संकटमोचक अध्याय 07

Sankat Mochak
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एस एस पी सौरव कुमार, आई पी एस। उम्र 35 के करीब, चुस्त शरीर और एक विशेष अंदाज़ के मालिक। उनकी आंखे विशेष रूप से चुम्बकीय आकर्षण रखती थीं और अपनी वाणी पर गजब की पकड़ हासिल थी उन्हें। पुलिस अधिकारी होने के पश्चात भी उनका व्यवहार किसी कूटनीतिज्ञ की तरह होता था।

थोड़े से समय में ही सौरव कुमार ने जालंधर शहर के हर छोटे बड़े व्यक्ति का महत्व समझ लिया था और उसी के अनुसार वे उससे व्यवहार करते थे।

सुबह दस बजे कार्यालय में आने का और फिर दो बजे तक बैठ कर जनता की शिकायतें सुनने का उनका नियम शायद ही कभी टूटता हो, जिसके कारण जन सामान्य के बीच में उन्हें अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल थी।

कार्यालय आये हुये उन्हें लगभग आधा घंटा हो चुका था और शिकायतें लेकर आने वालों का तांता लगा हुआ था।

सौरव कुमार बड़े ध्यान से हर एक शिकायत को सुनकर उचित निर्णय ले रहे थे और जनता की शिकायतों पर तेजी से कार्यवायी कर रहे थे।

इतने में संतरी ने आकर एक कार्ड दिया और सौरव कुमार के कार्ड पर दृष्टि डालने से पहले ही संतरी ने बताया। जनाब, प्रधान जी मिलना चाहते हैं।

प्रधान जी का नाम सुनते ही सौरव कुमार के चेहरे पर एक धीमी मुस्कान आ गयी और इसी मुस्कान के साथ उन्होने संतरी से कहा, उन्हें अंदर भेज दो।

सौरव कुमार भली भांति जानते थे कि प्रधान जी इस शहर के सामाजिक और राजनैतिक ढांचे का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा थे, और उनके साथ सौरव कुमार की मुलाकात होती ही रहती थी।

प्रधान जी के साथ उनके संबंध अकसर नरम गरम ही रहते थे। इसका कारण प्रधान जी का जनता के मामलों को लेकर कई बार ज़िद पर अड़ जाना होता था, जिसके चलते एस एस पी होने के नाते उन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ता था।

किन्तु इन कभी कभी होने वाले सामयिक विवादों से हटकर सौरव कुमार प्रधान जी को दिल से पसंद करते थे। इसका कारण बेशक ही प्रधान जी का पीड़ितों के हक में बड़ी से बड़ी मुसीबत से भिड़ जाना था, जो सौरव कुमार को निजी रूप से पसंद था।

गुड मार्निग एस एस पी साहिब। प्रधान जी की इस आवाज़ के साथ ही सौरव कुमार की दृष्टि दरवाजे पर पड़ी तो उन्होंने देखा कि प्रधान जी अपने चिर परिचित अंदाज़ में भीतर प्रवेश कर चुके थे। उनके पीछे पीछे ही राजकुमार भी भीतर दाखिल हुआ, जो लगभग हमेशा ही उनके साथ आता था।

आईये आईये प्रधान जी, आज कैसे आना हुआ, शहर में सब कुशल मंगल तो है। प्रधान जी को छेड़ने वाले अंदाज़ में सौरव कुमार ने कहा।

गुड मार्निंग सर, राजकुमार का स्वर सौरव कुमार के कानों में पड़ा तो उन्होनें भी अभिवादन का जवाब दिया।

शहर में कुछ कुशल मंगल नहीं है सर, देखिये आप जैसे इंसाफ पसंद अफसर के राज में गरीबों पर क्या क्या ज़ुल्म हो रहे हैं। प्रधान जी ने सौरव कुमार को उकसाने वाले स्वर में कहा।

ऐसा क्या ज़ुल्म हो गया प्रधान जी, अभी सब ठीक कर देते हैं। आप बताईये तो सही। प्रधान जी के स्वर में छिपी उकसाहट को भली भांति समझते हुये सौरव कुमार ने भी मज़ा लिया।

ये आपको राजकुमार बतायेंगे। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर इशारा किया और सब लोग कुर्सियों पर बैठ गये।

सर ये चमन शर्मा हैं और माडल टाऊन में फास्ट फूड की एक दुकान चलाते हैं। राजकुमार ने प्रधान जी का संकेत समझ कर बोलना शुरू किया।

पास ही में इनका एक गोडाउन है जहां दुकान पर बिकने वाला सामान तैयार किया जाता है। राजकुमार जितनी गंभीरता से कहता जा रहा था, सौरव कुमार उतनी ही गंभीरता से उसकी बात को सुन और समझ रहे थे।

