संकटमोचक अध्याय 08

Sankat Mochak
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उसी दिन दोपहर के लगभग दो बजे प्रधान जी और राजकुमार न्याय सेना के कार्यालय में प्रधान जी के निजी केबिन में बैठे विचार विमर्श कर रहे थे। संगठन के कुछ पदाधिकारी बाहर के केबिन में बैठे थे।

क्या लगता है पुत्तर जी, सौरव कुमार कल तक कुछ करेंगे। प्रधान जी के स्वर ने कमरे की चुप्पी को तोड़ा।

मुश्किल लगता है प्रधान जी, बहुत मुश्किल लगता है। आज सुबह जब मैने हरपाल सिंह का नाम उनके सामने लिया था तो एक पल के लिये उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें आ गयीं थीं, जो उन्होने तुरंत छिपा ली थीं, पर तब तक मैं नोट कर चुका था। राजकुमार ने कहा।

और मैं समझा कि सिर्फ मैने ही नोट किया था। प्रधान जी ने चुटकी लेते हुये कहा।

इसका अर्थ ये बनता है कि सारा मामला पहले से ही सौरव कुमार के नोटिस में है और वे केवल कुछ समय निकालना चाहते थे ताकि आगे की रणनीति बना सकें। राजकुमार ने मुस्कुराते हुये कहा।

ओ जीते रह मेरे युवराज, बिलकुल ठीक जगह पर पहुंचा है तू। जरूर यही बात होगी। एकदम से खुश होते हुये प्रधान जी ने कहा।

सौरव कुमार के साथ हम पिछले कितने समय से डील कर रहे हैं। जब तक कोई भारी दबाव न हो, वो गलत काम करने वाले का साथ नहीं देते। राजकुमार ने अपनी बात को विराम देते हुये प्रधान जी के चेहरे की ओर देखा।

इसका मतलब इस केस में सौरव कुमार पर दबाव है। प्रधान जी ने राजकुमार की अधूरी बात पूरी की।

और फिर तेजपाल सिंह ने भी तो यही कहा था कि पुलिस पर इस मामले में बहुत दबाव है। एक बार फिर राजकुमार का स्वर सुनायी दिया।

ह्म्म्म्म्म्म्म्म्……… तो फिर आगे की रणनीति क्या होनी चाहिये, पुत्तर जी। प्रधान जी ने राजकुमार को एक बार फिर परखने वाले अंदाज़ में पूछा।

मेरे विचार से हमें मोर्चा लगाने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिये, प्रधान जी। राजकुमार ने अपना विचार पेश किया।

बिल्कुल मेरे मुंह की बात छीन ली, ओये तेरा दिमाग बहुत तेज है कंजरा। प्यार भरे स्वर में प्रधान जी ने कहा।

आखिर ऐसे ही तो आपने मेरे लिये विशेष रूप से सैक्र्टरी जनरल का पद नहीं बनाया प्रधान जी। राजकुमार ने भी मौका देखकर चौका मार दिया।

हा…हा…हा…………ये बात भी खूब कही। तो फिर कहां से शुरू करें पुत्तर जी। प्रधान जी ने एक बार फिर सीरियस होते हुये कहा।

मेरे ख्याल से सबसे पहले हमें मीडिया वाले अपने शुभचिंतकों से बात करके उन्हें इस सारे मामले की जानकारी देकर उनका समर्थन हासिल कर लेना चाहिए, इससे पहले कि दूसरी ओर से कोई उन्हें अप्रोच करे। राजकुमार ने अपनी बात रखी।

बिल्कुल ठीक बात कही है युवराज। सबसे पहले मीडिया को ही विश्वास में लेना होगा, क्योंकि अगर ये मामला लंबा चला तो मीडिया की मदद के बिना इसे जीत पाना बहुत मुश्किल हो जायेगा। प्रधान जी ने राजकुमार की बात का समर्थन किया।

तो फिर दोपहर के खाने के बाद लग जाते हैं इस काम पर। राजकुमार ने उत्साह भरे स्वर में कहा।

अरे खाने से याद आया, खाने का समय हो गया है। बड़ी ज़ोर की भूख लगी है पुत्तर जी, चलो कुछ खा लेते हैं। प्रधान जी ने बड़े ललचाये हुये स्वर में कहा।

जैसी प्रधान जी की आज्ञा। मुस्कुराते हुये राजकुमार ने कहा। प्रधान जी के करीबी सब लोग जानते थे कि प्रधान जी खाने के बहुत शौकीन थे।

हिमांशु शंगारी