संकटमोचक अध्याय 09

Sankat Mochak
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दोपहर के लगभग साढे चार बजे थे और हरपाल सिंह अपने कार्यालय में बैठा हुआ किसी चिंता में डूबा दिखाई दे रहा था। उसके सामने ही चार पांच गुंडे लगने वाले आदमी बैठे थे।

क्या बात है सर, आप किस चिंता में डूबे हुये हैं। उनमें से एक आदमी ने पूछा।

ये चमन शर्मा वाला मामला तो टेड़ा हो गया है, जोरावर। हरपाल सिंह ने उस आदमी से कहा, जो शायद उन सब गुंडों का मुखिया था।

ऐसा क्या हो गया सर, जो आपने हमें एक दम से ही आने को बोल दिया। उत्सुकुता के साथ जोरावर ने पूछा।

बात ही कुछ ऐसी है, जोरावर। कुछ देर पहले पुलिस के एक अधिकारी का फोन आया था। हरपाल सिंह के चेहरे पर चिंता की लकीरें अब साफ दिखने लगीं थीं।

क्या कहा उस अधिकारी ने सर। जोरावर के स्वर की उत्सुकुता और भी बढ़ गयी थी।

चमन शर्मा की ओर से प्रधान मैदान में आ गया है। हरपाल सिंह ने जैसे कमरे में बम फोड़ दिया हो।

प्रधान………………कहीं आप वरुण शर्मा प्रधान की बात तो नहीं कर रहे। जोरावर के स्वर में आशंका स्पष्ट झलक रही थी।

और इस शहर में बिना नाम के प्रधान किसे कहते हैं, जोरावर। झल्लाते हुये हरपाल सिंह ने कहा।

ये तो बहुत बुरा हुआ सर। जोरावर के साथ साथ बाकी सारे आदमियों के चेहरे भी प्रधान जी का नाम सुनते ही रंग बदल चुके थे।

चमन शर्मा के साथ आज एस एस पी के कार्यालय में गया था वो, और मेरे खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है। चिंताजनक स्वर में हरपाल सिंह ने कहा।

पर आपकी पहुंच तो एस एस पी से बहुत ऊपर तक है सर। जोरावर ने जैसे हरपाल सिंह को आश्वासन दिया।

वहीं ऊपर से ही तो फोन आया है, जोरावर। एस एस पी ने प्रधान से कल सुबह तक का समय मांगा है और साथ ही अपने ऊपर के अधिकारियों की जानकारी में सारा मामला देते हुये बोल दिया है कि इस मामले को जल्द से जल्द सुलझा लिया जाये नहीं तो पुलिस कार्यवाही करने पर मजबूर हो जायेगी। झल्लाहट भरे स्वर में हरपाल सिंह ने कहा।

ठीक ही कहा है एस एस पी ने सर। प्रधान अगर अपने असली रंग में आ गया तो पुलिस वालों का पूरा जुलूस निकाल देगा। जोरावर ने बात की गंभीरता को समझते हुये कहा।

इसीलिये तो अब इस मामले को अपने हक में करने का बस एक ही रास्ता है। जैसे किसी नतीजे पर पहुंचते हुये हरपाल सिंह ने कहा।

क्या है वो रास्ता, सर। आशा भरी आवाज़ में जोरावर ने पूछा।

किसी भी तरह से प्रधान को इस केस से हटाना होगा। हरपाल सिंह के स्वर में दृढ़ता थी।

ये आप क्या कह रहें हैं, सर। जोरावर ने हरपाल सिंह की ओर ऐसे देखा जैसे वो पागल हो गया हो।

सारा शहर जानता है कि प्रधान जब एक बार किसी काम को पकड़ लेता है, तो उसे कोई भी उस काम से अलग नहीं कर सकता। हरपाल सिंह को समझाने वाले अंदाज़ में जोरावर ने कहा।

वो तो मैं भी जानता हूं जोरावर, पर हम ऐसे हाथ पर हाथ रखकर भी तो नहीं बैठ सकते। हरपाल सिंह ने जैसे कोई फैसला कर लिया था।

तो क्या करेंगे हम, सर। जोरावर ने कुछ समझ न आने वाले स्वर में पूछा

हम उसे जान से मारने की धमकी देकर इस केस से हटने को कहेंगे। बस यही एक रास्ता है। हरपाल सिंह ने जैसे एक और बम फोड़ा।

ये क्या बोल दिया आपने, सर। जोरावर सिंह की आंखें हैरानी के मारे फटने को आ गयीं थीं।

आप जानते नहीं प्रधान को, सौ गुंडों का एक गुंडा है वो, और डर तो उसके आस पास जाने से भी डरता है। हैरानी से भरा जोरावर कहता गया।