आज से आठ दिन पहले इनके पड़ोसी ठेकेदार हरपाल सिंह ने कब्ज़ा करने की नीयत से इनके गोदाम पर हमला कर दिया और एक दीवार को आंशिक रूप से गिरा भी दिया। राजकुमार सधे हुये स्वर में कहता जा रहा था।

हरपाल सिंह का नाम आते ही सौरव कुमार के चेहरे पर एक क्षण के लिये चिंता के लक्षण उभरे, जिन्हें उन्होने तुरंत ही सम्भाल लिया और अगले ही पल उनके चेहरे पर वही स्थायी मुस्कान थी।

कब्ज़ा आपके डी एस पी तेजपाल सिंह जी के दखल के कारण पूरा तो नहीं हो सका पर हरपाल सिंह ने उस दिन अपनी शैतानियत का नंगा नाच जी भर कर किया। राजकुमार के स्वर में तीखापन आता जा रहा था।

तब से लेकर आज तक चमन शर्मा हरपाल सिंह के खिलाफ बनती कानूनी कार्यवाही करने के लिये थाना माडल टाऊन से लेकर आपके दरबार तक लिखित शिकायतें दे चुके हैं, पर पुलिस ने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। कहते कहते राजकुमार ने फाईल में से पेपर्स का एक सैट निकाल कर सौरव कुमार की ओर बढ़ा दिया।

ये है वो शिकायत जो चमन शर्मा ने लिखित रूप में आपके पास पांच दिन पहले दर्ज करवायी थी और आपने इसे थाना माडल टाऊन को भेजते हुये इस पर उचित कार्यवाही करने के लिये कहा था। परंतु आज तक न तो कोई कार्यवाही हुयी और न ही किसी पुलिस अधिकारी ने चमन शर्मा का पक्ष जानने के लिये इनसे संपर्क किया। 

सौरव कुमार ने राजकुमार के स्वर की दृढता से फौरन भांप लिया कि ये मामला सीरियस होने वाला है। पेपर्स पर नज़र मारने के साथ साथ ही उन्होने बिना एक पल भी गंवाये फोन का रिसीवर उठाया और ऑपरेटर को आदेश दिया।

थाना माडल टाऊन के प्रभारी से तुरंत मेरी बात करवायी जाये। बड़े सटीक शब्दों में कहते हुये सौरव कुमार ने रिसीवर फोन पर रख दिया।

चिंता की कोई बात नहीं है प्रधान जी, सब ठीक हो जायेगा। आप पानी पीजिये। सौरव कुमार के कहते कहते ही एक कर्मचारी उन तीनों के सामने पानी रख चुका था।

आपके रहते हमें चिंता करने की क्या ज़रुरत है सर। प्रधान जी के स्वर में आत्मीयता थी।

पानी का गिलास अभी होंठों से लगने ही वाला था कि फोन की घंटी सुनकर प्रधान जी का हाथ वहीं रुक गया।

सौरव कुमार के रिसीवर उठाते ही दूसरी ओर से ऑपरेटर ने कुछ कहने के बाद फोन किसी और व्यक्ति के साथ कनेक्ट किया।

राजेंदर सिंह जी, पांच दिन पहले आपके थाने में चमन शर्मा द्वारा दी गयी एक शिकायत मेरे कार्यालय से भेजी गई थी। उस पर क्या कार्यवाही की है आपने। सौरव कुमार के स्वर में डांट सपष्ट झलक रही थी।

मुझे इस मामले की सारी रिपोर्ट आज शाम तक पूरी कर के दीजिये। दूसरी तरफ से कुछ कहा गया जिसे सुनने के बाद सौरव कुमार ने कहा और रिसीवर फोन पर रख दिया।

आप मुझे कल सुबह तक का समय दीजिये प्रधान जी, मैं इस मामले को निजी स्तर पर फॉलो करता हूं। सौरव कुमार के स्वर में पूर्ण आश्वासन था।

हमारे इंसाफ पसंद एस एस पी साहिब की जय हो। पानी का खाली गिलास नीचे रखते हुये प्रधान जी ने नारा लगाया और फिर चमन शर्मा की ओर देख कर बोले।

चलिये चमन जी, हमारे सर ने वायदा कर दिया है। अब आपका काम जरूर हो जायेगा। सौरव कुमार की ओर प्रशंसा की दृष्टि से देखते हुये प्रधान जी ने कहा और जाने के लिये उठ पड़े।

सौरव कुमार ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में दोनो हाथ जोड़ कर प्रधान जी को नमस्कार किया और सब लोग उनके कार्यालय से बाहर आ गये।

