संकटमोचक 02 अध्याय 15

Sankat Mochak 02
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क्षेत्र के दो सबसे अधिक लोकप्रिय अखबारों में से एक था पंजाब ग्लोरी, और इस अखबार के मुख्य संपादक थे अजय कुमार। प्रदेश की बहुत लोकप्रिय शख्सीयतों में से एक अजय कुमार को आदरवश सब बाऊ जी ही कहते थे।

लगभग 70 वर्ष की आयु के अजय कुमार ने अखबार के संपादन का कार्य अपने पिता की मृत्यु के पश्चात संभाला था और अपनी प्रतिभा से पंजाब ग्लोरी को कई नयी उंचाईयों पर लेकर गये थे। इनके सामाजिक और राजनैतिक प्रभाव का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि आम आदमी से लेकर बड़े से बड़े पुलिस अधिकारियों तक और प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर देश के बड़े से बड़े राजनेताओं तक सब लोग इनके संपर्क में थे। देश के प्रधानमंत्री भी आते रहते थे इनके पास समय समय पर।

“ओ मेरे बाऊ जी की जय, ओ मेरे बाऊ जी की जय”। नारा सुनते ही समझ गये थे अजय कुमार कि वरुण आया है। प्रधान जी को वरुण के नाम से ही बुलाते थे वो। उस समय से आ रहे थे प्रधान जी उनके पास, जब उन्होंने समाज सेवा का पहला कार्य किया था। अजय कुमार का न सिर्फ प्रधान जी के उपर, बल्कि उनके परिवार के उपर भी विशेष प्रभाव था। प्रधान जी की पत्नी रानी तो विशेष रूप से बहुत आदर करती थी उनका।

“आजा वरुण आजा, आ बैठ”। स्नेहपूर्वक कहा अजय कुमार ने और साथ ही चाय लाने का आदेश दे दिया एक कर्मचारी को। प्रधान जी के साथ साथ राजकुमार भी उनके चरण स्पर्श करके कुर्सी पर बैठ चुका था।

“इस बार बड़े दिनों बाद आया है वरुण, लगता है बहुत बड़ा नेता बन गया है अब तू”। बाऊ जी ने प्रधान जी को छेड़ते हुये कहा।

“एक बार आया था बीच में बाऊ जी, आप शहर से बाहर थे। आकाश जी से मुलाकात हुयी थी मेरी”। प्रधान जी ने जल्दी से अपनी सफाई देते हुये कहा। अजय कुमार के बड़े सुपुत्र थे आकाश कुमार और पंजाब ग्लोरी के संपादक थे। अजय कुमार के बाद अखबार का दायित्व मुख्य रूप से उन्हीं के उपर था।

“चल छोड़ दिया तुझे आज, और बता कैसा चल रहा है तेरा संगठन?” बाऊ जी ने मुस्कुराते हुये कहा।

“आपकी कृपा से सब ठीक है बाऊ जी, बस एक बड़ा काम पकड़ा था, आपका आशिर्वाद लेने चला आया इसे शुरु करने से पहले”। प्रधान जी ने बातचीत की भूमिका बनाने के लिये कहा।

“अब किसकी शामत आयी है जो तेरे हत्थे चढ़ गया, शहर के लगभग हर डिपार्टमैंट को तो पहले ही शिकार बना चुका है तू”। मुस्कुराते हुये कहा बाऊ जी ने और चाय के कप की ओर इशारा किया जिसे एक कर्मचारी अभी अभी टेबल पर रखकर गया था।

“इस बार दूरदर्शन में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने जा रहे हैं बाऊ जी, बहुत बड़े स्तर की धांधलियां हो रहीं हैं जालंधर दूरदर्शन में”। प्रधान जी ने चाय का कप उठाते हुये कहा।

“धांधलियां तो सदा होती ही रहीं है सरकारी महकमों में, और होतीं ही रहेंगीं। पर इस मामले को बड़े ध्यान से हैंडल करना, दूरदर्शन बहुत बड़ा संस्थान है और बहुत उपर तक पहुंच है इसके अधिकारियों की”। बाऊ जी ने समझाने वाले भाव में कहा प्रधान जी को।

“हम पूरा ध्यान रखेंगे, बाऊ जी। फिर आपका आशिर्वाद रहते हुये हमें कौन रोक सकता है ये लड़ाई जीतने से। आज तक आपके आशिर्वाद से कितनी लड़ाईयां जीतीं हैं न्याय सेना ने, ये लड़ाई भी जीत ही लेंगे हम”। प्रधान जी ने चाय की चु्स्की लेते हुये कहा।