तो क्या करुं फिर, क्या अपने इस सपने के साथ साथ इतने सालों से इस शहर में बनाये हुये अपने इस रुतबे को भी धूल में मिल जाने दूं। किसी पागल की तरह चिल्ला पड़ा हरपाल सिंह।

पर ये काम करेगा कौन सर, इस शहर में कौन सा ऐसा गुंडा है जो प्रधान को धमकी देने की हिम्मत कर सकता है। हरपाल सिंह को इस तरह चिल्लाते देख कर जोरावर ने पूछा।

ये काम तुम्हें करना होगा जोरावर, प्रधान को जान से मारने की धमकी तुम दोगे। इस बार तो हरपाल सिंह ने जैसे कमरे में एटम बम ही फोड़ दिया हो।

ये क्या कह रहे हो आप सर, क्यों मुझे मरवाना चाहते हैं आप। आश्चर्य से भरे स्वर में जोरावर ने कहा।

क्यों, क्या समस्या है। इस शहर के तीन सबसे बड़े गैंग्स में से एक गैंग है तुम्हारा। लोग तुम्हारे नाम से थर थर कांपते हैं और तुम ऐसी बुजदिली की बातें कर रहे हो। जोरावर को डांटने वाले स्वर में हरपाल सिंह ने कहा।

डरते तो शरीफ और बदमाश हैं मेरे नाम से सर, प्रधान तो महाबदमाश है, उसे भला कौन डरा सकता है। जितने गुंडे मेरे गैंग में हैं, उससे बीस गुणा अधिक हथियारबंद लड़के प्रधान के लिये मरने मारने को तैयार रहते हैं। समझाने वाले अंदाज़ में जोरावर ने कहा।

तो फिर ठीक है, आज से तुम्हारा मेरा कोई वास्ता नहीं जोरावर। अब फिर मत आना मेरे पास अपने नाजायज कामों को जायज बनवाने के लिये। ये मत भूलो जोरावर, मेरा हाथ तुम्हारे सिर से हटते ही पुलिस तुम्हारे सारे काले काम बंद करवा देगी, और तुम जेल में चक्की पीसोगे। हरपाल सिंह ने जैसे जोरावर को अल्टीमेटम दिया।

ये क्या बात कर दी आपने सर, मैंने तो सदा ही आपका हर काम किया है। एकदम से घबरा गये जोरावर ने कहा।

तो फिर तुम्हें मेरा ये काम भी करना ही होगा, जोरावर। तुम्हें अभी इसी समय प्रधान को धमकी देकर उसे इस केस से पीछे हटने के लिये बोलना होगा। निर्णायक स्वर में हरपाल सिंह ने कहा।

ठीक है सर, आपका नमक खाते हैं, आपके लिये ये भी कर देते हैं, फिर अंजाम चाहे जितना भी बुरा हो। और कोई चारा न देखकर जोरावर सिंह ने हथियार डालते हुये कहा।

ये हुई न बात। तो उठाओ मोबाइल और लगाओ प्रधान को फोन। और हां, कॉल स्पीकर पर ही रखना ताकि मैं भी सुन सकूं। नंबर है तुम्हारे पास प्रधान का या मैं दूं। एक ही सांस में बोल गया हरपाल सिंह।

नंबर है मेरे पास, सर। कहता हुआ जोरावर अपना मोबाइल उठा कर उसमें से प्रधान जी का नंबर खोजने लगा।

मिल गया, कहने के साथ ही जोरावर ने कोई नंबर मिला दिया और मोबाइल फोन को स्पीकर पर डाल दिया।

हैलो……… तीन चार बार घंटी बजने के बाद दूसरी तरफ से प्रधान जी की जानी पहचानी आवाज़ सुनायी दी।

चरण स्पर्श प्रधान जी, मैं भार्गव कैंप वाला जोरावर बोल रहा हूं। न चाहते हुये भी जोरावर के शब्दों में प्रधान जी के लिये आदर आ गया था जिसके कारण हरपाल सिंह उसे कच्चा चबा जाने वाली नज़रों से देख रहा था।

ओ जीते रहो मेरे जोरावर, आज कैसे फोन किया, सब ठीक ठाक है न। प्रधान जी का प्रफुल्ल स्वर सुनायी दिया कमरे में, मोबाइल के स्पीकर के माध्यम से। प्रधान जी के प्रेम भरे संबोंधन से हरपाल सिंह को ऐसा लगा जैसे जोरावर और प्रधान के आपस में बहुत घनिष्ट संबंध हैं।

सब ठीक है प्रधान जी, बस आपसे एक छोटा सा काम था। जोरावर ने हरपाल सिंह की क्रूर दृष्टि को देखकर भी अपने स्वर की मर्यादा बनायी हुयी थी, क्योंकि उसे पता था कि प्रधान का निरादर करने का परिणाम क्या हो सकता है।                  