प्रसन्नता के मारे चमन शर्मा का बुरा हाल था। उसे लग रहा था जैसे पुलिस अभी के अभी उसकी शिकायत पर कार्यवाही करते हुये हरपाल सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर लेगी।

एस एस पी साहिब तो आपकी बात बहुत ध्यान से सुनते हैं प्रधान जी। लगता है अब अपना काम शीघ्र ही हो जायेगा। चमन शर्मा के मुंह से आखिर निकल ही पड़ा।

इतनी जल्दी किसी नतीजे पर मत पहुंचिये चमन जी, सामने भी हरपाल सिंह है। उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है। पुलिस पर बहुत दबाव आयेगा इस मामले में। बाहर खड़े सब लोगों के पास पहुंचते हुये प्रधान जी बोले।

पुत्तर जी, क्यों न एक बार डी एस पी तेजपाल सिंह से मिल लिया जाये। चमन शर्मा के कुछ कहने से पहले ही प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये कहा।

बहुत अच्छा विचार है प्रधान जी। राजकुमार ने प्रधान जी की बात का समर्थन करते हुये कहा।

चमन जी आप आईये हमारे साथ, डी एस पी तेजपाल सिंह पहले फ्लोर पर बैठते हैं। कहते कहते प्रधान जी और राजकुमार ने सीढियां चढ़नी शुरू कर दीं तो बाकी सब लोग भी एकदम से उनके पीछे हो लिये।

तेजपाल सिंह के कार्यालय के बाहर पहुंचते ही उनके संतरी ने प्रधान जी को देखकर अभिवादन किया और कहा। साहिब अंदर ही हैं प्रधान जी, आप चले जाईये। कहते हुये उसने कार्यालय का दरवाजा खोला तो प्रधान जी और राजकुमार ने भीतर जाते हुये चमन शर्मा को आने के लिये और बाकी सब लोगों को रुकने के लिये संकेत दिया।

हमारे डी एस पी साहिब की जय हो। नारा लगाते हुये प्रधान जी ने कार्यालय में प्रवेश किया तो तेजपाल सिंह ने किसी महत्वपूर्ण फाईल से नज़र हटा कर उनकी ओर देखा।

अरे प्रधान जी, आज बड़े दिनों बाद इस भाई की याद आयी। हां हां, आपके सारे काम तो एस एस पी साहिब और एस पी सिटी साहिब ही कर देते हैं, फिर इस डी एस पी भाई की क्या जरूरत है आपको। तेजपाल सिंह के स्वर में शिकायत थी।

ऐसी कोई बात नहीं है तेजपाल भाई, मेरे इस भाई जैसे शेर तो सारी पुलिस फोर्स में गिनती के ही हैं, मुझे सब पता है। प्रधान जी ने पहेली डालने वाले अंदाज़ में कहा।

क्या पता है प्रधान जी, मैं कुछ समझा…………… तेजपाल सिंह के बाकी शब्द अभी मुंह में ही थे कि उन्होंने राजकुमार के साथ साथ चमन शर्मा को भी अंदर आते देखा।

अच्छा तो ये बात है। एक पल में ही सारी बात समझ कर तेजपाल सिंह ने ज़ोर का ठहाका लगाया।

एक पल में उनका हाथ मेज़ पर पड़ी घंटी पर लगा और किसी के कुछ बोलने से पहले ही दरवाजे की ओर से संतरी की आवाज़ आयी। जी जनाब

सबके लिये चाय का इंतजाम करो। तेजपाल सिंह ने आदेश दिया।

आप सब लोग बैठिये न। खुद बैठते हुये और सबके अभिवादन का जवाब देते हुये तेजपाल सिंह ने कहा।

क्यों चमन जी, मैने कहा था न, दुनिया में ऐसा कोई शैतान नहीं जिसका अंत करने के लिये भगवान ने कोई फरिश्ता न बनाया हो। हरपाल सिंह जैसे शैतान को ठीक करने के लिये हमारे इस शेरदिल भाई जैसा दूसरा कोई भी इंसान नहीं मिलेगा आपको, इस शहर में। वाहेगुरु ने पूरी मेहर की है आपको इनसे मिलवाकर। अब आपका काम होने से कोई नहीं रोक सकता। तेजपाल सिंह के स्वर में प्रधान जी के प्रति पूर्ण विश्वास था।

तेजपाल सिंह जैसे निडर इंसान के मुंह से प्रधान जी की इतनी तारीफ सुनने के बाद चमन शर्मा को अपनी किस्मत पर नाज हुआ और उसने मन ही मन भगवान संकटमोचक को कोटि कोटि धन्यवाद दिया, जिनकी कृपा से प्रधान जी उसे मिले थे।