“मेरा आशिर्वाद तो सदा ही तेरे साथ है, तब से जानता हूं तुझे जब तू इस लड़के की उम्र का रहा होगा शायद। तुझे एक जोशीले युवा लड़के से एक अनुभवी नेता बनने का सफर तय करते देखा है मैने”। बाऊ जी ने राजकुमार की ओर इशारा करते हुये एक मुस्कुराहट के साथ कहा।

“और उस जोशीले लड़के से मुझे एक अनुभवी इंसान बनाने में आपका बहुत बड़ा योगदान रहा है, बाऊ जी। आपने समय समय पर मुझे हर उस काम को करने से रोका है, जिसे जल्दबाज़ी में करने से मेरा नुकसान हो सकता था। अखबार में भी सदा आपने मेरे हर मुद्दे को विशेष स्थान दिया है। आपके आशिर्वाद के बिना यहां तक नहीं आ सकता था मैं, इसीलिये तो सदा आपकी जय बोलता हूं। ओ मेरे बाऊ जी की जय, ओ मेरे बाऊ जी की जय”। कहते कहते प्रधान जी ने खड़े होकर एक बार फिर झुक कर नमस्कार कर दिया था बाऊ जी को।

“तेरे जैसे ईमानदार, निडर और सच्चे नेताओं की बहुत आवश्यकता है समाज को वरुण, इसलिये शुरू से ही मैं तेरे हर मुद्दे को समर्थन देता हूं। इस बार भी मैं पूरी तरह से तेरे साथ हूं। तू बस डट कर लड़ाई कर और शेष किसी बात की चिंता मत कर”। बाऊ जी ने प्रधान जी को प्रोत्साहित करते हुये कहा।

“आपके इन शब्दों के बाद तो मुझे वैसे भी किसी बात की चिंता नहीं रही, बाऊ जी। जल्दी ही आपको इस मामले में बड़े धमाके सुनने को मिलेंगे”। जोश में आ गये थे प्रधान जी, बाऊ जी के प्रोत्साहित करने पर।

“जाते हुये एक बार आकाश से मिलकर उसे भी इस मामले की जानकारी दे देना”। बाऊ जी की इस बात पर प्रधान जी ने सिर हिला कर सहमति दी और फिर चाय के साथ गपशप का सिलसिला चल पड़ा कमरे में।

लगभग चालीस मिनट के बाद प्रधान जी और राजकुमार एक बार फिर न्याय सेना के कार्यालय में बैठे हुये थे।

“बाऊ जी और आकाश जी से मुलाकात तो बहुत अच्छी गयी पुत्तर जी, अब कल की प्रैस कांफैंस के लिये सबको बोल देते हैं”। कहने के बाद प्रधान जी ने हिन्दी, पंजाबी और इंग्लिश में छपने वाले सभी महत्वपूर्ण अखबारों के पत्रकारों को फोन करके दूसरे दिन सुबह 11 बजे न्याय सेना के कार्यालय में प्रैस कांफ्रैंस का समय दे दिया।

“लो ये काम भी हो गया, चलो अब प्रैस नोट बना लेते हैं”। प्रधान जी ने राजकुमार की ओर देखते हुये कहा।

“आपने सुबह का समय ही क्यों चुना प्रैस कांफ्रैंस के लिये प्रधान जी, जबकि हम ये काम कल शाम पर भी तो रख सकते थे? आखिर खबरें तो दोनों सूरतों में ही परसों सुबह के अखबार में ही आयेंगीं”। राजकुमार ने जिज्ञासा भरे स्वर में पूछा।

“सीखने की बहुत लगन है तुझमें, छोटी से छोटी बात का कारण भी समझना चाहता है तू। प्रैस कांफ्रैंस कल सुबह के लिये इसलिये रखी है क्योंकि ये बड़ा मामला है। पत्रकारों को लगभग सारा दिन मिल जायेगा इस मामले में दूरदर्शन के अधिकारियों से संपर्क करके इस मामले में उनका पक्ष जानने के लिये तथा कुछ और अन्य तथ्य एकत्रित करने के लिये, जिनसे ये न्यूज़ रोचक बन सके। और जितनी ये खबर रोचक बनेगी, उतना ही लाभ मिलेगा हमें”। प्रधान जी ने मुस्कुराते हुये कहा।

“ओह, तो ये बात है”। राजकुमार के इतना कहने के बाद दोनों कल की प्रैस कांफ्रैंस के लिये प्रैस नोट बनाने में जुट गये। प्रधान जी बोलते जा रहे थे और राजकुमार लिखता जा रहा था। अपनी आदत के अनुसार बीच बीच में राजकुमार कुछ लाईनों को लिखने का कारण भी पूछता जा रहा था प्रधान जी से।

 

हिमांशु शंगारी