ओ बोल मेरे शेर, मेरी डार्लिंग। क्या पुलिस से कोई पंगा हो गया। प्रधान जी के स्वर में फिर वही प्यार था। हरपाल सिंह प्रधान के एक गुंडे के साथ भी इस कदर प्यार से बोलने पर विचित्र दुविधा का शिकार हो गया था कि आखिर क्या है ये आदमी, जो सब लोगों के साथ एक समान प्यार से बात करता है।

नहीं नहीं प्रधान जी, ऐसी कोई बात नहीं। जोरावर ने जल्दी से कहा।

तो क्या बात है मेरे जोरे…………। प्रधान जी की आवाज़ का प्रेम और हरपाल सिंह के मन की दुविधा निरंतर बने हुये थे।

वो बात ये है प्रधान जी, आजकल आप ठेकेदार हरपाल सिंह के खिलाफ एक मामले में चमन शर्मा का साथ दे रहे हैं। आवाज़ को आदर से भरपूर रखते हुये जोरावर सिंह ने कहा।

हां कर रहा हूं, तो? इस बार प्रधान जी के स्वर में से प्रेम गायब हो गया था और उसकी जगह कठोरता ने ले ली थी, जैसे उन्होने भांप लिया हो कि जोरावर क्या मांगने वाला है।

हरपाल सिंह जी बहुत अच्छे आदमी हैं प्रधान जी, और हमारा बहुत ख्याल भी रखते हैं। इसलिये मेरी आपसे गुज़ारिश है कि आप इस केस में चमन शर्मा की सहायता न करें। ये आपका मेरे ऊपर निजी अहसान होगा। आप जहां कहो जोरावर की जान हाज़िर रहेगी। हरपाल सिंह अभी भी जोरावर के धमकी देने के अंदाज़ को समझ नहीं पा रहा था, पर जोरावर जानता था उसका काम कैसे हो सकता है।

ओ मेरे जोरे पुत्तर, ये क्या बात कर दी तूने। तेरे लिये तो मेरी जान भी हाज़िर है। पर तुझे पता ही है कि तेरे प्रधान ने एक बार किसी की मदद करने का वचन दे दिया, तो फिर चाहे जान जाये या जहान, मैं पीछे नहीं हटता। तू इस काम को छोड़ कर कोई और काम बोल जोरे पुत्तर। प्रधान जी की आवाज़ में प्यार एक बार फिर वापिस आ गया था।

इस समय तो बस यही एक काम था प्रधान जी, अगर आप एक बार फिर सोच लेते तो। जोरावर ने चापलूसी भरे स्वर में कहा।

नहीं जोरे पुत्तर, ये काम तो नहीं हो सकता। तू अपने प्रधान की जान मांग ले भले ही, पर उसे अपना वचन तोड़ने को मत बोल। प्रधान जी का प्रेम से भरा पर दृढ स्वर स्पीकर के माध्यम से कमरे में गूंज़ उठा।

गुस्ताखी की माफी हो प्रधान जी, पर इसमें आपका भी भला ही है, मैने तो इसीलिये फोन किया था आपको। जोरावर के स्वर में अब आदर के साथ साथ समझाने वाला भाव भी आ गया था।

तेरे इस प्रधान ने अपना भला सोचा ही कब है जोरावर, मेरा जीवन तो पीड़ितों की मदद के लिये ही बना है। पर तू फिर भी अपनी बात बोल। जोरावर की अगली बात को भांप कर प्रधान जी के लहजे का प्रेम अब एक बार फिर कठोरता में बदलने लगा था।

हरपाल सिंह जी की राजनैतिक पहुंच बहुत ऊपर तक है और उनके संपर्क में इस प्रदेश के नामी अपराधी गैंग भी हैं। जोरावर ने हरपाल सिंह की शान बखारते हुये कहा।

तो……………………… प्रधान जी का स्वर और कठोर हो गया था, और अब उसमे से प्रेम बिल्कुल गायब हो चुका था।

तो मैं नहीं चाहता प्रधान जी, कि इस मामले में आपके दखल के चलते आपका कोई निजी नुकसान हो जाये। आप समझ रहें हैं न मेरी बात को। इस शहर का माहौल वैसे भी इतना अच्छा नहीं है। आये दिन किसी न किसी पर हमला होता रहता है। जोरावर ने अपनी सारी हिम्मत जुटा कर कहा।

