संकटमोचक अध्याय 14

Sankat Mochak
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आकाश कुमार पंजाब ग्लोरी के संपादक थे। पंजाब ग्लोरी क्षेत्र के सबसे अधिक बिकने वाले समचार पत्रों में से एक था और विशेष तौर से पंजाब के लोगों के एक बहुत बड़े वर्ग में इसकी जबरदस्त पकड़ थी। बहुत से लोगों को इसकी लत इस तरह से लग गयी थी कि अगर ये समाचार पत्र न मिले तो उनकी सुबह शुरु नहीं होती थी। इसी से इस समाचार पत्र की लोकप्रियता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।

अखबार के मुख्य संपादक अजय कुमार के बड़े सुपुत्र थे आकाश कुमार। युवा उम्र में ही उन्होंने अखबार के कार्य में अपने पिता का हाथ बंटाना शुरु कर दिया था और इस समय वह अखबार में संपादक के रूप में कार्यरत थे। युवा उम्र के साथ साथ नयी सोच का मिश्रण भी था आकाश कुमार के अंदाज़ में, जिसके चलते उन्होंने अखबार को कई मामलों में नये स्तरों पर पहुंचाया था।

आकाश कुमार का व्यक्तित्व मोहक था और विशेष रूप से उनकी मुस्कुराहट और उनकी मीठी वाणी सबका मन मोह लेती थी। यही कारण था कि संपादक बनने के कुछ ही वर्षों में उन्होने न केवल राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच, बल्कि आम जनता के बीच भी अपनी एक विशेष छवि बना ली थी।

किसी सामाजिक कार्यक्रम से लौटकर आकाश कुमार जब कार्यालय वापिस आये तो नित्य की तरह मिलने वालों का तांता लगा हुआ था। इस समय आकाश कुमार बड़ी तेजी से लोगों को निपटाने में लगे हुये थे ताकि कार्यालय के अंदर और बाहर लगे जमावड़े को कम किया जा सके।

जनाब, प्रधान जी मिलना चाहते हैं। दरबान की आवाज़ आई।

उन्हें फौरन अंदर भेज दो। कहते हुये आकाश कुमार एक बार फिर से भीड़ निपटाने में जुट गये।

हमारे आकाश जी की जय हो, आकाश जी की जय हो। प्रधान जी का ये जाना पहचाना नारा सुनते ही न चाहते हुये भी आकाश कुमार के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और उन्होंने आवाज़ की दिशा में मुंह घुमा कर प्रधान जी और राजकुमार के अभिवादन का सिर हिला कर जवाब दिया।

आईये आईये वरुण जी, कैसे हैं आप। और राजकुमार सब ठीक है। आकाश कुमार ने दोनों को सामने पड़ी कुर्सियों पर बैठने को कहा और कर्मचारी को चाय लाने का आदेश दिया।

आज चाय ऐसे नहीं पी जायेगी, आकाश जी। आज तो स्पेशल वाली चाय पीयेंगे। प्रधान जी ने आकाश कुमार की वयस्तता को नज़र अंदाज़ करते हुये अपने ही स्टाइल में कहा।

प्रधान जी के ये शब्द सुनते ही आकाश कुमार के मुख पर मुस्कुराहट आ गयी। वो समझ गये थे कि वरुण निजी रूप से कोई बात करना चाहते हैं।

तो फिर आप लोग मेरे निजी केबिन में चलिये और मुझे केवल पांच मिनट दीजिये। फिर वहीं बैठकर चाय पीते हैं। आकाश कुमार ने मुस्कुरा कर कहा और फिर जल्दी से लोगों को निपटाने में लग गये।

केबिन में करीब दस मिनट वेट करने के बाद आकाश कुमार अंदर आये और उनके साथ ही चाय और बिस्किट भी आ गये।

कहिये वरुण जी, आज इस स्पेशल चाय की क्या जरुरत आन पड़ी। प्रधान जी को छेड़ते हुये आकाश कुमार ने कहा।

हे हे हे………आकाश जी, आप तो जानी जान हैं, आप तो अंतरयामी हैं, आप तो महापुरुष हैं। आपसे भला क्या छिपा है। आकाश कुमार की शान में कसीदे पढ़ते हुये प्रधान जी ने कहा।

ह्म्म्म्म……तो इसका मतलब कोई विशेष ही काम है जो इतनी तारीफ की जा रही है। बेझिझक होकर बोलिये वरुण जी, जो भी काम है। आकाश कुमार ने पूर्ण आश्वासान देने वाले स्वर में कहा।

वो बात ये है आकाश जी……………………और फिर संक्षेप में प्रधान जी ने आकाश कुमार को सारी बात बता दी।

तो ये बात है…………ये मामला तो लगता है तूल पकड़ेगा, क्योंकि हरपाल सिंह को उच्च स्तरीय राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है। इसलिये पुलिस इस मामले में जल्दी कुछ कर नहीं पायेगी। आकाश कुमार के मुख से निकला।

अरे अगर उसे राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है तो हमें भी आपका संरक्षण प्राप्त है। और जिसके सिर पर आकाश जी का हाथ हो, उसका काम सारे पंजाब में कौन रोक सकता है भला। प्रधान जी ने एक बार फिर नारा लगाया।

तारीफ करके किसी के दिल में अंदर तक उतर जाने की कला तो कोई आपसे सीखे वरुण जी। पर यहां इस कला का प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं है आपको। हम तो पहले से ही आपके साथ हैं। आकाश कुमार ने प्रधान जी के हाथ पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुये कहा।

जब आप हमारे साथ है तो फिर सामने से चाहे जो भी आ जाये, उसकी खैर नहीं। आप बस तैयार हो जाईये। बहुत जल्द ही आपकी अखबार के लिये आतिशबाजी भेज रहे हैं हम। प्रधान जी ने आकाश कुमार की ओर पहेली उछालते हुये कहा।

ये तो बहुत खूब कही आपने वरुण जी, हमें भी ढंग से दीवाली मनाये बहुत समय हो गया है। लगता है इस बार खूब मज़ा आयेगा। आकाश जी समझ चुके थे कि न्याय सेना निकट भविष्य में ही कोई बड़ा धमाका करने वाली है।

तो फिर तय रहा आकाश जी, ये दीवाली धूम धाम के साथ मनायेंगे। प्रधान जी ने भी आकाश कुमार के स्वर में स्वर मिलाते हुये कहा।

अवश्य वरुण जी, अवश्य। बस थोड़ा ध्यान से चलियेगा क्योंकि ये मामला बहुत संवेदनशील है। प्रदेश का एक बहुत बड़ा मंत्री शामिल है इसमे। आकाश कुमार ने बड़े अपनत्व से सुझाव दिया।

मैं आपकी सलाह का ध्यान रखूंगा आकाश जी। अब आज्ञा चाहूंगा। आपके पास पहले से ही बहुत भीड़ है, और फिर आज बाऊ जी भी नहीं हैं। अखबार के भी बहुत से काम देखने होंगें आपको। कहते कहते प्रधान जी और उनके साथ राजकुमार भी उठ कर खड़े हो गये।

भीड़ चाहे जितनी भी हो वरुण जी, आपके लिये हमारे अखबार में और दिल में सदा विशेष जगह रहती है। कहते हुये आकाश कुमार ने प्रधान जी से हाथ मिलाते हुये विदा दी।

हिमांशु शंगारी