आपने तो कमाल कर दिया उस दिन तेजपाल भाई, मुझे चमन जी ने सब बताया है। प्रधान जी की आवाज़ को सुनकर चमन शर्मा के विचारों की कड़ी टूटी।

अरे प्रधान भाई, मेरा बस चलता तो मैं उस हरपाल सिंह को वहीं ठोक देता; लेकिन ऐन मौके पर साला………………, कुछ कहते कहते तेजपाल सिंह एकदम से रुक गये।

रुक क्यों गये तेजपाल भाई, कहिये न, साला किसका फोन आ गया। प्रधान जी ने मज़ा लेते हुये कहा।

आपको तो पता है न प्रधान भाई, नौकरी है, नाम नहीं ले सकते। अपने आप को संभालते हुये तेजपाल सिंह बोले।

कुछ बड़ा ही मामला लगता है ये, जो आपके जैसा शेर अफसर भी चुप कर गया। प्रधान जी ने गंभीरता से कहा।

बहुत ऊपर से सिफारिश है उसकी प्रधान जी। पुलिस पर बहुत दबाव है इस मामले में। तेजपाल का स्वर गंभीर हो गया था।

हम अभी अभी एस एस पी साहिब से मिलकर आये हैं और उन्होने इस मामले में कार्यवाही करने के लिये कल तक का समय मांगा है। आपको क्या लगता है, तेजपाल भाई। प्रधान जी ने पूछा।

बहुत मुश्किल है इतनी जल्दी इस मामले में कोई कार्यवाही होनी। इसका हल तो आपको अपने अंदाज़ में ही करना होगा। तेजपाल सिंह के चेहरे पर फिर से मुस्कान आ गयी थी।

आपका मतलब मोर्चा लगाना पड़ेगा। प्रधान जी के इन शब्दों के साथ ही चमन शर्मा को तेजपाल सिंह की बात का अर्थ समझ आ गया।

इसमें कोई शक नहीं है प्रधान भाई, जब तक इस केस में चमन जी की ओर से जबरदस्त दबाव नहीं बनेगा, पुलिस के पास हरपाल सिंह के आकाओं को पीछे हटाने का कोई बहाना नहीं है। तेजपाल सिंह ने सिर हिलाते हुये कहा।

ह्म्म्म्म्म्…… एक लंबी हुंकार भरते हुये प्रधान जी ने कहा।

और दबाव बनाने के लिये न्याय सेना से अच्छा इस शहर में कोई संगठन नहीं है। इसीलिये तो मैने चमन जी को कहा था कि इनका काम करने के लिये आपसे अच्छा कोई विकल्प हो ही नहीं सकता। कहते कहते तेजपाल सिंह मुस्कुरा दिये थे।

तो ठीक है फिर तेजपाल भाई, पहले कल एस एस पी साहिब की कार्यवाही को देखते हैं और फिर उसके बाद हालात के हिसाब से आगे की रणनीति बनाते हैं। टेबल पर आ चुकी चाय का कप उठाते हुये प्रधान जी ने कहा।

एक बात आपका ये भाई भी कहना चाहता है, प्रधान भाई। तेजपाल सिंह के स्वर में कड़वाहट घुलनी शुरू हो गयी थी।

आप हुकुम कीजिये भाई साहिब, आपका हर हुकुम सर माथे पर। प्रधान जी ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में नारा लगाया।

चाहे कुछ भी हो जाये, चाहे कहीं तक भी जाना पड़ जाये, इस दुष्ट हरपाल सिंह को छोड़ना मत प्रधान भाई। मेरी वर्दी ने मेरे हाथ बांध दिये हैं वरना मैं भैन……………… तेजपाल सिंह के स्वर की कड़वाहट अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी।

ऐसा ही होगा तेजपाल भाई, सारा शहर बहुत जल्द ही हरपाल सिंह का बुरा हाल देखेगा, ये आपके इस प्रधान भाई का वायदा है। अब चाहे हरपाल सिंह के पीछे स्वयम प्रदेश के मुख्यमंत्री ही क्यों न खड़े हो जायें, वो बच नहीं पायेगा। आप आराम से चाय पीजिये और तमाशा देखिये। प्रधान जी की आवाज़ में दृढता और हास्य का मिश्रण था।

ये हुई न बात, इस बात पर तो चाय के साथ बिस्किट भी खाना बनता है प्रधान भाई। तेजपाल सिंह के इतना कहते ही कमरे में एक दम से कई ठहाके गूंज उठे।

हिमांशु शंगारी