जोरा……वर…………। सिंह की भीषण दहाड़ से मानो पूरा कमरा हिल गया हो।

तेरी इतनी हिम्मत कि तू वरूण शर्मा को धमकी देने की जुर्रत कर सके। मिट्टी में मिला कर रख दूंगा तुझे और तेरे गैंग को। बता कहां बैठा है तू, दस मिनट में प्रधान तेरे पास होगा। फिर देख लेते हैं कितना बड़ा बदमाश है तू। मां का दूध पिया है तो बोल जोरावर, कहां है तू।

जोरावर का पूरा शरीर और उसके हाथों में पकड़ा हुआ मोबाइल फोन भी कांप रहा था। यही हाल उसके साथ खड़े उसके आदमियों का भी था और हरपाल सिंह भी प्रधान की मोबाइल का स्पीकर तोड़ देने वाली इस दहाड़ को सुनकर अंदर तक हिल गया था।

बोलता क्यों नहीं जोरावर, कहां है तू। मैं भी तो देखूं कितने बदमाश हैं तेरे पास, जिनके दम पर तूने भगवान संकटमोचक के इस भक्त को धमकी देने की गुस्ताखी की है। शेर की दहाड़ और भी ज़ोरदार हो गयी थी। जोरावर के शरीर में न ही मानो प्राण हों और न ही उसके मुंह में ज़बान।

चुप मत रह जोरावर, बोल। बोल वर्ना अगले 24 घंटे में प्रधान तुझ पर कहर बनकर बरसेगा और इस शहर में तेरा नाम केवल इतिहास बनकर रह जायेगा। शेर की इस दहाड़ में हमला करने की चेतावनी एकदम स्पष्ट झलक रही थी।

बच्चे पर मेहर करें प्रधान जी, आपने मेरी बात का गलत मतलब निकाल लिया। मैं तो आपका बच्चा हूं, आप पर हमला करने की गुस्ताखी कैसे कर सकता हूं। आपने ऐसा सोच भी कैसे लिया प्रधान जी। जोरावर ने अपनी सारी हिम्मत जुटा कर बकरी के उस बच्चे की तरह मिमयाते हुये कहा जिसने शेर को ललकारने की भूल कर ली हो।

तो क्या मतलब है तेरा, जोरावर। शेर अभी भी दहाड़ रहा था पर उसकी दहाड़ में अब हमले की चेतावनी नहीं, बल्कि डराने वाला भाव था।

वो बात ये है प्रधान जी, मैने अपराध के क्षेत्र में उड़ती हुई खबर सुनी है कि कोई बहुत बड़ा गैंग आप पर हमला करने वाला है। बस इसे सुनते ही मैने आपको सावधान कर देना अपनी जिम्मेदारी समझी। जोरावर का स्वर पूरी तरह चाश्नी में लिपटा हुआ था, मानों बकरी का बच्चा शेर से अपनी जान की भीख मांग रहा हो।

अरे तो करने दे न हमला, प्रधान कब डरा है ऐसे हमलों से। जब तक संकटमोचक का हाथ है मेरे सर पर, बड़े से बड़ा बदमाश मेरे शरीर का एक बाल भी नहीं उखाड़ सकता। तू मेरी चिंता छोड़ दे और मौज कर। शेर की दहाड़ बंद हो गयी थी, जैसे उसने बकरी के बच्चे की जान बख्श दी हो।

फिर भी आप सावधान रहना प्रधान जी, अच्छा अब मैं फोन रखता हूं, चरण स्पर्श। जोरावर ने जल्दी से अपनी जान छुड़ाने वाले अंदाज़ में कहा।

ओ जीते रह मेरे जोरे पुत्तर। प्रधान जी की आवाज़ में प्रेम एक बार फिर उमड़ आया था। शेर ने बकरी के बच्चे को पुचकार कर छोड़ दिया हो जैसे।

फोन के कटते ही जोरावर धड़ाम से कुर्सी पर गिरा और ज़ोर ज़ोर की सांस लेने लगा मानों साक्षात यमराज से सामना करके भी जिंदा बच गया हो।

कितना निडर है ये प्रधान, मौत का जरा भी डर नहीं इसे। न चाहते हुये भी हरपाल सिंह के मुंह से प्रधान जी की तारीफ निकल ही गई थी।

इसीलिये मैने आपसे कहा था सर, कि प्रधान को धमकी देने के बारे में मत सोचें। उसके सामने जाने से बड़े से बड़ा बदमाश भी डरता है। जान हथेली पर रखकर घूमता है हर समय। सामने पड़े पानी के गिलास से गले को तर करता हुआ जोरावर बोला।

तू ठीक ही कहता था जोरावर, इस आदमी को डराया नहीं जा सकता। मुझे कोई और ही रास्ता सोचना होगा। कहते कहते हरपाल सिंह के चेहरे पर चिंता के गहरे भाव एक बार फिर उभर कर आ गये थे।

हिमांशु शंगारी