग्गल साहिब अपने यार हैं। वो चाहे कुछ भी कहकर बोल सकते हैं मुझे। प्रधान जी के स्वर में एक बार फिर प्रेम उमड़ आया था दुग्गल साहिब के लिये।

इसी प्रेम के कारण आपको उनके पास जाने से रोका था मैने। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

अब ये क्या नयीं पहेली है। प्रधान जी एक बार फिर सिर खुजा रहे थे।

आपके जाने पर दुग्गल साहिब आपसे केवल एक और एक बात ही कहने वाले थे। राजकुमार ने सस्पैंस बनाते हुये कहा।

वो क्या पुत्तर जी। प्रधान जी के स्वर में उतावलापन था।

यही कि आप इस मामले में दी गयी न्याय सेना के प्रदर्शन की बात को या तो वापिस ले लें, या फिर कम से कम कुछ दिनों के लिये टाल ही दें। क्या इन दोनों में से कोई भी बात संभव है, प्रधान जी। राजकुमार एक बार फिर मुस्कुरा रहा था।

सवाल ही पैदा नहीं होता। वरुण शर्मा ने जब कह दिया कि तीन दिन बाद प्रदर्शन होगा, तो प्रदर्शन होगा। इस प्रदर्शन को अब केवल एक ही सूरत में रोका जा सकता है, अगर पुलिस इस मामले में उचित कार्यवाही करे तो। प्रधान जी ने तैश में आते हुये कहा।

ये बात जितनी अच्छी तरह से आप जानते हैं, उतनी अच्छी तरह से मैं भी जानता हूं। इसीलिये आपको जाने से रोक दिया। इसमें आपकी दोस्ती का नुकसान हो सकता था। राजकुमार फिर जारी हो गया था।

दुग्गल साहिब के पूरा मनाने के बाद भी अगर आप उन्हे दोनों में से एक बात पर भी अपनी सहमति नहीं देते तो उन्हें ठेस पहुंच सकती थी। फिर सारे ऑफिस को तमाशे की जानकारी भी हो चुकी थी, जिसके कारण आपका उनके कार्यालय में जाकर भी उनकी बात माने बिना आ जाना उनकी निजी प्रतिष्ठा के लिये भी बुरा साबित हो सकता था। राजकुमार ने अपनी बात पूरी कर दी।

इसीलिये तो मैं तेरी हर बात पहले मान लेता हूं और सवाल बाद में पूछता हूं, मेरे युवराज। मुझसे कहीं अधिक मेरी और मेरी प्रतिष्ठा की चिंता रहती है तुझे। कहते हुये प्रधान जी ने राजकुमार को अपने गले से लगा लिया।

दोस्ती की है प्रधान जी, निभानी तो पड़ेगी ही। राजकुमार की इस फिल्मी बात पर उसके साथ साथ प्रधान जी भी हंस पड़े थे।

तो अब आगे क्या करना है। प्रधान जी ने राजकुमार से हटकर बैठते हुये अपना प्रश्न दोहरा दिया था।

करना वही है प्रधान जी, जो ऐसी किसी स्थिति के पैदा होने के केस में हमने सुबह ही तय कर लिया था। राजकुमार की मुस्कुराहट गहरी हो गयी थी।

तो फिर देर किस बात की मेरे युवराज, हो जा शुरू। प्रधान जी के कहते कहते ही राजकुमार ने अपने मोबाइल से कोई नंबर डायल करना शुरु कर दिया था और प्रधान जी भी केबिन के एक कोने में किसी से बात करने लग गये थे। लगभग पंद्रह मिनट तक दोनों अपने अपने मोबाइलस पर अलग अलग लोगों से बात करते रहे और फिर एक साथ आ कर बैठ गये।

लो प्रधान जी, मैने अपने हिस्से में आये सारे न्यूज़ रिपोर्टर्स को बोल दिया है कि न्याय सेना एक बड़े मुद्दे को लेकर आज शाम चार बजे अपने कार्यालय में प्रैस कांफ्रैंस करेगी। सबने आने के लिये हां कर दी है। राजकुमार ने अपनी बात कहते हुये प्रधान जी की ओर देखा।

और मेरी बात भी मेरे हिस्से में आये हुये पत्रकारों से हो गयी है। सब पहुंच जायेंगे। अब प्रैस नोट बना लें, शाम के लिये। प्रधान जी राजकुमार की ओर देखते हुये कहा।

चलिये अब ये काम ही निपटा लेते हैं। कहते हुये राजकुमार ने न्याय सेना का आधिकारिक राईटिंग पैड उठाया और उस पर कुछ लिखने लगा। प्रधान जी साथ साथ ही उसे पढ़ते जा रहे थे और बीच बीच में राजकुमार को कुछ समझाते जा रहे थे। करीब बीस मिनट के बाद राजकुमार ने प्रैस नोट पूरा करके एक बार प्रधान जी को सुनाया, ताकि अगर किसी संशोधन की जरुरत हो, तो कर लिया जाये।

एकदम एटम बम बना है, पुत्तर जी। पत्रकारों की तो बांछे खिल जायेंगीं आज इसे पढ़कर। प्रधान जी ने प्रफुल्लित स्वर में कहा।

हां, रोज रोज उन्हें बड़े लोगों से ये पूछने को थोड़े मिलता है कि किसी ने आपको कटघरे में खड़ा किया है सबूतों के साथ। आपकी क्या प्रतिक्रिया है इसपर। राजकुमार ने प्रधान जी के मन के भावों को जैसे शब्द दे दिये हों।

ठीक कहा पुत्तर जी, पत्रकार पूरा मज़ा लेंगे उनके साथ, और कुछ लोग तो अपना बकाया हिसाब भी चुकता करेंगे, इनमें से किसी न किसी के साथ। प्रधान जी की इस बात पर दोनों ही ठहाका लगा कर हंस दिये थे।

हिमांशु शंगारी